पटना: आईजीआईएमएस पटना में बुधवार को साइबर अपराधियों ने अस्पताल के सर्वर को हैक करने की कोशिश की थी. लगभग ढाई घंटे तक सर्वर पूरी तरह ठप रहा और मरीजों की सुविधा को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने ओपीडी आवर को ढाई घंटे के लिए एक्सटेंड किया. साथ ही सभी काम मैनुअली हुए.
IGIMS अस्पताल के सर्वर को हैक करने की कोशिश : बुधवार को ही टेक्निकल टीम ने सर्वर को ठीक कर लिया लेकिन गुरुवार और शुक्रवार दोनों दिन सर्वर की चाल काफी धीमी रही जिससे मरीज और उनके परिजन बेहाल रहे. सर्वर की चाल धीमी रहने की वजह से अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मरीजों का पर्चा बनाने में देरी हुई और काउंटर पर मरीजों की लंबी कतार लग गई.
दो दिन स्लों रहा IGIMS का सर्वर: रजिस्ट्रेशन काउंटर पर मरीजों की धक्का-मुक्की को देखते हुए रजिस्ट्रेशन अवधि को 1 घंटे के लिए बढ़ाया गया. साथ ही ओपीडी आवर को भी बढ़ाया गया. अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने चिकित्सकों को निर्देश दिया कि ओपीडी में सभी मरीजों को देखने के बाद ही अस्पताल से जाएं. अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को सर्वर हैक करने की कोशिश के बाद अगले 2 दिन सर्वर थोड़ा स्लो रहा.
रिबूट के बाद सामान्य होने में लगता है समय: डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि सर्वर को चेंज किया गया है और उसे अपडेट किया जा रहा है. मरीज को सहूलियत देने में कहीं कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने बताया कि अभी के समय में सर्वर थोड़ा स्लो जरूर है लेकिन इसके पीछे वजह है कि कोई भी टेक्निकल चीज हो चाहे मोबाइल हो या कंप्यूटर, जब रिपेयर होकर रिबूट होता है तो थोड़ा समय लगता है.
"रिबूट होने के बाद सही से काम करने में समय लगता है. सर्वर स्लो होने के पीछे कारण है कि डाटा इतना अधिक है, पिछले 15 साल का डाटा है, उसे रिकवर करके रिजेनरेट करने में समय लग रहा है. मरीजों की सहूलियत रखने के लिए कई कार्य मैनुअली शुरू कर दिए गए हैं. उसका डाटा बाद में अपलोड किया जा रहा है. सभी ऑपरेशन हो रहे हैं. ओपीडी में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्चा तैयार हो रहा है. इमरजेंसी भी सही ढंग से चल रही है."-डॉ मनीष मंडल, अधीक्षक,आईजीआईएमएस पटना
मामले की होगी जांच: सर्वर को लेकर शुक्रवार तक थोड़ी समस्या थी लेकिन शनिवार को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं आ रही है. डॉक्टर मनीष मंडल ने कहा कि बीते 15 वर्षों का डाटा एक बार रिस्टोर हो जाए, फिर आगे जांच की जाएगी. अभी मुख्य फोकस है कि मरीजों को सहूलियत मिले और उन्हें कोई परेशानी ना हो. मरीजों का काम कहीं कोई प्रभावित ना हो. डाटा रिस्टोर होने के बाद जांच किया जाएगा और जहां गड़बड़ी पाई जाएगी उसको लेकर जरूरत पड़ी तो मामला भी दर्ज कराया जाएगा क्योंकि यह जांच का विषय जरूर है.