पटनाः आखिर बिहार के आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं का प्रदर्शन रंग लाया. लंबे समय तक पूरे बिहार में प्रदर्शन करने और पुलिस की लाठी खाने के बाद इनकी मांग पर बिहार सरकार ने मुहर लगा दी है. राजधानी पटना से लेकर बिहार के तमाम जिले में आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं ने प्रदर्शन किया था.
शीतकालीन सत्र में उठा था मुद्दाः बता दें कि पिछले तीन महीनों से आंगनबाड़ी सेविका प्रदर्शन कर रही थी. सेविका-सहायिकाओं के समर्थन में कई राजनीति पार्टी भी आई, इसके बाद भी इनकी मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा था. बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी CPI के विधायक सेविकाओं की मांग के समर्थन में आए थे.
राज्यकर्मी का दर्जा की मांगः आंगनबाड़ी सेविकाओं ने राज्यकर्मी की दर्जा की मांग करते हुए 25000 रुपए मानदेय देने की मांग की थी. सेविकाओं का कहना था कि 24 घंटे काम करने के बावजूद 5900 रुपए मानदेय दिया जाता है. इस दौरान सेविकाओं ने सरकार पर वादा खिलाफी का भी आरोप लगाया था.
चयनमुक्ति का फैसला वापसः सेविकाओं के प्रदर्शन पर सरकार ने बड़ी कार्रवाई की थी. हड़ताल के समय 10203 सेविका और 8016 सहायिका को चयनमुक्त कर दिया गया था. हालांकि नए साल में सरकार ने बैठक कर 7 जनवरी को चयनमुक्त के फैसले को वापस ले लिया है. सोमवार को बिहार कैबिनेट की बैठक में मानदेय भी बढ़ा दिया गया है.
इतना मिलेगा मानदेयः आंगनबाड़ी सेविका को पहले 5950 और सहायिकाओं को 2975 रुपए का मानदेय मिलता था. अब सोमवार को कैबिनेट की बैठक में सेविका को 7000 रुपए और सहायिकाओं को 4000 रुपए अनुदान कर दिया गया है. इससे सरकार पर कुल 286.37 करोड़ रुपए से ज्यादा का भार आ जाएगा.
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