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बिहार के 200 ओपी थानों में होंगे तब्दील, क्राइम कंट्रोल को लेकर डीआईजी और डीजीपी कर रहे थानों का निरीक्षण

बिहार के डीजीपी संजीव कुमार सिंघल (DGP Sanjeev Kumar Singhal) इन दिनों लगातार थानों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं. बढ़ते अपराध को लेकर पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित डीआईजी रैंक के अधिकारी भी औचक निरीक्षण कर रहे हैं. अपराध पर कंट्रोल को लेकर बिहार के 200 ओपी को थानों में तब्दील करने की योजना है. इसके लिए मंथन किया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार पुलिस मुख्यालय
Bihar Police Headquarters
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Published : Apr 29, 2022, 7:54 AM IST

पटना: बिहार में बढ़ते अपराध (Crime Increase In Bihar) को लेकर राज्य सरकार और बिहार पुलिस मुख्यालय काफी चिंतित है. बढ़ते अपराध के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित डीआईजी रैंक से लेकर एडीजी रैंक तक के अधिकारियों को फील्ड में उतारा गया है और इनके द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. प्रत्येक बुधवार और वृहस्पतिवार को पुलिस मुख्यालय के सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में जाकर ज्यादा से ज्यादा स्थानों का निरीक्षण कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-बिहार में पुलिसकर्मियों पर लंबित विभागीय कार्रवाई: ADG बोले- 'मार्च में अब तक निपटाए 800 मामले'

निरीक्षण में जुटे पुलिस विभाग के मुखिया: अपराध को कंट्रोल करने को लेकर पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी संजीव कुमार सिंघल और एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार अभी पटना जिले के थानों का निरीक्षण करने में जुटे हैं. बुधवार को उन्होंने राजधानी पटना के दीघा और राजीव नगर थाने का निरीक्षण किया था. वहीं गुरुवार को वे पटना जिला के परसा थाना का निरीक्षण किया. बढ़ते अपराध के साथ-साथ बिहार में चुस्त पुलिसिंग के साथ ही अधिक से अधिक आबादी तक थानों की पहुंच बनाने के लिए ओपी (ऑउट पोस्ट) को थानों में तब्दील करने की योजना बनाई गई है.

200 ओपी को थाना बनाने का प्रस्ताव: प्रदेश में वर्तमान में मौजूद करीब 225 ओपी में से 200 ओपी को थानों में बदलने से संबंधित प्रस्ताव को पुलिस महकमा अमलीजामा पहनाने में जुटी हुई है. इसके बाद इस प्रस्ताव को गृह विभाग को भेजा जायेगा. फिर इससे जुड़े सभी पहलुओं की समीक्षा करने के बाद इस पर अंतिम स्तर की अनुमति प्राप्त करने के लिए इसे कैबिनेट के समक्ष भेजा जायेगा. कैबिनेट से पास होने के बाद ही अंतिम मुहर लगेगी.

क्या होता है ओपी: आपको बता दें कि ओपी में किसी घटना से संबंधित एफआइआर दर्ज नहीं होती है. ऐसे में अभी यहां के लोगों को काफी समस्या होती है. थाना बनने से पुलिसिंग सशक्त होने के साथ ही किसी मामले की एफआइआर भी दर्ज हो सकेगी और इनका अनुसंधान भी सही तरीके से हो सकेगा. संबंधित क्षेत्र में अपराध नियंत्रण प्रभावी तरीके से हो सकेगा. आने वाले दिनों में बचे हुए 25 ओपी की स्थिति की समीक्षा की जायेगी. अगर जरूरत महसूस की जायेगी, तो इन्हें भी नये थानों में तब्दील करने की कवायद दूसरे चरण में शुरू की जायेगी. इसके साथ ही राज्य में ओपी पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा और सिर्फ थाने ही रहेंगे.

वर्तमान में हैं एक हजार 67 थाना: राज्य में आने वाले कुछ वर्षों में सिर्फ थाने ही खोले जायेंगे, किसी तरह की ओपी खोलने की कोई योजना नहीं रहेगी. जहां जरूरत महसूस की जायेगी, वहां सीधे सभी सुविधाओं वाले मल्टीस्टोरी थाना ही खोले जायेंगे. हालांकि अभी ओपी की अवधारणा को पूरी तरह से समाप्त करने में कुछ वर्षों का समय लगेगा. करीब 200 ओपी को नये थानों में तब्दील करने से राज्य में थानों की संख्या एक हजार 67 से बढ़कर एक हजार 267 हो जायेगी. ओपी का दायरा बढ़ने के साथ ही इनके क्षेत्र से जुड़ी जनसंख्या बढ़ने के कारण ओपी को थानों में तब्दील करने की पहल की जा रही है.

नये थानों के लिए नहीं होगा पदों का सृजन: जानकारी के मुताबिक नये थानों के लिए फिलहाल किसी नये पदों का सृजन नहीं होगा. ओपी में तैनात कर्मी ही इन थानों में तैनात कर दिये जायेंगे और जरूरत पड़ने पर अन्य कर्मियों की पदस्थापना यहां की जायेगी. इसके बाद इन सभी ओपी को थाना में बदलने और इनके लिए अपने भवन के निर्माण से संबंधित प्रक्रिया भी शुरू हो जायेगी.

नये थानों में होंगी कई प्रकार की सुविधाएं: नये थानों में तमाम आधुनिक सुविधाएं जैसे आगांतुक कक्ष, क्रेच होम, महिला शौचालय और बैरक समेत अन्य सभी चीजें रहेंगी. राज्य में जितने भी नये थाने बन रहे हैं, उनमें अब तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाना है. इन्हें नये थाने का दर्जा मिलने के बाद सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल नेटवर्क सिस्टम) से जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो जायेगी. ताकि सभी थाने और इनमें होने वाले कामकाज ऑनलाइन हो सके.

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पटना: बिहार में बढ़ते अपराध (Crime Increase In Bihar) को लेकर राज्य सरकार और बिहार पुलिस मुख्यालय काफी चिंतित है. बढ़ते अपराध के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित डीआईजी रैंक से लेकर एडीजी रैंक तक के अधिकारियों को फील्ड में उतारा गया है और इनके द्वारा लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. प्रत्येक बुधवार और वृहस्पतिवार को पुलिस मुख्यालय के सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में जाकर ज्यादा से ज्यादा स्थानों का निरीक्षण कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-बिहार में पुलिसकर्मियों पर लंबित विभागीय कार्रवाई: ADG बोले- 'मार्च में अब तक निपटाए 800 मामले'

निरीक्षण में जुटे पुलिस विभाग के मुखिया: अपराध को कंट्रोल करने को लेकर पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी संजीव कुमार सिंघल और एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार अभी पटना जिले के थानों का निरीक्षण करने में जुटे हैं. बुधवार को उन्होंने राजधानी पटना के दीघा और राजीव नगर थाने का निरीक्षण किया था. वहीं गुरुवार को वे पटना जिला के परसा थाना का निरीक्षण किया. बढ़ते अपराध के साथ-साथ बिहार में चुस्त पुलिसिंग के साथ ही अधिक से अधिक आबादी तक थानों की पहुंच बनाने के लिए ओपी (ऑउट पोस्ट) को थानों में तब्दील करने की योजना बनाई गई है.

200 ओपी को थाना बनाने का प्रस्ताव: प्रदेश में वर्तमान में मौजूद करीब 225 ओपी में से 200 ओपी को थानों में बदलने से संबंधित प्रस्ताव को पुलिस महकमा अमलीजामा पहनाने में जुटी हुई है. इसके बाद इस प्रस्ताव को गृह विभाग को भेजा जायेगा. फिर इससे जुड़े सभी पहलुओं की समीक्षा करने के बाद इस पर अंतिम स्तर की अनुमति प्राप्त करने के लिए इसे कैबिनेट के समक्ष भेजा जायेगा. कैबिनेट से पास होने के बाद ही अंतिम मुहर लगेगी.

क्या होता है ओपी: आपको बता दें कि ओपी में किसी घटना से संबंधित एफआइआर दर्ज नहीं होती है. ऐसे में अभी यहां के लोगों को काफी समस्या होती है. थाना बनने से पुलिसिंग सशक्त होने के साथ ही किसी मामले की एफआइआर भी दर्ज हो सकेगी और इनका अनुसंधान भी सही तरीके से हो सकेगा. संबंधित क्षेत्र में अपराध नियंत्रण प्रभावी तरीके से हो सकेगा. आने वाले दिनों में बचे हुए 25 ओपी की स्थिति की समीक्षा की जायेगी. अगर जरूरत महसूस की जायेगी, तो इन्हें भी नये थानों में तब्दील करने की कवायद दूसरे चरण में शुरू की जायेगी. इसके साथ ही राज्य में ओपी पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा और सिर्फ थाने ही रहेंगे.

वर्तमान में हैं एक हजार 67 थाना: राज्य में आने वाले कुछ वर्षों में सिर्फ थाने ही खोले जायेंगे, किसी तरह की ओपी खोलने की कोई योजना नहीं रहेगी. जहां जरूरत महसूस की जायेगी, वहां सीधे सभी सुविधाओं वाले मल्टीस्टोरी थाना ही खोले जायेंगे. हालांकि अभी ओपी की अवधारणा को पूरी तरह से समाप्त करने में कुछ वर्षों का समय लगेगा. करीब 200 ओपी को नये थानों में तब्दील करने से राज्य में थानों की संख्या एक हजार 67 से बढ़कर एक हजार 267 हो जायेगी. ओपी का दायरा बढ़ने के साथ ही इनके क्षेत्र से जुड़ी जनसंख्या बढ़ने के कारण ओपी को थानों में तब्दील करने की पहल की जा रही है.

नये थानों के लिए नहीं होगा पदों का सृजन: जानकारी के मुताबिक नये थानों के लिए फिलहाल किसी नये पदों का सृजन नहीं होगा. ओपी में तैनात कर्मी ही इन थानों में तैनात कर दिये जायेंगे और जरूरत पड़ने पर अन्य कर्मियों की पदस्थापना यहां की जायेगी. इसके बाद इन सभी ओपी को थाना में बदलने और इनके लिए अपने भवन के निर्माण से संबंधित प्रक्रिया भी शुरू हो जायेगी.

नये थानों में होंगी कई प्रकार की सुविधाएं: नये थानों में तमाम आधुनिक सुविधाएं जैसे आगांतुक कक्ष, क्रेच होम, महिला शौचालय और बैरक समेत अन्य सभी चीजें रहेंगी. राज्य में जितने भी नये थाने बन रहे हैं, उनमें अब तमाम आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाना है. इन्हें नये थाने का दर्जा मिलने के बाद सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल नेटवर्क सिस्टम) से जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो जायेगी. ताकि सभी थाने और इनमें होने वाले कामकाज ऑनलाइन हो सके.

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