ETV Bharat / state

Anand Mohan ने SC में दायर किया हलफनामा, लिखा- 'रिहाई का फैसला मनमाना नहीं..' 8 अगस्त को सुनवाई - DM G Krishnaiah

गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. इसमें आनंद मोहन की तरफ से हलफनामा दायर किया गया है. जिसमें खुद की रिहाई को उन्होंने नियम के साथ सोच समझकर लिया गया फैसला बताया है, जबकि जी कृष्णैया की पत्नी ने याचिका लगाई है कि जिस नियम के तहत वो जेल से छूटे हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट रद्द कर फिर से जेल भेजें. पढ़ें पूरी खबर

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Aug 1, 2023, 10:19 PM IST

Updated : Aug 1, 2023, 10:25 PM IST

पटना : 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन कलेक्टर जी कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल की सजा काट चुके बाहुबली नेता आनंद मोहन ने अपनी रिहाई को विधि सम्मत करार दिया है. उन्होंने अपनी रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका के खिलाफ हलफनामा दायर करके ये बाते कहीं हैं. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि 'रिहाई का फैसला मनमाना नहीं है, काफी सोच-समझकर फैसला हुआ है'.

ये भी पढ़ें- Anand Mohan: आनंद मोहन की बढ़ेंगी मुश्किलें?, रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को नोटिस

8 अगस्त को होगी सुनवाई : बता दें कि इस मामले में 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इस याचिका को दिवंगत जी कृष्णैया की पत्नी उमा की याचिका पर बिहार सरकार, आनंद मोहन और केंद्र से जवाब मांगा था. गौरतलब है कि नीतीश सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर रिहाई को सही ठहरा चुकी है.

आनंद मोहन का हलफनामा : आनंद मोहन की तरफ से हलफानामे में ये भी तर्क दिया गया है कि उनकी रिहाई के फैसले को पीड़ित के मूल अधिकारों का हनन होने की बात कहना गलत होगा. क्योंकि ऐसा कहने से उनकी रिहाई भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ जाएगी. 14 साल जेल में बिताने के आधार पर 27 अप्रैल को उन्हें रिहा किया गया है.

फांसी की सजा.. जेल से आजादी तक.. 'आनंद' : बता दें कि आनंद मोहन को 2007 में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में पटना हाई कोर्ट ने इसे उम्र कैद में तब्दील कर दिया. इसी बीच नीतीश सरकार ने कानून बदलकर 27 अप्रैल को उनके व्यवहार को देखते हुए रिहा कर दिया. इसी को जी कृष्णैया की पत्नी ने विरोध किया है और सरकार का आदेश रद्द करने के साथ ही आनंद मोहन को आजीवन जेल में डालकर रखने की अपील की है. इस मामले में अब 8 अगस्त को सुनवाई होगी.

इस नियम पर है आपत्ति, जिसे रद्द करने की मांग : दरअसल साल 2012 में नीतीश सरकार ने जेल नियमावली में सरकारी कर्मचारी की हत्या को जघन्य अपराध माना था. इस कैटेगरी में सजा पाने वाले को 20 साल से पहले किसी तरह का कोई छूट देने का नियम नहीं था. लेकिन जैसे ही सरकार बदली, महागठबंधन की सरकार बनी तो नीतीश सरकार पर आनंद मोहन को छोड़ने का दबाव आने लगा. नीतीश ने जेल नियमावली चेंज कर कर्मचारी की हत्या को सामान्य श्रणी में रख दिया जिससे आनंद मोहन का बाहर आना आसान हो गया.

पटना : 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन कलेक्टर जी कृष्णैया की हत्या के मामले में जेल की सजा काट चुके बाहुबली नेता आनंद मोहन ने अपनी रिहाई को विधि सम्मत करार दिया है. उन्होंने अपनी रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका के खिलाफ हलफनामा दायर करके ये बाते कहीं हैं. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि 'रिहाई का फैसला मनमाना नहीं है, काफी सोच-समझकर फैसला हुआ है'.

ये भी पढ़ें- Anand Mohan: आनंद मोहन की बढ़ेंगी मुश्किलें?, रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को नोटिस

8 अगस्त को होगी सुनवाई : बता दें कि इस मामले में 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इस याचिका को दिवंगत जी कृष्णैया की पत्नी उमा की याचिका पर बिहार सरकार, आनंद मोहन और केंद्र से जवाब मांगा था. गौरतलब है कि नीतीश सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर रिहाई को सही ठहरा चुकी है.

आनंद मोहन का हलफनामा : आनंद मोहन की तरफ से हलफानामे में ये भी तर्क दिया गया है कि उनकी रिहाई के फैसले को पीड़ित के मूल अधिकारों का हनन होने की बात कहना गलत होगा. क्योंकि ऐसा कहने से उनकी रिहाई भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ जाएगी. 14 साल जेल में बिताने के आधार पर 27 अप्रैल को उन्हें रिहा किया गया है.

फांसी की सजा.. जेल से आजादी तक.. 'आनंद' : बता दें कि आनंद मोहन को 2007 में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में पटना हाई कोर्ट ने इसे उम्र कैद में तब्दील कर दिया. इसी बीच नीतीश सरकार ने कानून बदलकर 27 अप्रैल को उनके व्यवहार को देखते हुए रिहा कर दिया. इसी को जी कृष्णैया की पत्नी ने विरोध किया है और सरकार का आदेश रद्द करने के साथ ही आनंद मोहन को आजीवन जेल में डालकर रखने की अपील की है. इस मामले में अब 8 अगस्त को सुनवाई होगी.

इस नियम पर है आपत्ति, जिसे रद्द करने की मांग : दरअसल साल 2012 में नीतीश सरकार ने जेल नियमावली में सरकारी कर्मचारी की हत्या को जघन्य अपराध माना था. इस कैटेगरी में सजा पाने वाले को 20 साल से पहले किसी तरह का कोई छूट देने का नियम नहीं था. लेकिन जैसे ही सरकार बदली, महागठबंधन की सरकार बनी तो नीतीश सरकार पर आनंद मोहन को छोड़ने का दबाव आने लगा. नीतीश ने जेल नियमावली चेंज कर कर्मचारी की हत्या को सामान्य श्रणी में रख दिया जिससे आनंद मोहन का बाहर आना आसान हो गया.

Last Updated : Aug 1, 2023, 10:25 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.