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पटना: शराबबंदी की वजह से बिहार में NH पर 2019 में नहीं हुआ एक भी हादसा - बिहार में पूर्ण शराबबंदी

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी का लगातार वीडियो वायरल होते रहता है. जिसमें पुलिस वाले ही शराब पीते या बेच पाते नजर आते हैं.

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Published : Sep 23, 2020, 11:43 AM IST

पटनाः बिहार में 5 अप्रैल 2016 से शराबबंदी कानून लागू है. सरकार इससे अपराध और घरेलू हिंसा में कमी होने की बात कहती आई है. इस कड़ी में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में पेश की गई रिपोर्ट में एक और खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल बिहार इकलौता ऐसा राज्य है जहां एनएच पर शराब पीने की वजह से एक भी हादसा नहीं हुआ है.

दुर्घटना का एक भी मामला नहीं आया सामने
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था. रिपोर्ट के अनुसार असम, पंजाब, उड़ीसा, हरियाणा और झारखंड जैसे छोटे राज्य सहित देश के 9 प्रदेशों में बिहार से कई गुना अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं. 5300 किलोमीटर से अधिक एनएच बिहार से गुजरता है. इसके बावजूद यहां अब तक 2019 से शराब पीकर वाहन चलाते समय दुर्घटना का एक भी मामला सामने नहीं आया है.

देखें रिपोर्ट
चुनाव के समय केंद्र को आने लगी बिहार की याद
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी किए गए रिपोर्ट पर आरजेडी ने चुटकी लेते हुए कहा कि चुनाव के समय ही केंद्र सरकार को बिहार की याद आने लगी है. बिहार में शराब बंदी किसी से छुपी नहीं है. होम डिलीवरी के माध्यम से खुलेआम शराब बिक्री हो रही है. शराब व्यवसायियों का हौसला इतना बुलंद है कि राजधानी पटना समेत बिहार के कई जिलों में पुलिस प्रशासन पर लगातार शराब माफिया हमला करते नजर आ रहे हैं.
Patna
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

शराब की होम डिलीवरी
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी का लगातार वीडियो वायरल होते रहता है जिसमें पुलिस वाले ही शराब पीते या बेच पाते नजर आते हैं. जेडीयू नेता अजय आलोक ने कहा कि विपक्ष को इसे उपलब्धि माननी चाहिए लेकिन वे सरकार के लगाए गए पूर्ण शराबबंदी पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं. उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि होम डिलीवरी की बात आरजेडी नेता कर रहे हैं. इसका मतलब है कि वह भी होम डिलीवरी के माध्यम से शराब मंगवा कर पिया करते हैं.

Patna
जेडीयू नेता अजय आलोक
हादसों में 25 परसेंट की गिरावट
विपक्ष ने नेशनल हाईवे पर शराब पीकर वाहन चलाने से एक्सीडेंट के मामलों में बिहार की रिपोर्ट कुछ चौंकाने वाला बताया है. बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में शराब पीकर वाहन चलाते समय असम में 279, हरियाणा में 299, झारखंड में 686, मध्यप्रदेश में 1030, उड़ीसा में 1067, पंजाब में 1290, तमिलनाडु में 1068 और यूपी में 4496 एक्सीडेंट के मामले सामने आए हैं. वहीं बिहार में साल 2019 में नेशनल हाईवे पर रोड एक्सीडेंट के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं. साथ ही पिछले कुछ सालों की तुलना में हादसों में 25 परसेंट की गिरावट आई है.
Patna
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे

लाखों लोगों को भेजा गया जेल
बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने बताया कि 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. कानून का उल्लंघन करने वाले लगभग लाखों लोगों को अब तक जेल भेजा गया है. इसमें संलिप्त पाए गए पुलिसकर्मियों पर भी विभागीय कार्रवाई की गई है. शराबबंदी होने की वजह से रोड एक्सीडेंट में काफी कमी आई है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर विवाद शराब पीने के बाद ही हुआ करते थे. जुलूस दंगा में शराब पीकर ही लोग उत्पात मचाते थे. पहले जिस जुलूस को संभालने के लिए सैकड़ों पुलिस की की जरूरत होती थी उसे अब 10 सिपाही संभाल लेते हैं.

शराब व्यवसायीयों पर पुलिस की नजर
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने बताया कि पिछले 2 सालों में ईद, बकरीद, दशहरा, दिवाली और होली जैसे त्यौहार शांतिपूर्ण बीते हैं. उत्पाद विभाग के साथ पुलिस प्रशासन की अहम भूमिका शराबबंदी कानून पालन करवाने में रही है. हम लोग दिन रात एक करके शराबबंदी कानून को पालन करवा रहे हैं, कुछ गलत लोग हैं जो इस व्यवसाय को कर रहे हैं पुलिस की नजर उन पर लगातार बनी हुई है.

पटनाः बिहार में 5 अप्रैल 2016 से शराबबंदी कानून लागू है. सरकार इससे अपराध और घरेलू हिंसा में कमी होने की बात कहती आई है. इस कड़ी में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में पेश की गई रिपोर्ट में एक और खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल बिहार इकलौता ऐसा राज्य है जहां एनएच पर शराब पीने की वजह से एक भी हादसा नहीं हुआ है.

दुर्घटना का एक भी मामला नहीं आया सामने
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था. रिपोर्ट के अनुसार असम, पंजाब, उड़ीसा, हरियाणा और झारखंड जैसे छोटे राज्य सहित देश के 9 प्रदेशों में बिहार से कई गुना अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं. 5300 किलोमीटर से अधिक एनएच बिहार से गुजरता है. इसके बावजूद यहां अब तक 2019 से शराब पीकर वाहन चलाते समय दुर्घटना का एक भी मामला सामने नहीं आया है.

देखें रिपोर्ट
चुनाव के समय केंद्र को आने लगी बिहार की याद
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी किए गए रिपोर्ट पर आरजेडी ने चुटकी लेते हुए कहा कि चुनाव के समय ही केंद्र सरकार को बिहार की याद आने लगी है. बिहार में शराब बंदी किसी से छुपी नहीं है. होम डिलीवरी के माध्यम से खुलेआम शराब बिक्री हो रही है. शराब व्यवसायियों का हौसला इतना बुलंद है कि राजधानी पटना समेत बिहार के कई जिलों में पुलिस प्रशासन पर लगातार शराब माफिया हमला करते नजर आ रहे हैं.
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आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी

शराब की होम डिलीवरी
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी का लगातार वीडियो वायरल होते रहता है जिसमें पुलिस वाले ही शराब पीते या बेच पाते नजर आते हैं. जेडीयू नेता अजय आलोक ने कहा कि विपक्ष को इसे उपलब्धि माननी चाहिए लेकिन वे सरकार के लगाए गए पूर्ण शराबबंदी पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं. उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि होम डिलीवरी की बात आरजेडी नेता कर रहे हैं. इसका मतलब है कि वह भी होम डिलीवरी के माध्यम से शराब मंगवा कर पिया करते हैं.

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जेडीयू नेता अजय आलोक
हादसों में 25 परसेंट की गिरावट
विपक्ष ने नेशनल हाईवे पर शराब पीकर वाहन चलाने से एक्सीडेंट के मामलों में बिहार की रिपोर्ट कुछ चौंकाने वाला बताया है. बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में शराब पीकर वाहन चलाते समय असम में 279, हरियाणा में 299, झारखंड में 686, मध्यप्रदेश में 1030, उड़ीसा में 1067, पंजाब में 1290, तमिलनाडु में 1068 और यूपी में 4496 एक्सीडेंट के मामले सामने आए हैं. वहीं बिहार में साल 2019 में नेशनल हाईवे पर रोड एक्सीडेंट के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं. साथ ही पिछले कुछ सालों की तुलना में हादसों में 25 परसेंट की गिरावट आई है.
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डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे

लाखों लोगों को भेजा गया जेल
बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने बताया कि 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू है. कानून का उल्लंघन करने वाले लगभग लाखों लोगों को अब तक जेल भेजा गया है. इसमें संलिप्त पाए गए पुलिसकर्मियों पर भी विभागीय कार्रवाई की गई है. शराबबंदी होने की वजह से रोड एक्सीडेंट में काफी कमी आई है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर विवाद शराब पीने के बाद ही हुआ करते थे. जुलूस दंगा में शराब पीकर ही लोग उत्पात मचाते थे. पहले जिस जुलूस को संभालने के लिए सैकड़ों पुलिस की की जरूरत होती थी उसे अब 10 सिपाही संभाल लेते हैं.

शराब व्यवसायीयों पर पुलिस की नजर
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने बताया कि पिछले 2 सालों में ईद, बकरीद, दशहरा, दिवाली और होली जैसे त्यौहार शांतिपूर्ण बीते हैं. उत्पाद विभाग के साथ पुलिस प्रशासन की अहम भूमिका शराबबंदी कानून पालन करवाने में रही है. हम लोग दिन रात एक करके शराबबंदी कानून को पालन करवा रहे हैं, कुछ गलत लोग हैं जो इस व्यवसाय को कर रहे हैं पुलिस की नजर उन पर लगातार बनी हुई है.

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