पटना: दीपावली और छठ पूजा (Bihar Chhath Puja) में काफी कम दिन शेष रह गए है. पर्व-त्योहार को लेकर प्रवासी वापस प्रदेश लौटने लगे हैं. जैसे-जैसे दीपावली और छठ पूजा का दिन नजदीक आता जाएगा बाहर से आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जाएगी. ऐसे में प्रदेश में अगर कोरोना (Covid-19) के लिहाज से देखा जाए, तो सरकार ने भी काफी कुछ तैयारियां की है. रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट पर एंटीजन किट से जांच (Test With Antigen Kit) की व्यवस्था की गई है. वहीं बाहर से आने वाले लोगों के लिए 72 घंटे पहले का आरटीपीसीआर जांच (RTPCR Test During Travelling) रिपोर्ट लेकर आने को कहा गया है.
इसे भी पढ़ें: दिवाली और छठ को लेकर चलायी जाएंगी कई स्पेशल ट्रेनें, यहां देखें पूरी लिस्ट
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने बीते दिनों पर्व-त्योहार में बाहर से आने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कोरोना के दृष्टिकोण से एक समीक्षा बैठक की थी. इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिया था कि प्रतिदिन सवा दो लाख कोरोना जांच किया जाए. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के तरफ से जारी किए जा रहे प्रतिदिन के आंकड़े को देखें, तो प्रतिदिन औसतन डेढ़ लाख कोरोना जांच बिहार में हो रहे हैं.
ये भी पढ़ें: पटना समेत चार जिलों में नहीं बिकेंगे पटाखे, आतिशबाजी की तो होगी कार्रवाई
संक्रमण के नए मामलों की बात करें तो प्रतिदिन सामने आने वाले नए मामलों की संख्या दहाई से कम ही रह रही है. वर्तमान समय में प्रदेश में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 37 है. जिसमें सर्वाधिक 16 पटना जिले में हैं. प्रदेश का रिकवरी रेट भी 98.66% है और इस आंकड़े को देखें, तो बिहार में कोरोना की स्थिति काफी कंट्रोल में है. हालांकि मुख्यमंत्री ने जितने जांच के निर्देश दिए हैं उतने जांच नहीं हो पा रहे है. इसके पीछे वजह यह है कि संक्रमण के मामले काफी कम मिल रहे है. ऐसे में लोग भी कम संख्या में ही जांच कराने पहुंच रहे हैं.
कोरोना के लिहाज से बिहार की स्थिति तो काफी बेहतर है. देश के दूसरे राज्यों की बात करें, तो वहां की स्थिति इतनी बेहतर नहीं है. बिहार में जहां से 37 एक्टिव मामले हैं, वहीं देशभर में एक्टिव मामले की संख्या काफी अधिक है. देश भर में कुल एक्टिव मामले 1,75,092 हैं. बिहार में जहां प्रतिदिन नए मामले की संख्या दहाई से कम रह रही है. वहीं, देशभर में प्रतिदिन सामने आने वाले नए मामलों की संख्या 14,000 से अधिक रह रही है. इन स्थितियों को देखे तो कहीं न कहीं बाहर से आने वाले लोगों के कारण बिहार में एक बार फिर से संक्रमण का खतरा बढ़ने की उम्मीद जताई जा सकती है.
'बिहार में अभी कोरोना बहुत कंट्रोल में है. वहीं, जैसे-जैसे फेस्टिवल सीजन के दिन नजदीक आएंगे बाहर प्रदेशों से अपने घर आने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाएगी. ऐसी स्थिति में संक्रमण को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है कि बाहर से जो लोग आ रहे हैं वह ट्रांसपोर्टेशन कम करें. घर तक पहुंचने में अधिक गाड़ियां नहीं बदले. दूसरा यह कि अगर बाहर से आते हैं, तो कोरोना का आरटीपीसीआर जांच अपने साथ लेकर जाएं. आरटीपीसीआर और एंटीजन के माध्यम से 200-250 जांच हो रहे है. गिने-चुने दिन ही कभी 1-2 पॉजिटिव मामले सामने आते है. अभी के स्टैटिक को देखें, तो बिहार में कोरोना काफी कंट्रोल स्थिति में है.'
-डॉ मनोज कुमार, अधीक्षक, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फेस्टिवल सीजन में जब लोग घर आते हैं, तो अन्य लोगों से मिलने-जुलने का सिलसिला बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि कोविड-19 गाइडलाइन को फॉलो करें. एक जगह अधिक भीड़ इकट्ठा न करें और बाहर डिस्टेंसिंग मेंटेन करना चाहिए. चेहरे पर हमेशा मास्क का प्रयोग करें और हैंड हाइजीन के लिए सैनिटाइजेशन का प्रयोग करते रहे. उन्होंने बताया कि कोरोना का वायरस इनडेमिक स्टेट में रहता है और गलती से भी अगर कोई संक्रमित है और वह भीड़-भाड़ में बिना मास्क का घूम लेता है, तो संक्रमण फैलने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है. ऐसे में जरूरी है कि लोग सभी एहतियात को फॉलो करें.
'फेस्टिवल सीजन को लेकर बाहर से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में सबसे अधिक जरूरी है अधिक से अधिक कोरोना जांच किया जाए. ट्रेन से आने वाले सभी लोगों का रेलवे स्टेशन पर एंटीजन या आरटीपीसीआर जांच जरूर किया जाए. इसके अलावा फ्लाइट से आने वाले लोगों का भी आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट लिया जाए. वर्तमान स्थिति को देखे, तो बिहार में कोरोना बहुत हद तक नियंत्रण में है. लेकिन देश के दूसरे राज्यों में स्थिति बिहार जैसी नहीं है. साउथ के स्टेट की बात करे, तो कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में कोरोना के मामले काफी अधिक है.' -डॉ ऋषभ कुमार, आईजीआईएमएस
डॉ ऋषभ ने कहा कि कई लोग यह मान लेते हैं कि उन्होंने दोनों डोज का वैक्सीन ले लिया है, तो उन्हें आरटीपीसीआर जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन यह गलत है. वैक्सीन लेने से उस व्यक्ति की संक्रमण की गंभीरता कम होती है लेकिन वह एक वायरस का कैरियर जरूर बन सकता है. उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि बाहर से आने वाले सभी लोग अपना आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट या कम से कम एंटीजन जांच रिपोर्ट ही जरूर लेकर आएं. क्योंकि अगर वह साइलेंट कैरियर बन कर आते हैं, तो इसका खतरा बच्चों पर काफी बढ़ सकता है. प्रदेश के व्यस्क काफी हद तक वैक्सीनेटेड हो चुके हैं लेकिन बच्चे अभी भी हाई रिस्क जोन में है. अगर बाहर से आने वाले लोग लापरवाही बरतते हैं, तो थर्ड वेब का खतरा बढ़ जाएगा.
डॉ ऋषभ ने कहा कि भले ही लोग पर्व त्योहार मनाने बाहर से अपने घर लौट रहे हैं लेकिन घर पर आने पर बच्चों और परिवार की सुरक्षा को देखते हुए कोविड-19 गाइडलाइ का पालन करें. बेवजह घर से बाहर न घूमें और चेहरे पर मास्क का अनिवार्य रूप से प्रयोग करें. डॉ ऋषभ ने कहा कि प्रदेश में और पूरे देश की भी अगर बात करें, तो कोरोना की स्थिति जो कुछ भी नियंत्रण में है उसका पूरा श्रेय वैक्सीनेशन को जाता है. जिस प्रकार से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वैक्सीनेशन अभियान को तेजी दी है और तेज गति से वैक्सीनेशन अभियान करने की लगातार कोशिश हो रही है, इसी का नतीजा है कि मार्च-अप्रैल के मुकाबले संक्रमण की स्थिति काफी अधिक कंट्रोल में नजर आ रही है. वैक्सीन निश्चित तौर पर कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने के लिहाज से सबसे उपयोगी साबित हुआ है.