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कोर्ट के भरोसे चल रहा है बिहार का शिक्षा विभाग! खुद फैसले लेने से घबराते हैं मंत्री और अधिकारी

पिछले चार सालों से ज्यादा से नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त का मामला लंबित है. लगातार पत्र लिखने और लगातार पूछने पर भी शिक्षा विभाग के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर नियोजित शिक्षकों को सेवा शर्त देने में क्या परेशानी है.

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Published : Sep 20, 2019, 7:59 PM IST

शिक्षा विभाग

पटना: बिहार के शिक्षा विभाग को आखिर कौन चला रहा है? ये सवाल लगातार उठ रहे हैं. चाहे बिहार में नियोजित शिक्षकों का मामला हो, एनआईओएस डीएलएड करने वाले शिक्षकों का मामला हो या एसीपी भुगतान का मामला हो. ऐसे कई मामले हैं जो शिक्षा विभाग की पोल खोल रहे हैं.

हाईकोर्ट जाने पर मजबूर हैं शिक्षक
शिक्षा विभाग में पीड़ित लोगों से कई बार आवेदन जरूर लिए जाते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई तब तक नहीं होती, जब तक कि इस बारे में कोर्ट का आदेश जारी न हो जाए. हाल में एनआईओएस डीएलएड करने वाले शिक्षक भी पटना हाईकोर्ट जाने को मजबूर हुए, अब उन्हें कोर्ट से न्याय मिलने का इंतजार है. इससे पहले बिहार के लाखों नियोजित शिक्षकों ने पहले सरकार से गुहार लगाई और जब सरकार ने जवाब नहीं दिया तो वो भी हाईकोर्ट चले गए.

patna
पटना हाईकोर्ट

शिक्षा विभाग के पास नहीं है जवाब
पिछले चार सालों से ज्यादा से नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त का मामला लंबित है. लगातार पत्र लिखने और लगातार पूछने पर भी शिक्षा विभाग के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर नियोजित शिक्षकों को सेवा शर्त देने में क्या परेशानी है.

नहीं होती है उचित कार्रवाई
आरजेडी नेता भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि बिहार में शिक्षा विभाग को कोर्ट चला रहा है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने भी कहा कि शिक्षक जब तक कोर्ट नहीं जाते, कोर्ट से आदेश प्राप्त नहीं करते तब तक शिक्षा विभाग उनके किसी भी मांग पर या किसी परेशानी पर कोई कार्रवाई नहीं करता है.

पेश है एक रिपोर्ट

बिहार बोर्ड को जारी हुआ था नोटिस
हाल ही के एक मामले में कोर्ट का आदेश नहीं मानने के कारण शिक्षा विभाग के कई बड़े पदाधिकारियों के वेतन पर भी रोक लगा दी गई थी. लेकिन, फिर भी अब तक शिक्षा विभाग में कुछ सुधार होता नहीं दिख रहा है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति तो पिछले कई सालों से इस बारे में विख्यात रहा है. कोर्ट ने कई बार बिहार बोर्ड के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया, तब जाकर अभ्यर्थियों की परेशानी दूर हुई.

वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बारे में कैमरे पर बोलने से इनकार करते हैं, लेकिन वह मानते हैं कि अधिकारियों का ज्यादातर समय कोर्ट का चक्कर लगाने में ही कट जाता है.

लंबित मामले:

  • नियोजित शिक्षकों का मामला
  • शिक्षकों के प्रमोशन का मामला
  • बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं का मामला
  • टीईटी और एसटीइटी का मामला
  • एनआईओएस डीएलएड का मामला
  • एसीपी भुगतान का मामला
  • वेतन विसंगति का मामला
  • अनुकंपा पर नौकरी का मामला
  • बिहार बोर्ड से जुड़े कई अन्य मामले

पटना: बिहार के शिक्षा विभाग को आखिर कौन चला रहा है? ये सवाल लगातार उठ रहे हैं. चाहे बिहार में नियोजित शिक्षकों का मामला हो, एनआईओएस डीएलएड करने वाले शिक्षकों का मामला हो या एसीपी भुगतान का मामला हो. ऐसे कई मामले हैं जो शिक्षा विभाग की पोल खोल रहे हैं.

हाईकोर्ट जाने पर मजबूर हैं शिक्षक
शिक्षा विभाग में पीड़ित लोगों से कई बार आवेदन जरूर लिए जाते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई तब तक नहीं होती, जब तक कि इस बारे में कोर्ट का आदेश जारी न हो जाए. हाल में एनआईओएस डीएलएड करने वाले शिक्षक भी पटना हाईकोर्ट जाने को मजबूर हुए, अब उन्हें कोर्ट से न्याय मिलने का इंतजार है. इससे पहले बिहार के लाखों नियोजित शिक्षकों ने पहले सरकार से गुहार लगाई और जब सरकार ने जवाब नहीं दिया तो वो भी हाईकोर्ट चले गए.

patna
पटना हाईकोर्ट

शिक्षा विभाग के पास नहीं है जवाब
पिछले चार सालों से ज्यादा से नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त का मामला लंबित है. लगातार पत्र लिखने और लगातार पूछने पर भी शिक्षा विभाग के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर नियोजित शिक्षकों को सेवा शर्त देने में क्या परेशानी है.

नहीं होती है उचित कार्रवाई
आरजेडी नेता भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि बिहार में शिक्षा विभाग को कोर्ट चला रहा है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने भी कहा कि शिक्षक जब तक कोर्ट नहीं जाते, कोर्ट से आदेश प्राप्त नहीं करते तब तक शिक्षा विभाग उनके किसी भी मांग पर या किसी परेशानी पर कोई कार्रवाई नहीं करता है.

पेश है एक रिपोर्ट

बिहार बोर्ड को जारी हुआ था नोटिस
हाल ही के एक मामले में कोर्ट का आदेश नहीं मानने के कारण शिक्षा विभाग के कई बड़े पदाधिकारियों के वेतन पर भी रोक लगा दी गई थी. लेकिन, फिर भी अब तक शिक्षा विभाग में कुछ सुधार होता नहीं दिख रहा है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति तो पिछले कई सालों से इस बारे में विख्यात रहा है. कोर्ट ने कई बार बिहार बोर्ड के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया, तब जाकर अभ्यर्थियों की परेशानी दूर हुई.

वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बारे में कैमरे पर बोलने से इनकार करते हैं, लेकिन वह मानते हैं कि अधिकारियों का ज्यादातर समय कोर्ट का चक्कर लगाने में ही कट जाता है.

लंबित मामले:

  • नियोजित शिक्षकों का मामला
  • शिक्षकों के प्रमोशन का मामला
  • बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं का मामला
  • टीईटी और एसटीइटी का मामला
  • एनआईओएस डीएलएड का मामला
  • एसीपी भुगतान का मामला
  • वेतन विसंगति का मामला
  • अनुकंपा पर नौकरी का मामला
  • बिहार बोर्ड से जुड़े कई अन्य मामले
Intro:बिहार के शिक्षा विभाग को आखिर कौन चला रहा है। यह सवाल लगातार उठ रहा है। चाहे बिहार में नियोजित शिक्षकों का मामला हो, शिक्षकों के प्रमोशन या फिर एसीपी का मामला। बिहार बोर्ड के द्वारा आयोजित परीक्षाओं का मामला हो, टीईटी और एसटीइटी का मामला हो या फिर एनआईओएस डीएलएड के मामले में हो, हर बार अभ्यर्थियों को या शिक्षकों को कोर्ट का रुख करना पड़ा है। पेश है खास रिपोर्ट।


Body:नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन का मामला, एनआईओएस डीएलएड करने वाले शिक्षकों का मामला, एसीपी भुगतान, वेतन विसंगति, बिहार बोर्ड से जुड़े कई मामले, अनुकंपा पर नौकरी का मामला, सेवांत लाभ आदि
ये कुछ ऐसे मामले हैं जिन्होंने शिक्षा विभाग की पोल खोल कर रख दी है। चाहे शिक्षक हो, शिक्षकेतर कर्मचारी हो, शिक्षक कर्मियों के परिजन हों या फिर छात्र। इनमें से किसी का भी काम आसानी से इस विभाग से नहीं होता। शिक्षा विभाग में पीड़ित लोगों से कई बार आवेदन जरूर लिए जाते हैं लेकिन उन पर कार्रवाई तब तक नहीं होती जब तक कि इस बारे में कोर्ट का आदेश जारी ना हो जाए। हाल में एनआईओएस D.El.Ed करने वाले शिक्षक भी पटना हाई कोर्ट जाने को मजबूर हुए अब उन्हें कोर्ट से न्याय मिलने का इंतजार है इससे पहले बिहार के लाखों नियोजित शिक्षकों ने पहले सरकार से गुहार लगाई और जब सरकार ने कुछ नहीं सुनी तो वह पटना हाई कोर्ट चले गए।
पिछले 4 साल से ज्यादा से नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त का मामला भी लंबित है। लगातार पत्र लिखने और लगातार पूछने पर भी शिक्षा विभाग के पास इस बात का कोई जवाब नहीं कि आखिर उन्हें नियोजित शिक्षकों को सेवा शर्त देने में क्या परेशानी है। राजद नेता भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि बिहार में शिक्षा विभाग को कोर्ट चला रहा है वहीं बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने भी कहा कि शिक्षक जब तक कोर्ट नहीं जाते, कोर्ट से आदेश प्राप्त नहीं करते तब तक शिक्षा विभाग उनके किसी भी मांग पर या किसी परेशानी पर भी कोई कार्यवाही नहीं करता।
हाल ही में एक मामले में कोर्ट के आदेश नहीं मानने के कारण शिक्षा विभाग के कई बड़े पदाधिकारियों के वेतन पर भी रोक लगा दी गई। लेकिन फिर भी अब तक शिक्षा विभाग में कुछ सुधार होता नहीं दिखता। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति तो पिछले कई सालों से इस बारे में कुख्यात रहा है कई बार कोर्ट ने बिहार बोर्ड के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया तब जाकर अभ्यर्थी की परेशानी दूर हुई। शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बारे में एक कैमरे पर बोलने से इनकार करते हैं लेकिन वह मानते हैं कि अधिकारियों का ज्यादातर समय कोर्ट के चक्कर लगाते ही बीतता है।


Conclusion:निखिल कुमार शिक्षक
अभिषेक कुमार प्रवक्ता, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
चितरंजन गगन राजद नेता
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