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HC के शताब्दी बिल्डिंग मुद्दे पर BCI ने लिखा पत्र, कोर्ट सुचारू होने पर निकाला जाएगा समाधान

बीसीआई (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) ने कोरोना काल के दौरान शताब्दी भवन के मुद्दे पर विवाद को सही नहीं बताया है. बीसीआई अध्यक्ष ने कहा हालात सामान्य होने के बाद इसपर समाधान निकालने की बात कही है.

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Published : Jun 17, 2020, 9:57 PM IST

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट

पटना: बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने ऑनलाइन पत्र के जरिये सलाह दी है कि वर्तमान कोरोना संकट काल में जब वर्चुअल कोर्ट चल रहा हो, तब पटना हाईकोर्ट के शताब्दी बिल्डिंग के मुद्दे पर विवाद सही नहीं है. अभी कोरोना संकट के समय इस तरह बात को टाला जाना चाहिए.

पत्र में कहा गया कि जब हाईकोर्ट में सुचारू तौर पर कोर्ट रूम में सुनवाई होने लगेगी और वकीलों का कोर्ट आना जाना शुरू होगा. उस समय शताब्दी भवन के मुद्दे पर आपसी बातचीत से समाधान निकाला जा सकता है. गौरतलब है कि कुछ मुद्दों, विशेषकर शताब्दी भवन के मुद्दे पर वकीलों संघों की समन्वय समिति में मतभेद हो गया है.

'यह वैधानिक नहीं है'
पटना हाइकोर्ट के लॉयर्स और बैरिस्टर असोसिएशन ने सबसे बड़े एडवोकेट एसोसिएशन अलग हो कर अपना समन्वय समिति गठित कर लिया. लेकिन एडवोकेट एसोसिएशन ने इस वैधानिक नहीं माना. उनका कहना है कि चूंकि ये समन्वय समिति के अध्यक्ष व संयोजक का पदेन पद है. इसलिए इन्हें हटाने को वैधानिक नहीं माना जा सकता.

पटना: बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने ऑनलाइन पत्र के जरिये सलाह दी है कि वर्तमान कोरोना संकट काल में जब वर्चुअल कोर्ट चल रहा हो, तब पटना हाईकोर्ट के शताब्दी बिल्डिंग के मुद्दे पर विवाद सही नहीं है. अभी कोरोना संकट के समय इस तरह बात को टाला जाना चाहिए.

पत्र में कहा गया कि जब हाईकोर्ट में सुचारू तौर पर कोर्ट रूम में सुनवाई होने लगेगी और वकीलों का कोर्ट आना जाना शुरू होगा. उस समय शताब्दी भवन के मुद्दे पर आपसी बातचीत से समाधान निकाला जा सकता है. गौरतलब है कि कुछ मुद्दों, विशेषकर शताब्दी भवन के मुद्दे पर वकीलों संघों की समन्वय समिति में मतभेद हो गया है.

'यह वैधानिक नहीं है'
पटना हाइकोर्ट के लॉयर्स और बैरिस्टर असोसिएशन ने सबसे बड़े एडवोकेट एसोसिएशन अलग हो कर अपना समन्वय समिति गठित कर लिया. लेकिन एडवोकेट एसोसिएशन ने इस वैधानिक नहीं माना. उनका कहना है कि चूंकि ये समन्वय समिति के अध्यक्ष व संयोजक का पदेन पद है. इसलिए इन्हें हटाने को वैधानिक नहीं माना जा सकता.

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