पटनाः बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र में इस बार जातीय सर्वे रिपोर्ट पर विपक्ष सरकार को घेरने का काम करेगी. 6 नवंबर से शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो रही है. इस बार के सत्र जातीय सर्वे के तहत आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक सर्वे रिपोर्ट भी बनकर तैयार है. जिसे विधानसभा में पेश किया जाएगा. सब की सहमति से कोई प्रस्ताव भी पास किया जा सकता है, जिसमें आरक्षण बढ़ाने का बड़ा प्रस्ताव भी संभव है.
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जातीय सर्वे रिपोर्ट होगी पेशः 2 अक्टूबर को जारी जातीय सर्वे की रिपोर्ट में केवल जातियों का प्रतिशत है. सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रिपोर्ट जारी नहीं हुई है. मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि विधानसभा का जब भी सत्र होगा, उसमें इसे पेश किया जाएगा. नवंबर के पहले सप्ताह में ही शीतकालीन सत्र बुलाई गई है. विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी का कहना है कि 6 नवंबर को विधानसभा पटल पर जातीय सर्वे की रिपोर्ट रखी जाएगी और 7 नवंबर को उस पर विशेष चर्चा होगी.
"6 नवंबर को विधानसभा पटल पर जातीय सर्वे की रिपोर्ट रखी जाएगी. 7 नवंबर को इस पर विशेष चर्चा होगी. सभी दल के नेता शामिल होंगे और बड़ा फैसला भी जातीय सर्वे की रिपोर्ट को लेकर हो सकता है." -महेश्वर हजारी, उपाध्यक्ष बिहार विधानसभा
सरकार को घेरने की तैयारीः जातीय सर्वे की रिपोर्ट पर बीजेपी की तरफ से कई तरह की आपत्ति दर्ज की जा रही है. महागठबंधन के घटक दल के नेताओं के तरफ से भी आंकड़ों पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. ऐसे में इस बार का शीतकालीन सत्र खास होने वाला है. विधानसभा में जब जातीय सर्वे की रिपोर्ट पेश की जाएगी तब उस दौरान भी जो त्रुटियां हैं. उसको दूर करने के लिए बीजेपी के तरफ से चर्चा की जाएगी.
"सीमांचल में बांग्लादेशी घुसपैठियों की अगर गिनती की गई होगी तो उसे बाहर निकलना होगा. इस गणना में असंतोष भारी है. इस असंतोष को कैसे दूर किया जाएगा, इसपर भी चर्चा होगी. बहुत लोग कह रहे हैं कि उनकी गिनती नहीं हुई है. कई जाति को अलग कर दिया गया है. इनसब पर चर्चा होगी." -प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, भाजपा
5 दिनों तक चलेगा शत्रः विधानसभा का शीतकालीन सत्र 5 दिनों का है, जिसमें पहले दिन शोक प्रस्ताव के साथ सर्वेक्षण रिपोर्ट रखी जाएगी. इसके बाद सब की नजर जातीय सर्वे की रिपोर्ट पर ही रहेगी. राजद की ओर से भी पूरी तैयारी है. जातीय सर्वे की रिपोर्ट के बाद जिसकी जितनी हिस्सेदारी है, उतनी भागीदारी के हिसाब से आरक्षण बढ़ाने की मांग सदन के अंदर होगी. हालांकि आरक्षण बढ़ाने के प्रस्ताव को लेकर देखना है कि बीजेपी और जदयू का क्या रूख रहता है?