पटना: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक बार फिर बिहार दौरे पर आ रहे हैं. बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अमित शाह का सातवां बिहार दौरा होगा. अमित शाह 5 नवंबर को मुजफ्फरपुर पहुंचेंगे. पताही एयरपोर्ट मैदान पर जनसभा होगी. मुजफ्फरपुर से तिरहुत के 6 जिलों यानी कि पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली और मुजफ्फरपुर को साधने की कोशिश करेंगे. अमित शाह के दौरे को लेकर बिहार का राजनीतिक तापमान बढ़ा हुआ है.
मुजफ्फरपुर जीती हुई सीट हैः अमित शाह का 5 नवंबर को होने वाला दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण मना जा रहा है, क्योंकि बिहार सरकार की ओर से हाल ही में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की गई है. मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट फिलहाल बीजेपी के पास है. कभी जदयू के नेता रहे जय नारायण निषाद के बेटे अजय निषाद सांसद हैं. अजय निषाद 2014 से भाजपा कोटे से सांसद बन रहे हैं. इस बार भी टिकट के प्रबल दावेदार हैं.
"अमित शाह मुजफ्फरपुर में विकास कार्य के बारे में जनता से चर्चा करेंगे. बिहार कैसे विकसीत हो इसके लिए वो बिहार आ रहे हैं. 2024 चुनाव में कैसे जीत हासिल करना है इसके लिए कार्यकर्ताओं में जोश भरने आ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नौ साल के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को सबके सामने रखेंगे "- राकेश पोद्दार, भाजपा प्रवक्ता
जदयू सांसद हो सकते हैं शामिलः तिरहुत के अन्य जिलों में भी बीजेपी और उनके सहयोगियों का ही दबदबा है. सीतामढ़ी सीट जदयू के पास है, लेकिन सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू के बारे में चर्चा है कि बीजेपी में शामिल होंगे. सुनील कुमार पिंटू पहले भी भाजपा में ही थे. 2019 में जब सीतामढ़ी सीट के लिए उम्मीदवार तय हो रहा था तो अमित शाह ने ही सुनील कुमार पिंटू की उम्मीदवारी नीतीश कुमार से बातचीत कर तय करवायी थी.
"देश के नाकाबिल गृह मंत्री हैं. अभी तक नेशनल क्राइम ब्यूरो 2022 का आंकड़ा जारी नहीं किया है. बिहार में जब से जातीय गणना की रिपोर्ट जारी हुई है बेचैनी बढ़ी हुई है. मुजफ्फरपुर आ रहे हैं तो गरीब नाथ का इलाका है इसलिए असत्य नहीं बोलेंगे, यह उम्मीद है. आ रहे हैं तो इस बार एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे या नहीं."- नीरज कुमार, जदयू प्रवक्ता
मुकेश सहनी पर नजरः वैशाली सीट लोजपा पारस गुट के पास है. चंपारण बीजेपी के पास है. इन सभी सीटों को जो बीजेपी या उनके सहयोगी के पास उसे बचाना एक चुनौती है. मुजफ्फरपुर इसलिए भी खास है, क्योंकि मुकेश सहनी यहीं से राजनीति करते हैं. वो फिलहाल किसी गठबंधन में नहीं है. क्या रुख करेंगे यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले स्पष्ट हो पाएगा. फिलहाल महागठबंधन और एनडीए के खिलाफ बोलते रहे हैं.
आनंद मोहन का तिरहुत क्षेत्र में प्रभावः तिरहुत प्रमंडल में राजपूत-भूमिहार और पिछड़ा-अति पिछड़ा को साथ लेकर जो चलेगा उसी की नैया पार होगी. जातीय गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद महागठबंधन की तरफ से पिछड़ा-अति पिछड़ा वोट पर जोर आजमाइश की जा रही है, तो वहीं अपर कास्ट वोट बैंक को साधने की कोशिश भी हो रही है. नीतीश कुमार और आनंद मोहन की नजदीकियां बढ़ी हैं. आनंद मोहन का कभी तिरहुत के क्षेत्र में काफी प्रभाव रहा है. ऐसे में अमित शाह का मुजफ्फरपुर दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
"बिहार बीजेपी के एजेंडा में है, क्योंकि यहां लोकसभा की 40 सीटें हैं. बीजेपी की 17 सीटिंग सीट है. 2019 में जदयू के साथ भाजपा ने चुनाव लड़ा था. इस बार अकेले चुनाव लड़ना है, कुछ सहयोगी दल हैं. इसलिए अमित शाह बिहार बार-बार आ रहे हैं. जब से महागठबंधन की सरकार बनी है अमित शाह ने बिहार को अपने पास रखा है."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
निशाने पर रहेगा कौन: अमित साहब बिहार दौरे पर जब भी आते रहे हैं निशाने पर नीतीश कुमार ही रहे हैं हालांकि पिछली बार निशाने पर लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार था और नीतीश कुमार को सलाह देते नजर आ रहे थे अब इस बार 5 नवंबर को जब मुजफ्फरपुर मैं रैली करेंगे तो देखना है उनके निशाने पर नीतीश कुमार होंगे या नहीं. केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने रैली को सफल बनाने के लिये पूरी ताकत लगा दी है.