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लाचार हैं बिहार के कलाकार, सरकार की योजनाओं का नहीं मिल रहा फायदा

बिहार के युवा निदेशक और रंगकर्मी सुमन सौरभ ने बताया कि सरकार की योजनाएं तो काफी बेहतर है. लेकिन इनका लाभ कलाकारों को नहीं मिल पाता है. ऐसे कलाकार जिनको सरकार की योजनाओं की काफी आवश्यकता होती है.

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Published : Jan 19, 2021, 1:59 PM IST

Updated : Jan 19, 2021, 3:19 PM IST

बिहार के कलाकार
बिहार के कलाकार

पटना: बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है काफी संख्या में ऐसे रंगकर्मी और कलाकार हैं. जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बलबूते पर बिहार का नाम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रोशन किया है. कलाकारों के लिए बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग ने कई योजनाएं बनाई और कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं भी की. सरकार ने वाहवाही भी लूटी लेकिन क्या सरकार की योजनाओं का लाभ कलाकारों को मिल पा रहा है या नहीं इसका जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम पटना के कई कलाकारों से मिलने पहुंची.

योजनाओं को नहीं मिल रहा लाभ
बिहार के युवा निदेशक और रंगकर्मी सुमन सौरभ ने बताया कि सरकार की योजनाएं तो काफी बेहतर है. लेकिन इनका लाभ कलाकारों को नहीं मिल पाता है. ऐसे कलाकार जिनको सरकार की योजनाओं की काफी आवश्यकता होती है. जो गांव में रहते हैं उन्हें सरकार की कोई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. लाभ सिर्फ उन्हें मिलता है जिन कलाकारों की सांठगांठ बेहतर होती है और वैसे संस्था को अनुदान मिलता है. जिनकी लाइजनिंग सरकार और विभाग के लोगों के साथ होती है. सरकार की जो योजनाएं हैं उनका इंप्लीमेंटेशन बेहतर तरीके से होगा तभी जाकर उन कलाकारों को लाभ मिल पाएगा. जिन्हें वाकई में जरूरत होती है. वहीं, वरिष्ठ रंगकर्मी मिथिलेश कुमार सरकार के प्रति काफी आक्रोशित दिखे. उन्होंने कहा सरकार कलाकारों की, और रंग कर्मियों की मदद नहीं करना चाहती है. कई बार कलाकारों से डेटाबेस के लिए आवेदन लिए गए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- बेगूसराय: लॉकडाउन के दौरान की थी क्वारंटीन किए गए लोगों की सेवा, अब कर रहे अनशन

'सरकार सिर्फ बहाने बनाती है'
वहीं, जब भी मदद की बात आती है तो सरकार कहती है उनके पास डेटाबेस उपलब्ध नहीं है. हर बार कलाकारों का आवेदन लिया जाता है लेकिन डेटाबेस तैयार नहीं किया जाता है. सरकार मदद नहीं करने के लिए सिर्फ और सिर्फ बहाना बनाती है. कलाकार अपने लिए नहीं बल्कि अपने राज्य और देश का नाम रोशन करने के लिए कार्य करते हैं. निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देते हैं लेकिन बावजूद इसके जब उन्हें मदद की जरूरत होती है तो सरकार सिर्फ बहाने बनाती है. बिहार सरकार और केंद्र सरकार के पास कई ऐसी संस्थाएं हैं. जिनके पास कलाकारों का पूरा डेटाबेस उपलब्ध है बावजूद उसके सरकार कलाकारों की मदद नहीं करती है. पहले के जमाने में राजा महाराजा कलाकारों की काफी इज्जत करते थे उन्हें संरक्षण देते थे. लेकिन आज के समय में सब कुछ खत्म हो चुका है. सरकार को कलाकारों की कोई चिंता ही नहीं बस उनसे काम निकलवाना है.

भिखारी ठाकुर सम्मान से नवाजे गए रंगकर्मी
भिखारी ठाकुर सम्मान से नवाजे गए रंगकर्मी धर्मेश मेहता ने बताया कि कोरोना काल में सरकार ने कलाकार प्रोत्साहन नीति बनाई थी. जिसमें कलाकारों को आर्थिक मदद करना था. लेकिन सरकार ने कलाकारों की मदद तो नहीं की कलाकारों का मजाक जरूर बनाया. विकट परिस्थिति में जब कलाकार आर्थिक स्थिति से जूझ रहे थे उस समय सरकार ने उनसे वीडियो बनाकर अपलोड करने की बात कही. कलाकारों ने मुश्किल से वह भी बनाया लेकिन आज तक हमारे खाते में कोई मदद किया ही नहीं पहुंची. बिहार सरकार खिलाड़ियों को नौकरी देती है जो साल में एक दो बार खेलते हैं. लेकिन हम रंगकर्मी पूरे साल मेहनत करके समाज को जागरूक करते हैं और समाज को आईना दिखाते हैं. इसके बावजूद उसके हमें सरकारी नौकरी नहीं दी जाती है.

ये भी पढ़ें-पटना स्मार्ट सिटी का बढ़ा दायरा, नगर विकास विभाग ने दी मंजूरी

कलाकारों पर ध्यान देती है सरकार
सरकार घोषणा है तो बहुत सी कर देती है लेकिन धरातल पर कुछ देखने को नहीं मिलता. कलाकारों के जीते-जी उन पर सरकार ध्यान नहीं देती और कलाकारों के गुजर जाने के बाद उन्हें सम्मान देती है ऐसे सम्मान का क्या फायदा. वाकई में सरकार कलाकारों की मदद करना चाहती है तो जो सरकार की योजनाएं हैं. उनको धरातल पर बेहतर तरीके से लागू किया जाए. इस मामले पर जब हम सरकार का पक्ष जानने सचिवालय स्थित कला संस्कृति विभाग पहुंचे तो पता चला कि मंत्री मंगल पांडे कोरोना की वैक्सीन आई है उसी में व्यस्त हैं. प्रधान सचिव अपने कार्यालय नहीं पहुंचे. इन सवालों को लेकर जब हम कला संस्कृति निदेशालय के निदेशक अनिमेष पराशर से मिलने पहुंचे तो उन्होंने हमें घंटों बिठाए रखा और हमसे बातचीत भी नहीं की. ऐसे में कह सकते हैं कि कहीं ना कहीं सरकार की योजनाओं में कोई खोट है जिस कारण ना तो विभाग ने कोई जानकारी दी ना हमसे मिलना उचित समझा.

कलाकारों में काफी आक्रोश
सरकार के उदासीन रवैये से कलाकारों में काफी आक्रोश है. जाहिर सी बात है आक्रोश वाजिब भी है क्योंकि जो रंगकर्मी और कलाकार अपने राज्य का नाम पूरे देश और विदेश में रोशन कर रहे हैं. जब वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हो या उनके लिए जो योजनाएं बनाई गई है. उसका लाभ उन्हें ना मिले तो कोई भी आक्रोशित हो जाएगा. वहीं, कलाकारों ने यह भी साफ कर दिया है कि पिछले कई सालों से उनकी मांग है कि नाटक शिक्षक की बहाली हो. लेकिन सरकार इस पर कोई वार्ता नहीं करती इसको लेकर भी शांतिपूर्ण तरीके से अपने नाटक की प्रस्तुति के माध्यम से सरकार से लगातार मांग करते रहेंगे. जब तक सरकार इस मांग को नहीं मानती. अब देखना यह है कि क्या सरकार की नींद खुलेगी ? कलाकारों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा ? या, जिस तरीके से अभी कार्य चल रहा है उसी तरीके से आगे भी चलेगा?

पटना: बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है काफी संख्या में ऐसे रंगकर्मी और कलाकार हैं. जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बलबूते पर बिहार का नाम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी रोशन किया है. कलाकारों के लिए बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग ने कई योजनाएं बनाई और कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं भी की. सरकार ने वाहवाही भी लूटी लेकिन क्या सरकार की योजनाओं का लाभ कलाकारों को मिल पा रहा है या नहीं इसका जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम पटना के कई कलाकारों से मिलने पहुंची.

योजनाओं को नहीं मिल रहा लाभ
बिहार के युवा निदेशक और रंगकर्मी सुमन सौरभ ने बताया कि सरकार की योजनाएं तो काफी बेहतर है. लेकिन इनका लाभ कलाकारों को नहीं मिल पाता है. ऐसे कलाकार जिनको सरकार की योजनाओं की काफी आवश्यकता होती है. जो गांव में रहते हैं उन्हें सरकार की कोई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. लाभ सिर्फ उन्हें मिलता है जिन कलाकारों की सांठगांठ बेहतर होती है और वैसे संस्था को अनुदान मिलता है. जिनकी लाइजनिंग सरकार और विभाग के लोगों के साथ होती है. सरकार की जो योजनाएं हैं उनका इंप्लीमेंटेशन बेहतर तरीके से होगा तभी जाकर उन कलाकारों को लाभ मिल पाएगा. जिन्हें वाकई में जरूरत होती है. वहीं, वरिष्ठ रंगकर्मी मिथिलेश कुमार सरकार के प्रति काफी आक्रोशित दिखे. उन्होंने कहा सरकार कलाकारों की, और रंग कर्मियों की मदद नहीं करना चाहती है. कई बार कलाकारों से डेटाबेस के लिए आवेदन लिए गए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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'सरकार सिर्फ बहाने बनाती है'
वहीं, जब भी मदद की बात आती है तो सरकार कहती है उनके पास डेटाबेस उपलब्ध नहीं है. हर बार कलाकारों का आवेदन लिया जाता है लेकिन डेटाबेस तैयार नहीं किया जाता है. सरकार मदद नहीं करने के लिए सिर्फ और सिर्फ बहाना बनाती है. कलाकार अपने लिए नहीं बल्कि अपने राज्य और देश का नाम रोशन करने के लिए कार्य करते हैं. निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देते हैं लेकिन बावजूद इसके जब उन्हें मदद की जरूरत होती है तो सरकार सिर्फ बहाने बनाती है. बिहार सरकार और केंद्र सरकार के पास कई ऐसी संस्थाएं हैं. जिनके पास कलाकारों का पूरा डेटाबेस उपलब्ध है बावजूद उसके सरकार कलाकारों की मदद नहीं करती है. पहले के जमाने में राजा महाराजा कलाकारों की काफी इज्जत करते थे उन्हें संरक्षण देते थे. लेकिन आज के समय में सब कुछ खत्म हो चुका है. सरकार को कलाकारों की कोई चिंता ही नहीं बस उनसे काम निकलवाना है.

भिखारी ठाकुर सम्मान से नवाजे गए रंगकर्मी
भिखारी ठाकुर सम्मान से नवाजे गए रंगकर्मी धर्मेश मेहता ने बताया कि कोरोना काल में सरकार ने कलाकार प्रोत्साहन नीति बनाई थी. जिसमें कलाकारों को आर्थिक मदद करना था. लेकिन सरकार ने कलाकारों की मदद तो नहीं की कलाकारों का मजाक जरूर बनाया. विकट परिस्थिति में जब कलाकार आर्थिक स्थिति से जूझ रहे थे उस समय सरकार ने उनसे वीडियो बनाकर अपलोड करने की बात कही. कलाकारों ने मुश्किल से वह भी बनाया लेकिन आज तक हमारे खाते में कोई मदद किया ही नहीं पहुंची. बिहार सरकार खिलाड़ियों को नौकरी देती है जो साल में एक दो बार खेलते हैं. लेकिन हम रंगकर्मी पूरे साल मेहनत करके समाज को जागरूक करते हैं और समाज को आईना दिखाते हैं. इसके बावजूद उसके हमें सरकारी नौकरी नहीं दी जाती है.

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कलाकारों पर ध्यान देती है सरकार
सरकार घोषणा है तो बहुत सी कर देती है लेकिन धरातल पर कुछ देखने को नहीं मिलता. कलाकारों के जीते-जी उन पर सरकार ध्यान नहीं देती और कलाकारों के गुजर जाने के बाद उन्हें सम्मान देती है ऐसे सम्मान का क्या फायदा. वाकई में सरकार कलाकारों की मदद करना चाहती है तो जो सरकार की योजनाएं हैं. उनको धरातल पर बेहतर तरीके से लागू किया जाए. इस मामले पर जब हम सरकार का पक्ष जानने सचिवालय स्थित कला संस्कृति विभाग पहुंचे तो पता चला कि मंत्री मंगल पांडे कोरोना की वैक्सीन आई है उसी में व्यस्त हैं. प्रधान सचिव अपने कार्यालय नहीं पहुंचे. इन सवालों को लेकर जब हम कला संस्कृति निदेशालय के निदेशक अनिमेष पराशर से मिलने पहुंचे तो उन्होंने हमें घंटों बिठाए रखा और हमसे बातचीत भी नहीं की. ऐसे में कह सकते हैं कि कहीं ना कहीं सरकार की योजनाओं में कोई खोट है जिस कारण ना तो विभाग ने कोई जानकारी दी ना हमसे मिलना उचित समझा.

कलाकारों में काफी आक्रोश
सरकार के उदासीन रवैये से कलाकारों में काफी आक्रोश है. जाहिर सी बात है आक्रोश वाजिब भी है क्योंकि जो रंगकर्मी और कलाकार अपने राज्य का नाम पूरे देश और विदेश में रोशन कर रहे हैं. जब वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे हो या उनके लिए जो योजनाएं बनाई गई है. उसका लाभ उन्हें ना मिले तो कोई भी आक्रोशित हो जाएगा. वहीं, कलाकारों ने यह भी साफ कर दिया है कि पिछले कई सालों से उनकी मांग है कि नाटक शिक्षक की बहाली हो. लेकिन सरकार इस पर कोई वार्ता नहीं करती इसको लेकर भी शांतिपूर्ण तरीके से अपने नाटक की प्रस्तुति के माध्यम से सरकार से लगातार मांग करते रहेंगे. जब तक सरकार इस मांग को नहीं मानती. अब देखना यह है कि क्या सरकार की नींद खुलेगी ? कलाकारों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा ? या, जिस तरीके से अभी कार्य चल रहा है उसी तरीके से आगे भी चलेगा?

Last Updated : Jan 19, 2021, 3:19 PM IST
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