पटनाः अब सीबीएसई के किताब में मुगल दरबारों का इतिहास, औद्योगिक क्रांति, खाद्य सुरक्षा, कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव जैसे विषय को छात्र नहीं पढ़ सकेंगे. सीबीएसई ने सत्र 2022-23 पाठ्यक्रम में बदलाव किया है. सोमवार को पत्रकारों से बात करने के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव की अधिकारिक सूचना अब तक नहीं है. उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में जो बदलाव किया गया है, उसका कोई औचित्य नहीं (Bihar Education Minister Vijay Chaudhary Statement on CBSE Syllabus Change) है. इतिहास का मुगल शासन काल अविभाज्य हिस्सा है, यदि कोई देश का इतिहास समझना चाहेगा तो बीच में किसी काल को हटाया नहीं जा सकता है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इतिहास के अविभाज्य हिस्से को निकालने का कोई मतलब नहीं है.
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इतिहास की जानकारी जरूरीः उन्होंने कहा कि मुगलों का शासन इतिहास का अभिन्न हिस्सा है. इनको अलग नहीं करना चाहिए. इसकी जानकारी सभी लोगों को दी जानी चाहिए. इतिहास को यदि हम दरकिनार कर देंगे, तो आगे के लिए हम पुरानी सीख का फायदा नहीं उठा पाएंगे. बिहार में यह बदलाव नहीं होगा. पाठ्यक्रम में फिलहाल जो पढ़ाया जा रहा है, उसमें सरकार कोई भी बदलाव नहीं करने जा रही है.
कई विषयों को हटायाः जानकारी दें कि सीबीएसई के पाठ्यक्रम में बदलाव हुआ है. सत्र 2022-23 के लिए बड़ा बदलाव किया गया है. बोर्ड ने कक्षा 11 और 12 के इतिहास एवं राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से गुटनिरपेक्ष आंदोलन, शीतयुद्ध के दौर, अफ्रीकी-एशियाई क्षेत्रों में इस्लामी साम्राज्य के उदय, मुगल दरबारों के इतिहास और औद्योगिक क्रांति से संबंधित अध्याय हटा दिए हैं. इसी तरह, कक्षा 10 के पाठ्यक्रम में 'खाद्य सुरक्षा' से संबंधित अध्याय से 'कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव' विषय को हटा दिया गया है. बिहार में अब इस मुद्दे को लेकर राजनीति शुरू हो गई है.
इतिहास के अभिन्न हिंसा को हटाना उचित नहींः शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी ने खुद आजादी के बाद से लेकर अभी तक के प्रधानमंत्री के म्यूजियम का उद्घाटन किया है. उसमें सभी प्रधानमंत्रियों के द्वारा किए गए विशेष कार्यों का उल्लेख किया गया है. इतिहास के अविभाज्य हिस्से को निकालने का कोई मतलब नहीं है. विजय चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश पहले दोनों तरफ से भारत को परेशान करते थे. 1971 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश बना और पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटा और बांग्लादेश बना, शिमला समझौता हुआ. गुटनिरपेक्ष आंदोलन हो या 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध हो या चार सौ, पांच सौ साल पहले मुगलों का शासन, सभी इतिहास का अभिन्न हिस्सा है. इनको अलग नहीं करना चाहिए और इसकी जानकारी सभी लोगों को दी जानी चाहिए.
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