पटना: कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश में न्यायिक कार्य बाधित हुए हैं. लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद अब जिन विवादों को निपटारा कोर्ट में नहीं हो सका था. उसकी सुनवाई आर्बिट्रेशन कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जा रही है. कोर्ट ने यह निर्णय न्यायिक कार्यों को फिर से सुचारू रूप से संचालित करने के लिए लिया है.
स्थिति सामान्य होने तक जारी कार्य
बताया जा रहा है कि आर्बिट्रेशन से संबंधित मामलों की सुनवाई अधिकांश पटना हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज और रिटायर्ड जिला जज करते हैं. इसमें दोनों पक्षों को फीस का बराबर भुगतान करना पड़ता है. मिल रही जानकारी के अनुसार पटना उच्च न्यायालय के कई जज जो वर्तमान में पटना में नहीं रहते हैं. उन्हें भी आर्बिट्रेटर नियुक्त किया गया है. कोरोना से उत्पन्न हालात जबतक सामान्य नहीं हो जाते तबतक वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आर्बिट्रेशन का काम जारी रहेगा.
क्या है आर्बिट्रेटर?
बता दें कि जिन मामले का निपटारा कोर्ट में नहीं हो पाता है. उसे दोनों पक्षों के सहमति से आर्बिट्रेटर के पास भेज दिया जाता है. आर्बिट्रेटर की बहाली उच्च न्यायालय करती है. आर्बिट्रेटर शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द आर्बिट्रेशन (Arbitraton) से हुई है. जिसका मतलब मध्यस्थता होती है. इसमें पक्षकार किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के माध्यम अपने विवादों का निपटारा करवाते हैं. जो दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात बीच का रास्ता निकालता है. जैसे 'पंच' या 'पंचायत' माध्यस्थम का ही एक नया रूप है.