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पटना में आशा कार्यकर्ताओं ने निकाला आक्रोश मार्च, स्वास्थ्य कर्मचारी का दर्जा और 21 हजार वेतन की मांग

पटना में आशा कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन (Asha Workers Protest in Patna) किया और उनकी मांग नहीं माने जाने पर बड़े पैमाने पर आंदोलन किये जाने की चेतावनी दी.

Asha Workers Akrosh March in Patna
पटना में आशा कार्यकर्ताओं का आक्रोश मार्च
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Published : Mar 12, 2022, 5:17 PM IST

पटना: राजधानी पटना में आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय में वृद्धि करने और स्वास्थ्य कर्मियों का दर्जा देने की मांग को लेकर विधानसभा के सामने विशाल आक्रोश मार्च (Asha Workers Akrosh March in Patna) निकाला. यह आक्रोश मार्च बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (Bihar ASHA Workers Association) की अध्यक्ष शशि यादव के नेतृत्व में निकाला गया. जो गर्दनीबाग धरनास्थल पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन में भारी भीड़ देखने को मिली. वहीं, उनकी मांग नहीं माने जाने पर उन्होंने व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी.

ये भी पढ़ें- सीपीआई माले विधायकों ने सफाई कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाने को लेकर किया प्रदर्शन

आशा को नहीं मिलता मानदेय: सभा को सम्बोधित करते हुए आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि बिहार सरकार आशाओं से बेगारी में काम लेना चाहती है. सप्ताह भर 24 घंटे काम करने के बाद आशा कार्यकर्ताओं को कोई मानदेय नहीं मिलता है. विगत दिनों जब हड़ताल की गई थी. जिसके बाद सरकार ने एक हजार मानदेय देने की घोषणा की थी. जिसे सरकार ने बड़ी चालाकी से पारितोषिक में बदलकर आशाओं के साथ विश्वासघात किया. मासिक मानदेय के बदले 1000 के पारितोषिक का आशाओं को नहीं चाहिए.

आंदोलन की चेतावनी: वहीं,आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि आशा कार्यकर्ता अब और बेगारी नही करेंगी. उन्हें स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी घोषित कर 21 हज़ार रुपये मासिक मानदेय सरकार को देना होगा. जब तक यह सरकार घोषणा नहीं करती, वे लोग सड़क तक लड़ते रहेंगे. अगर सरकार उनकी बात नहीं मानी तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

सदन में उठेगा मुद्दा: इस आंदोलन का समर्थन करते हुए भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं की वाजिब मांग को सदन में उठाया है. स्कीम वर्कर्स के शोषण को लेकर सदन में विशेष चर्चा की मांग की है. वे सब मुख्यमंत्री से मिलकर आशाओं के मासिक मानदेय के सवाल को मज़बूती से उठाएंगे.

ये भी पढ़ें- बजट सत्र 2022: विपक्ष ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर सरकार को घेरा, स्वास्थ्य सेवा और बेरोजगारी को लेकर प्रदर्शन

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पटना: राजधानी पटना में आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय में वृद्धि करने और स्वास्थ्य कर्मियों का दर्जा देने की मांग को लेकर विधानसभा के सामने विशाल आक्रोश मार्च (Asha Workers Akrosh March in Patna) निकाला. यह आक्रोश मार्च बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (Bihar ASHA Workers Association) की अध्यक्ष शशि यादव के नेतृत्व में निकाला गया. जो गर्दनीबाग धरनास्थल पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन में भारी भीड़ देखने को मिली. वहीं, उनकी मांग नहीं माने जाने पर उन्होंने व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी.

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आशा को नहीं मिलता मानदेय: सभा को सम्बोधित करते हुए आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि बिहार सरकार आशाओं से बेगारी में काम लेना चाहती है. सप्ताह भर 24 घंटे काम करने के बाद आशा कार्यकर्ताओं को कोई मानदेय नहीं मिलता है. विगत दिनों जब हड़ताल की गई थी. जिसके बाद सरकार ने एक हजार मानदेय देने की घोषणा की थी. जिसे सरकार ने बड़ी चालाकी से पारितोषिक में बदलकर आशाओं के साथ विश्वासघात किया. मासिक मानदेय के बदले 1000 के पारितोषिक का आशाओं को नहीं चाहिए.

आंदोलन की चेतावनी: वहीं,आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि आशा कार्यकर्ता अब और बेगारी नही करेंगी. उन्हें स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी घोषित कर 21 हज़ार रुपये मासिक मानदेय सरकार को देना होगा. जब तक यह सरकार घोषणा नहीं करती, वे लोग सड़क तक लड़ते रहेंगे. अगर सरकार उनकी बात नहीं मानी तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

सदन में उठेगा मुद्दा: इस आंदोलन का समर्थन करते हुए भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं की वाजिब मांग को सदन में उठाया है. स्कीम वर्कर्स के शोषण को लेकर सदन में विशेष चर्चा की मांग की है. वे सब मुख्यमंत्री से मिलकर आशाओं के मासिक मानदेय के सवाल को मज़बूती से उठाएंगे.

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