पटना: राजधानी में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का 93वां स्थापना दिवस समारोह चल रहा है. तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में देशभर के कई नामचीन आयुर्वेद वैज्ञानिकों ने शिरकत की. सेमिनार में चरक संहिता पर विशेष रूप से चर्चा की गई. जानकारों के मुताबिक आयुर्वेद में चरक संहिता की आज भी जरूरत है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आज भी अमल किए जाने से जटिल रोगों का निदान संभव है.
पटना: राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल स्थापना समारोह, चरक संहिता पर हुई चर्चा
राजधानी मे स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का 93वां स्थापना दिवस समारोह चल रहा है. देश के कई आयुर्वेद वैज्ञानिकों ने शिरकत की है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आज भी अमल किए जाने से जटिल रोगों का निदान संभव है.
राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का 93वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन
पटना: राजधानी में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का 93वां स्थापना दिवस समारोह चल रहा है. तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में देशभर के कई नामचीन आयुर्वेद वैज्ञानिकों ने शिरकत की. सेमिनार में चरक संहिता पर विशेष रूप से चर्चा की गई. जानकारों के मुताबिक आयुर्वेद में चरक संहिता की आज भी जरूरत है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आज भी अमल किए जाने से जटिल रोगों का निदान संभव है.
Intro: राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
देश भर के नामचीन आयुर्वेदिक वैज्ञानिकों ने कार्यक्रम में हुए शामिल
राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का चल रहा है इन दिनों 93 स्थापना दिवस समारोह
Body:बिहार का एकमात्र राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का इन दिनों 93 स्थापना दिवस समारोह चल रहा है आज तीसरे दिन राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया, जहां देश भर के कई नामचीन आयुष वैज्ञानिक कार्यक्रम में शिरकत किया और आज सेमिनार में प्रमुखत: चरक संहिता पर विशेष पर चर्चा की गई है, जानकारों के मुताबिक आयुर्वेद में चरक संहिता की आज भी जरूरत है और आज भी उनके चिकित्सा पद्धति पर अमल किए जाने पर जटिल रोगों का निदान संभव है, महाराष्ट्र से आए आयुष वैज्ञानिक प्रोफेसर धर्मअधिकारी की माने तो आयुर्वेद के पुराने ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय है। यह ग्रंथ अंतरिक्ष में पाए जाने वाले पांच तत्व पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश जो हमारे व्यक्तिगत तंत्र पर प्रभाव डालते हैं, उसके बारे में बताते हैं यह स्वस्थ और आनंदमय जीवन के लिए इन पांच तत्वों को संतुलित रखने के लिए महत्व को समझते हैं। आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति दूसरों की तुलना में कुछ तत्वों से अधिक प्रभावित होता है, यह उनकी प्रकृति या प्राकृतिक संरचना के कारण होता है, आयुर्वेद विभिन्न शारीरिक संरचना को तीन विभिन्न वात रोगो में सुनिश्चित करता है वह वात दोष यानी जिसमें वायु और आकाश तत्व प्रबल होते हैं, पीत दोष जिसमें अग्नि दोष प्रबल होता है कफ दोष जिसमें पृथ्वी और जल तत्व प्रबल होते हैं, वात सिर्फ किसी के शरीर के स्वरूप पर ही प्रभाव नहीं डालता परंतु वह शारीरिक प्रवृतियां जैसे भोजन का चुनाव और पाचन और किसी मन के स्वभाव और उसकी भावनाओं पर भी प्रभाव डालता है मौसम के बदलाव के आधार पर जीवन शैली को कैसे अनुकूल बनाया जाए इस पर भी आयुर्वेद मार्गदर्शन देता है, आयुर्वेद में शोधन चिकित्सा में शरीर से दूषित तत्व को शरीर से निकाला जाता है, समन चिकित्सा में शरीर के दोषों को ठीक किया जाता है शरीर को सामान्य स्थिति में वापस लाया जाता है
Conclusion: गौरतलब है की आयुष मंत्रालय ने आयुष को बढ़ावा देने को लेकर अब नए ने एडवांस टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने जा रहा है, कई गंभीर बीमारी डायबिटीज, हेपेटाइटिस इत्यादि कई बीमारियों में एलोपैथी और आयुर्वेदिक का समागम कर गए विभिन्न रोगों को जड़ से इलाज किया जा रहा है गौरतलब है कि आज के सेमिनार कार्यक्रम में महाराष्ट्र ,गुजरात बंगाल, बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश दिल्ली एवं विभिन्न राज्यों से आयुष वैज्ञानिक कार्यक्रम में शिरकत किए। कार्यक्रम में विशेष तौर पर वैध अनंत धर्माधिकारी, वैद्य अभिजीत सराफ, doctor Jyoti, Dr DK Kanojia, doctor Ruby, Dr Parul Gupta, doctor Neetu Singh. आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य डॉ दिनेश उपाध्याय, झारखंड के पूर्व आयुर्वेदिक निदेशक डॉ भरत उपाध्याय, पूर्ववर्ती छात्र संघ के महासचिव डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ प्रभात कुमार द्विवेदी ,कॉलेज के अधीक्षक डॉ देव आनंद सिं,ह छात्र संघ के अध्यक्ष डॉ देवव्रत नारायण सिंह शामिल रहे। बाईट-डॉ प्रोफेसर दिनेश्वर प्रसाद प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेदिकॉलेज अस्पताल
Body:बिहार का एकमात्र राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल का इन दिनों 93 स्थापना दिवस समारोह चल रहा है आज तीसरे दिन राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया, जहां देश भर के कई नामचीन आयुष वैज्ञानिक कार्यक्रम में शिरकत किया और आज सेमिनार में प्रमुखत: चरक संहिता पर विशेष पर चर्चा की गई है, जानकारों के मुताबिक आयुर्वेद में चरक संहिता की आज भी जरूरत है और आज भी उनके चिकित्सा पद्धति पर अमल किए जाने पर जटिल रोगों का निदान संभव है, महाराष्ट्र से आए आयुष वैज्ञानिक प्रोफेसर धर्मअधिकारी की माने तो आयुर्वेद के पुराने ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदय है। यह ग्रंथ अंतरिक्ष में पाए जाने वाले पांच तत्व पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश जो हमारे व्यक्तिगत तंत्र पर प्रभाव डालते हैं, उसके बारे में बताते हैं यह स्वस्थ और आनंदमय जीवन के लिए इन पांच तत्वों को संतुलित रखने के लिए महत्व को समझते हैं। आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति दूसरों की तुलना में कुछ तत्वों से अधिक प्रभावित होता है, यह उनकी प्रकृति या प्राकृतिक संरचना के कारण होता है, आयुर्वेद विभिन्न शारीरिक संरचना को तीन विभिन्न वात रोगो में सुनिश्चित करता है वह वात दोष यानी जिसमें वायु और आकाश तत्व प्रबल होते हैं, पीत दोष जिसमें अग्नि दोष प्रबल होता है कफ दोष जिसमें पृथ्वी और जल तत्व प्रबल होते हैं, वात सिर्फ किसी के शरीर के स्वरूप पर ही प्रभाव नहीं डालता परंतु वह शारीरिक प्रवृतियां जैसे भोजन का चुनाव और पाचन और किसी मन के स्वभाव और उसकी भावनाओं पर भी प्रभाव डालता है मौसम के बदलाव के आधार पर जीवन शैली को कैसे अनुकूल बनाया जाए इस पर भी आयुर्वेद मार्गदर्शन देता है, आयुर्वेद में शोधन चिकित्सा में शरीर से दूषित तत्व को शरीर से निकाला जाता है, समन चिकित्सा में शरीर के दोषों को ठीक किया जाता है शरीर को सामान्य स्थिति में वापस लाया जाता है
Conclusion: गौरतलब है की आयुष मंत्रालय ने आयुष को बढ़ावा देने को लेकर अब नए ने एडवांस टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने जा रहा है, कई गंभीर बीमारी डायबिटीज, हेपेटाइटिस इत्यादि कई बीमारियों में एलोपैथी और आयुर्वेदिक का समागम कर गए विभिन्न रोगों को जड़ से इलाज किया जा रहा है गौरतलब है कि आज के सेमिनार कार्यक्रम में महाराष्ट्र ,गुजरात बंगाल, बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश दिल्ली एवं विभिन्न राज्यों से आयुष वैज्ञानिक कार्यक्रम में शिरकत किए। कार्यक्रम में विशेष तौर पर वैध अनंत धर्माधिकारी, वैद्य अभिजीत सराफ, doctor Jyoti, Dr DK Kanojia, doctor Ruby, Dr Parul Gupta, doctor Neetu Singh. आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य डॉ दिनेश उपाध्याय, झारखंड के पूर्व आयुर्वेदिक निदेशक डॉ भरत उपाध्याय, पूर्ववर्ती छात्र संघ के महासचिव डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ प्रभात कुमार द्विवेदी ,कॉलेज के अधीक्षक डॉ देव आनंद सिं,ह छात्र संघ के अध्यक्ष डॉ देवव्रत नारायण सिंह शामिल रहे। बाईट-डॉ प्रोफेसर दिनेश्वर प्रसाद प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेदिकॉलेज अस्पताल