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अब आयुर्वेद की तरफ बढ़ने लगा है लोगों का रुझान, गंभीर बीमारियां भी हो जाती है ठीक

सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद एक बार फिर से अपने पुराने अस्तित्व में आ चुकी है. अब आयुर्वेद की हर तरफ मांग बढ़ रही है. लोगों के बीच इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ गई है.

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज
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Published : Sep 12, 2019, 3:19 PM IST

पटना: प्रदेश में राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज ने फिर एक बार एलोपैथी को पीछे छोड़ दिया है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एक व्यक्ति पिछले 5 सालों से सोरायसिस नामक बीमारी से परेशान था. उसने बड़े शहरों के अस्पतालों में अपना इलाज करवा कर देख लिया. लेकिन उसको जितना फायदा आयुर्वेद ने दिया उतना किसी ने नहीं.

आयुर्वेद को फिर अपना रहे हैं लोग
देश की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद एक बार फिर से अपने पुराने अस्तित्व में आ चुकी है. अब आयुर्वेद का हर तरफ मांग बढ़ रहा है. लोगों के बीच इसके प्रति जागरुकता भी बढ़ गई है. एक समय था कि आयुर्वेद को छोड़कर लोग एलोपैथी के पीछे भागते नजर आ रहे थे. लेकिन अब हर कोई अपने पुराने से पुराने असाध्य रोगों के इलाज के लिए आयुर्वेद को ज्यादा से ज्यादा अपना रहे हैं.

patna
सोरायसिस बीमारी से ग्रसित था राकेश

सभी बीमारियों को ठीक करता है आयुर्वेद
ऐसा ही कुछ देखने को मिला प्रदेश के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में, जहां राकेश को सोरायसिस नाम की बीमारी हो गई. राकेश ने बताया कि उसने दिल्ली, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में जाकर इस बीमारी का इलाज करवाया. लेकिन कहीं भी फायदा नहीं हुआ. इसके बाद उसने आयुर्वेद को अपनाया. उसने बताया कि आयुर्वेद से इलाज करवाने से मुझे एक महीने में ही 50 प्रतिशत का फायदा हो गया है. मैंने लाखों लाख पैसे खर्च किए, लेकिन राहत मुझे आयुर्वेद से ही मिली.

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज

पुरानी पद्धति से किया जाता है इलाज
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रोफेसर दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि आयुर्वेद में हर वो सारी पुरानी पद्धति को फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है. ऐसे में जितने भी असाध्य रोग हैं, उनका इलाज जड़ से समाप्त होता है. एलोपैथी से लाइलाज हुए बीमारी भी यहां ठीक हो जाते हैं.

पटना: प्रदेश में राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज ने फिर एक बार एलोपैथी को पीछे छोड़ दिया है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एक व्यक्ति पिछले 5 सालों से सोरायसिस नामक बीमारी से परेशान था. उसने बड़े शहरों के अस्पतालों में अपना इलाज करवा कर देख लिया. लेकिन उसको जितना फायदा आयुर्वेद ने दिया उतना किसी ने नहीं.

आयुर्वेद को फिर अपना रहे हैं लोग
देश की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद एक बार फिर से अपने पुराने अस्तित्व में आ चुकी है. अब आयुर्वेद का हर तरफ मांग बढ़ रहा है. लोगों के बीच इसके प्रति जागरुकता भी बढ़ गई है. एक समय था कि आयुर्वेद को छोड़कर लोग एलोपैथी के पीछे भागते नजर आ रहे थे. लेकिन अब हर कोई अपने पुराने से पुराने असाध्य रोगों के इलाज के लिए आयुर्वेद को ज्यादा से ज्यादा अपना रहे हैं.

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सोरायसिस बीमारी से ग्रसित था राकेश

सभी बीमारियों को ठीक करता है आयुर्वेद
ऐसा ही कुछ देखने को मिला प्रदेश के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में, जहां राकेश को सोरायसिस नाम की बीमारी हो गई. राकेश ने बताया कि उसने दिल्ली, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में जाकर इस बीमारी का इलाज करवाया. लेकिन कहीं भी फायदा नहीं हुआ. इसके बाद उसने आयुर्वेद को अपनाया. उसने बताया कि आयुर्वेद से इलाज करवाने से मुझे एक महीने में ही 50 प्रतिशत का फायदा हो गया है. मैंने लाखों लाख पैसे खर्च किए, लेकिन राहत मुझे आयुर्वेद से ही मिली.

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज

पुरानी पद्धति से किया जाता है इलाज
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रोफेसर दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि आयुर्वेद में हर वो सारी पुरानी पद्धति को फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है. ऐसे में जितने भी असाध्य रोग हैं, उनका इलाज जड़ से समाप्त होता है. एलोपैथी से लाइलाज हुए बीमारी भी यहां ठीक हो जाते हैं.

Intro: एलोपैथी से हुए लाइलाज को मिला आयुर्वेद का सहारा,
पिछले 5 साल से लाखों रुपए खर्च कर सोरायसिस बीमारी से ग्रसित थे


Body:देश की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद एक बार फिर से अपने पुराने अस्तित्व में आ चुका है और आयुर्वेद का हर तरफ डिमांड बढ रहा है, लोगों के बीच इसके प्रति जागरूकता भी बढ़ गई है, एक समय था कि आयुर्वेद को छोड़कर लोग एलोपैथी के पीछे भागते नजर आ रहे थे लेकिन अब हर कोई अपने पुराने से पुराने असाध्य रोगों के इलाज के लिए आयुर्वेद के तरफ जाते दिख रही हैं
ऐसे में ही एक ताजा मामला सामने आया है जो एलोपैथी से आजिज होकर उसे लाइलाज होने के बाद उन्हें आयुर्वेद का दामन थामा है, जहां उन्हें उनकी बीमारी ठीक होने लगी है, गौरतलब है कि आरा निवासी रमेश कुमार जिन्हे सोराइसिस जैसे असाध्य रोग से ग्रसित थे वह पिछले 5 सालों से एलोपैथी का इलाज देश के विभिन्न राज्यों में जा जाकर इलाज करवा कर थक गए थे, इस बीच उन्हें लाखों रुपए खर्च का भी उठानी पड़ी, बावजूद उनकी बीमारी ठीक नहीं हुई, तब जाकर वह पटना स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल में एडमिट किए गयो
लेकिन शुरुआती दौर में उनकी बीमारी को देखकर कोई उसे एडमिट नहीं ले रहा था लेकिन आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने इस बीमारी को चैलेंज के रूप में स्वीकार किया और उन्हें भर्ती किया और आज तकरीबन 1 महीने बाद 50% से ज्यादा वह बीमारी खत्म हो चुकी है, मरीज इससे काफी खुश हैं,मरीज ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि यह बीमारी एलोपैथी में हम दवा करा कर थक चुके थे और लाखों रुपए खर्च कर चुके थे, बावजूद हमारी बीमारी ठीक नहीं हो रही थी, ऐसे में आयुर्वेद एक तरफ से चमत्कार है जिसे हम ठीक हो रहे हैं


Conclusion:राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रोफेसर दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि आयुर्वेद में हर वह सारी पुरानी पति को फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है ऐसे में जितने भी असाध्य रोग हैं उनका इलाज जड़ से समाप्त होता है एलोपैथी से लाइलाज हुए बीमारी भी यहां ठीक हो जाते हैं



बाईट:-रमेश मरीज,आरा निवासी
बाईट:-डॉ प्रो.दिनेश्वर प्रसाद, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल, पटना
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