पटना: साइकिल को यातायात का सबसे सुगम, सुरक्षित तथा साधारण माध्यम माना जाता है. साइकिल हर किसी के लिए है. अपनी शुरुआत से लेकर अब तक साइकिल का क्रेज बदस्तूर लोगों में बरकरार है, लेकिन अब इस साइकिल के रोल में बदलाव हो रहा है. पहले यह साइकिल जहां आम मानी जाती थी, अब यही साइकिल खास मानी जा रही है. यानी पहले जिस साधन का उपयोग परिवहन के रूप में किया जा रहा था. अब वही साधन फिटनेस का मंत्र बन गया है.
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फिटनेस के मामले में साइकिल का जोड़ नहीं: आधुनिक बाइक और लग्जरी कारों की भी कमी अपने देश में नहीं है. इन सब का क्रेज लोगों के सिर पर चढ़कर बोलता रहा है, लेकिन फिटनेस के मामले में जो काम साइकिल कर देती है, वह आधुनिक बाइक और लग्जरी कार शायद ही कर पाए. सेहत को दुरुस्त रखने की चाहत हर किसी में होती है. हर उम्र के लोग सेहत को दुरुस्त रखने के लिए सुबह की सैर, एक्सरसाइज, योग और जिम करने लगते हैं, लेकिन एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी भी है जो साइकिलिंग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाती है.
फिट रहने के लिए साइकिलिंग जरूरीः बिहार पुलिस में डीएसपी के पद पर कार्यरत संजीव कुमार सिंह वैसे लोगों में से हैं जो साइकिलिंग के दीवाने हैं. संजीव कहते हैं, अगर खुद को फिट रखना है तो साइकलिंग से बेहतर शायद ही कुछ हो. वह बताते हैं कि प्रतिदिन 30 से 40 मिनट तक साइकिलिंग करता हूं. साइकिलिंग से शरीर की कई सारी बीमारियों में आराम मिलता है. अर्थराइटिस जैसी बीमारी में भी आराम मिलता है. सेहत को अगर दुरुस्त रखना है तो साइकिल चलाना सबसे अहम है. संजीव कहते हैं कि आज की तारीख में लोगों के पास वक्त बहुत कम है. लोग वाहन से ही आते जाते हैं, लेकिन सुबह या शाम को जब भी वक्त मिले, कम से कम 30 से 40 मिनट साइकलिंग जरूर करें.
" अगर खुद को फिट रखना है तो साइकलिंग से बेहतर शायद ही कुछ हो. वह बताते हैं कि प्रतिदिन 30 से 40 मिनट तक साइकिलिंग करता हूं. साइकिलिंग से शरीर की कई सारी बीमारियों में आराम मिलता है. अर्थराइटिस जैसी बीमारी में भी आराम मिलता है. सेहत को अगर दुरुस्त रखना है तो साइकिल चलाना सबसे अहम है" - संजीव कुमार सिंह, डीएसपी
साइकिलिंग से स्वस्थ्य होती हैं जांघों की मांसपेशियां: शहर के प्रसिद्ध डॉ आशीष कुमार सिंह कहते हैं, साइकिलिंग एक्सरसाइज का बहुत महत्वपूर्ण जरिया था. साइकिलिंग करने से लोगों की जांघ और बांह की मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती थी. समय बदल रहा है तो अब हम लोग जिम में साइकिलिंग करते हैं. अब आने जाने का साधन बदल गया है. साइकिलिंग करने से हमारे घुटने के जोड़ स्वस्थ रहते हैं, क्योंकि इससे मांस पेशी स्वस्थ रहती है. साइकिलिंग करने से घुटने में मुड़ाव भी ज्यादा होता है. अगर घुटने के आसपास की मसल्स स्वस्थ रहेगी तो घुटने का जोड़ भी स्वस्थ रहेगा.
साइकिल चलाना एक अच्छी एक्सरसाइजः डॉ आशीष कुमार सिंह कहते हैं, साइकलिंग फिट रखने के लिए हेल्पफुल एक्सरसाइज है. हमलोग आमतौर पर जरूरतमंद मरीज को स्विमिंग और साइकिलिंग करने की ही सलाह देते हैं. क्योंकि इन दोनों में न चाहते हुए भी शरीर की सारी मांसपेशियां मूव करती रहती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार साइकिलिंग एक ऐसा व्यायाम है, जिसके कई फायदे हैं. साइकलिंग करने से कैलोरी बर्न होती है और जो पसीना निकलता है, उससे शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. रक्त संचार की प्रक्रिया और बेहतर हो जाती है. घुटने की समस्या में भी काफी आराम मिलता है और सबसे बड़ी बात अगर नियमित रूप से साइकिल इनकी जाए तो मेटाबॉलिजम अच्छा रहता है.
"साइकिलिंग एक्सरसाइज का बहुत महत्वपूर्ण जरिया था. साइकिलिंग करने से लोगों की जांघ और बांह की मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती थी. समय बदल रहा है तो अब हम लोग जिम में साइकिलिंग करते हैं. अब आने जाने का साधन बदल गया है. साइकिलिंग करने से हमारे घुटने के जोड़ स्वस्थ रहते हैं, क्योंकि इससे मांस पेशी स्वस्थ रहती है. साइकिलिंग करने से घुटने में मुड़ाव भी ज्यादा होता है. अगर घुटने के आसपास की मसल्स स्वस्थ रहेगी तो घुटने का जोड़ भी स्वस्थ रहेगा"- डाॅ आशीष कुमार सिंह, चिकित्सक
20 से 22 इंच की साइकिल फायदेमंद: राजधानी के साइकिल के एक दुकान के ऑनर नरेंद्र सिंह कहते हैं, फिटनेस वाले लोग 20 या 22 इंच वाली साइकिल को लेना पसंद करते हैं. बाजार में जो नई साइकिल हैं. वह चलाने में बहुत अच्छी है. युवाओं के काम में आती है, जो पढ़ने लिखने वाले हैं. वह रेंजर साइकिल को पसंद करते हैं. लेकिन फिटनेस के हिसाब से 20 या 22 इंच वाली साइकिल ज्यादा उपयोगी है. नरेंद्र सिंह ने भी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि लोगों का हेल्थ के प्रति रुझान बढ़ा है और वह साइकिलिंग करना पसंद कर रहे हैं.
दुकानों में साइकिल की ढेर सारी रेंज उपलब्धः नरेंद्र यह भी बताते हैं कि उनकी दुकान में पुरानी परंपरागत 20 या 22 इंच वाली साइकिल के साथ ही रेंजर साइकिल, शॉकर लगी हुई साइकिल, डिस्क ब्रेक वाली साइकिल, गियर साइकिल, इलेक्ट्रिक साइकिल, माउंटेन बैक साइकिल उपलब्ध है. इनमें रेंजर साइकिल की कीमत साढ़े चार हजार से लेकर छह हजार रुपये तक है. जबकि शॉकर लगी हुई साइकिल की कीमत छह हजार से लेकर आठ हजार रुपए तक है. वहीं डिस्क ब्रेक वाली साइकिल पांच हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक, जबकि गियर वाली साइकिल 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक की है. इलेक्ट्रिक साइकिल की कीमत 30 हजार से लेकर 55 हजार रुपए तक है. जबकि फिटनेस के लिए सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली माउंटेन बैक साइकिल की कीमत सात हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक है.
"दुकान में पुरानी परंपरागत 20 या 22 इंच वाली साइकिल के साथ ही रेंजर साइकिल, शॉकर लगी हुई साइकिल, डिस्क ब्रेक वाली साइकिल, गियर साइकिल, इलेक्ट्रिक साइकिल, माउंटेन बैक साइकिल उपलब्ध है. इनमें रेंजर साइकिल की कीमत साढ़े चार हजार से लेकर छह हजार रुपये तक है. जबकि शॉकर लगी हुई साइकिल की कीमत छह हजार से लेकर आठ हजार रुपए तक है" - नरेंद्र सिंह, शॉप ओनर