पटना: कोरोना वायरस के खतरे को लेकर कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स बिहार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को पत्र लिखा है. इस पत्र के माध्यम से उन्होंने करेंसी से फैलने वाले संक्रमण की जांच की मांग की है.
क्या कहते हैं बिहार कैट के अध्यक्ष
कैट के अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि करेंसी नोट विभिन्न लोगों की एक अनजान श्रंखला के माध्यम से लोगों तक पहुंचते है, ऐसे में क्या इनके जरिये भी कोरोना फैल सकता है. इस पर सरकार को एक प्रामाणिक स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए. कैट ने सवाल करते हुए कहा कि क्या करेंसी नोट संक्रामक रोगों का वाहक हैं, आगर हैं तो इससे बचने के क्या उपाय है.
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कैट की ओर से कहा गया है कि कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के एक अध्ययन से पता चला है कि 96 बैंक नोटों और 48 सिक्कों का लगभग पूरा नमूना वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से दूषित था, जबकि 2016 में तमिलनाडु में किए गए एक अध्ययन में 120 से अधिक नोट डॉक्टरों, गृहिणियों, बाज़ारों से एकत्र किए गए, जिसमें से 86.4% नोट संक्रमण से ग्रस्त थे. वहीं, वर्ष 2016 में कर्नाटक में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में 100 रुपये, 50 रुपये, 20 और 10 रुपये के नोटों में से 58 नोट दूषित थे.
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कैट ने की सरकार से स्पष्टीकरण की मांग
बिहार कैट संरक्षक शशी शेखर रस्तोगी और टीआर गांधी ने बताया कि भारत में करेंसी नोटों के अधिक उपयोग के कारण व्यापारियों के माध्यम से करेंसी का बड़ा उपयोग होता है. 'कौविड-19' महामारी के वर्तमान समय में इससे व्यापारियों के संक्रमण ग्रस्त होने की संभावनाएं ज्यादा हैं, क्योंकि अज्ञात व्यक्तियों की अप्रमाणित श्रृंखला के बीच मुद्रा का प्रचलन बेहद अधिक है. इसलिए न केवल व्यापारियों के लिए बल्कि देश के बड़े हित में इस गंभीर मुद्दे पर सरकार का एक स्पष्टीकरण बेहद जरूरी है.