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मसौढ़ी: खंडहर में तब्दील हो रहा है पशु अस्पताल, यहां ढाई साल से मवेशियों का इलाज है बंद

पटना जिले के धनरूआ प्रखंड के नेतौल पंचायत के बारिबिगहा गांव में बना पशु अस्पताल इन दिनों बदहाली की स्थिति में है. आलम ये है कि यहां बीते ढाई साल से इलाज बंद है. जिसके चलते अस्पताल खंडहर में बदलता जा रहा है.

धनरूआ का बदहाल पशु अस्पताल
धनरूआ का बदहाल पशु अस्पताल
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Published : Sep 9, 2021, 7:11 PM IST

पटना (मसौढ़ी): राजधानी पटना (Patna) से सटे मसौढ़ी अनुमंडल (Masaurhi Sub-Division) के धनरूआ प्रखंड (Dhanarua Block) के नेतौल पंचायत के बारिबिगहा गांव में बना पशु चिकित्सालय (Veterinary Hospital) सरकार के विकास कार्य की पोल खोल रहा है. दरअसल बारिबिगहा गांव में बना पशु चिकित्सालय खंडहर में तब्दील हो चुका है. यहां बीते ढाई सालों से पशुओं का इलाज बंद है. जिसके चलते पंचायत के सैकड़ों पशु पालक अपने मवेशी के इलाज के लिये शहर की ओर रुख कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:मुजफ्फरपुर: स्वास्थ्य केंद्र बना गाय और भैंस का खटाल, इलाके के लोग इलाज के लिए परेशान

गांव का पशु अस्पताल बंद होने से लोग अपने पशुओं के इलाज के लिये निजी पशु चिकित्सकों पर निर्भर रहते हैं. वहीं कुछ लोग अपने पशुओं के इलाज के लिये पांच से दस किलोमीटर की दूरी तय कर शहर की ओर रुख कर रहे हैं. पशुओं को गांव से बाहर ले जाने के क्रम में पशु पालकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

देखें ये वीडियो

एक तरफ जहां पशु एवं मत्स्य विभाग की ओर से गांव-गांव में पशुओं के इलाज के लिए और पशुओं की देखरेख के लिए पशु अस्पताल खोलने की बात कह रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कई ऐसे पशु चिकित्सालय हैं जो बदहाली के स्थिति में हैं. कई जगहों पर तो पशु अस्पताल खंडहर में तब्दील हो गया है.

धनरूआ प्रखंड में कई जगहों पर पशु अस्पताल खंडहर में तब्दील होता दिख रहा है. वर्तमान में धनरूआ प्रखंड मुख्यालय में एक मात्र पशु चिकित्सालय चल रहा है और वहीं से पूरे प्रखंड की मॉनिटरिंग हो रही है. डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी के चलते धनरूआ प्रखंड में पशुपालकों की परेशानी बढ़ गयी है.

इस पूरे मामले में घनरूआ प्रखंड के चिकित्सा प्रभारी डॉ संजय कुमार ने बताया कि स्टाफ की भारी कमी है. जिसके कारण कई जगहों पर पशु अस्पताल में काम नहीं हो पाता है. हालांकि मुख्यालय से ही सभी जगहों पर मॉनिटरिंग हो रही है. डॉ ने कहा कि इमरजेंसी केस में हमलोग मौके पर जाकर मवेशियों को देखते हैं.

ये भी पढ़ें:कई साल से नहीं खुला मसौढ़ी का बैरीचक प्राथमिक स्कूल, जंग खा रहे ताले

पटना (मसौढ़ी): राजधानी पटना (Patna) से सटे मसौढ़ी अनुमंडल (Masaurhi Sub-Division) के धनरूआ प्रखंड (Dhanarua Block) के नेतौल पंचायत के बारिबिगहा गांव में बना पशु चिकित्सालय (Veterinary Hospital) सरकार के विकास कार्य की पोल खोल रहा है. दरअसल बारिबिगहा गांव में बना पशु चिकित्सालय खंडहर में तब्दील हो चुका है. यहां बीते ढाई सालों से पशुओं का इलाज बंद है. जिसके चलते पंचायत के सैकड़ों पशु पालक अपने मवेशी के इलाज के लिये शहर की ओर रुख कर रहे हैं.

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गांव का पशु अस्पताल बंद होने से लोग अपने पशुओं के इलाज के लिये निजी पशु चिकित्सकों पर निर्भर रहते हैं. वहीं कुछ लोग अपने पशुओं के इलाज के लिये पांच से दस किलोमीटर की दूरी तय कर शहर की ओर रुख कर रहे हैं. पशुओं को गांव से बाहर ले जाने के क्रम में पशु पालकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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एक तरफ जहां पशु एवं मत्स्य विभाग की ओर से गांव-गांव में पशुओं के इलाज के लिए और पशुओं की देखरेख के लिए पशु अस्पताल खोलने की बात कह रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कई ऐसे पशु चिकित्सालय हैं जो बदहाली के स्थिति में हैं. कई जगहों पर तो पशु अस्पताल खंडहर में तब्दील हो गया है.

धनरूआ प्रखंड में कई जगहों पर पशु अस्पताल खंडहर में तब्दील होता दिख रहा है. वर्तमान में धनरूआ प्रखंड मुख्यालय में एक मात्र पशु चिकित्सालय चल रहा है और वहीं से पूरे प्रखंड की मॉनिटरिंग हो रही है. डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी के चलते धनरूआ प्रखंड में पशुपालकों की परेशानी बढ़ गयी है.

इस पूरे मामले में घनरूआ प्रखंड के चिकित्सा प्रभारी डॉ संजय कुमार ने बताया कि स्टाफ की भारी कमी है. जिसके कारण कई जगहों पर पशु अस्पताल में काम नहीं हो पाता है. हालांकि मुख्यालय से ही सभी जगहों पर मॉनिटरिंग हो रही है. डॉ ने कहा कि इमरजेंसी केस में हमलोग मौके पर जाकर मवेशियों को देखते हैं.

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