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समीक्षा बैठक के बाद सीएम ने दिया निर्देश, कहा- आपदा पीड़ितों की हर संभव करें सहायता

सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को बाढ़ एवं आपदा विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने कई आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.

सीएम नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार
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Published : Sep 8, 2021, 10:35 PM IST

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में राज्य में बाढ़ आपदा एवं अल्पवृष्टि से उत्पन्न स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा की. साढ़े पांच घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में कई मंत्री मौजूद थे. इसका साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी शामिल हुए.

यह भी पढ़ें- आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक में बोले CM नीतीश- जिले में जाएं मंत्री, नुकसान का करें आंकलन

समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष अधिक वर्षापात होने से नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है. इस कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. हमने हवाई सर्वेक्षण कर राज्य के सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया. साथ ही प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों को भी हवाई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया. ताकि वे अपने जिलों के पूरे क्षेत्रों का ठीक से जायजा ले सकें.

देखें वीडियो

प्रभावित लोगों के बीच राहत एवं बचाव कार्य कर उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराया गया. हमने राहत शिविरों में जाकर बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाये जा रहे राहत कार्यों एवं वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी ली. अधिकारियों को सभी प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. सभी जिलाधिकारी अभी भी मौसम पूर्वानुमान के आधार पर आगे की स्थिति के लिए सचेत रहें और पूरी तैयारी रखें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन से चार दिनों में बाढ़ से हुई क्षति का पूर्ण आकलन कर लें. इसके बाद जिलों के प्रभारी मंत्री संबंधित जिलों में जाकर जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर इसे अंतिम रूप दें.

समीक्षा बैठक में मुख्य मंत्री की प्रमुख बातें

  • बाढ़ के कारण जहां किसानों द्वारा फसल नहीं लगायी जा सकी है, उसे फसल क्षति मानते हुए उन सभी किसानों को उचित सहायता उपलब्ध करायें. साथ ही किसानों की फसल क्षति का भी आंकलन कर उन्हें सहायता उपलब्ध कराएं.
  • कृषि विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग एवं सभी जिलों के जिलाधिकारी बाढ़ के कारण हुई क्षति का पंचायतवार सही तरीके से आकलन करें, ताकि उसके आधार पर सभी प्रभावितों की मदद की जा सके. कोई भी बाढ़ आपदा पीड़ित सहायता से वंचित नहीं रहे.
  • तीन से चार दिनों में बाढ़ से हुई क्षति का पूर्ण आकलन कर लें. इसके पश्चात जिलों के प्रभारी मंत्री संबंधित जिलों में जाकर जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर इसे अंतिम रूप दें.
  • पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशु क्षति का भी ठीक से आकलन कराएं और पशुपालकों की सहायता करें.
  • जल संसाधन विभाग बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालीन योजना बनाकर कार्य करें, ताकि बाढ़ का असर कम से कम हो.
  • जिलों के उन विशिष्ट क्षेत्रों का भी आकलन कर लें, जहां अल्पवृष्टि की स्थिति बन रही हो. हर वर्ष बाढ़ के कारण बिहार का बहुत बड़ा क्षेत्र प्रभावित होता है. उससे बचाव एवं राहत के लिए हमलोग लगातार काम कर रहे हैं.

आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राज्य में बाढ़ एवं अल्पवृष्टि को लेकर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस वर्ष अब तक तीन चरणों, प्रथम चरण- 13 से 17 जून, द्वितीय चरण- 1 जुलाई से 7 जुलाई, तृतीय चरण- 8 अगस्त से 22 अगस्त में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है.

आपदा पीड़ितों के लिए सभी प्रकार के राहत एवं बचाव कार्य किये गये. मुख्यमंत्री द्वारा हवाई सर्वेक्षण एवं बाढ़ राहत शिविरों में शरणार्थियों से मिलकर राहत कार्यों का जायजा लिया गया. इससे पीड़ितों का काफी मनोबल बढ़ा.

अब तक 7,95,538 परिवारों के बीच 477.32 करोड़ रुपये ग्रैच्युट्स रिलीफ की राशि का वितरण किया जा चुका है. बाकी बचे लोगों में जीआर का वितरण 25 सितंबर तक कर दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि बाढ़ से 26 जिलों के 16.60 लाख परिवारों की 69.63 लाख जनसंख्या प्रभावित हुई है, जिन्हें हर संभव मदद दी जा रही है.

लंबे अरसे के बाद मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों और आला अधिकारियों के साथ संवाद में यह बैठक की थी. बैठक में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री सह आपदा प्रबंधन मंत्री श्रीमती रेणु देवी, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन के अलावा कई मंत्री शामिल थे.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन, संबंधित विभागों के अन्य वरीय पदाधिकारी, सभी प्रमंडलीय आयुक्त, रेंज के आईजी/डीआईजी, सभी जिलों के जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक जुड़े हुए थे.

यह भी पढ़ें- NH की 4 परियोजनाओं का CM के समक्ष दिया गया प्रेजेंटेशन, दिल्ली, कोलकाता और वाराणसी जाना होगा आसान

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में राज्य में बाढ़ आपदा एवं अल्पवृष्टि से उत्पन्न स्थिति की उच्चस्तरीय समीक्षा की. साढ़े पांच घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में कई मंत्री मौजूद थे. इसका साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी शामिल हुए.

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समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष अधिक वर्षापात होने से नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है. इस कारण राज्य में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. हमने हवाई सर्वेक्षण कर राज्य के सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया. साथ ही प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों को भी हवाई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया. ताकि वे अपने जिलों के पूरे क्षेत्रों का ठीक से जायजा ले सकें.

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प्रभावित लोगों के बीच राहत एवं बचाव कार्य कर उन्हें हरसंभव मदद मुहैया कराया गया. हमने राहत शिविरों में जाकर बाढ़ पीड़ितों के लिए चलाये जा रहे राहत कार्यों एवं वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी ली. अधिकारियों को सभी प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. सभी जिलाधिकारी अभी भी मौसम पूर्वानुमान के आधार पर आगे की स्थिति के लिए सचेत रहें और पूरी तैयारी रखें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन से चार दिनों में बाढ़ से हुई क्षति का पूर्ण आकलन कर लें. इसके बाद जिलों के प्रभारी मंत्री संबंधित जिलों में जाकर जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर इसे अंतिम रूप दें.

समीक्षा बैठक में मुख्य मंत्री की प्रमुख बातें

  • बाढ़ के कारण जहां किसानों द्वारा फसल नहीं लगायी जा सकी है, उसे फसल क्षति मानते हुए उन सभी किसानों को उचित सहायता उपलब्ध करायें. साथ ही किसानों की फसल क्षति का भी आंकलन कर उन्हें सहायता उपलब्ध कराएं.
  • कृषि विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग एवं सभी जिलों के जिलाधिकारी बाढ़ के कारण हुई क्षति का पंचायतवार सही तरीके से आकलन करें, ताकि उसके आधार पर सभी प्रभावितों की मदद की जा सके. कोई भी बाढ़ आपदा पीड़ित सहायता से वंचित नहीं रहे.
  • तीन से चार दिनों में बाढ़ से हुई क्षति का पूर्ण आकलन कर लें. इसके पश्चात जिलों के प्रभारी मंत्री संबंधित जिलों में जाकर जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर इसे अंतिम रूप दें.
  • पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशु क्षति का भी ठीक से आकलन कराएं और पशुपालकों की सहायता करें.
  • जल संसाधन विभाग बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालीन योजना बनाकर कार्य करें, ताकि बाढ़ का असर कम से कम हो.
  • जिलों के उन विशिष्ट क्षेत्रों का भी आकलन कर लें, जहां अल्पवृष्टि की स्थिति बन रही हो. हर वर्ष बाढ़ के कारण बिहार का बहुत बड़ा क्षेत्र प्रभावित होता है. उससे बचाव एवं राहत के लिए हमलोग लगातार काम कर रहे हैं.

आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से राज्य में बाढ़ एवं अल्पवृष्टि को लेकर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस वर्ष अब तक तीन चरणों, प्रथम चरण- 13 से 17 जून, द्वितीय चरण- 1 जुलाई से 7 जुलाई, तृतीय चरण- 8 अगस्त से 22 अगस्त में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है.

आपदा पीड़ितों के लिए सभी प्रकार के राहत एवं बचाव कार्य किये गये. मुख्यमंत्री द्वारा हवाई सर्वेक्षण एवं बाढ़ राहत शिविरों में शरणार्थियों से मिलकर राहत कार्यों का जायजा लिया गया. इससे पीड़ितों का काफी मनोबल बढ़ा.

अब तक 7,95,538 परिवारों के बीच 477.32 करोड़ रुपये ग्रैच्युट्स रिलीफ की राशि का वितरण किया जा चुका है. बाकी बचे लोगों में जीआर का वितरण 25 सितंबर तक कर दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि बाढ़ से 26 जिलों के 16.60 लाख परिवारों की 69.63 लाख जनसंख्या प्रभावित हुई है, जिन्हें हर संभव मदद दी जा रही है.

लंबे अरसे के बाद मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों और आला अधिकारियों के साथ संवाद में यह बैठक की थी. बैठक में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री सह आपदा प्रबंधन मंत्री श्रीमती रेणु देवी, शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन के अलावा कई मंत्री शामिल थे.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन, संबंधित विभागों के अन्य वरीय पदाधिकारी, सभी प्रमंडलीय आयुक्त, रेंज के आईजी/डीआईजी, सभी जिलों के जिलाधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक जुड़े हुए थे.

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