पटना : बिहार की राजधानी पटना में छात्र संगठन आइसा ने केंद्र में मोदी सरकार के 10 साल पूरे होने पर यंग इंडिया के 10 सवाल कैंपेन की लांचिंग की है. कैंपेन की लांचिंग करते हुए आइसा के राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम ने कहा कि हमारा देश आगामी 2024 के आम चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. युवा नागरिक के रूप में हममें से कई लोग इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पहली बार वोट डालेंगे. पिछले दशक में देश के संसाधनों और सार्वजनिक संस्थानों पर मोदी सरकार का घातक हमला देखा गया है.
यंग इंडिया का 10 सवाल कैंपेन लॉन्च : हमने अपनी सार्वजनिक वित्त पोषित उच्च शिक्षा प्रणाली का क्रमिक क्षरण देखा है. इसके आलोक में AISA ने मोदी शासन के दस वर्षों के लिए जवाबदेही की मांग करने और आज के छात्र और युवाओं की मांगों को लेकर यंग इंडिया के 10 सवाल कैंपेन की लांचिंग की है. कुमार दिव्यम ने बताया कि 23-24 दिसंबर 2023 को आइसा का बिहार राज्य सम्मेलन शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक न्याय के सवाल पर पटना में होने जा रहा है.
"सरकार की छात्र युवा विरोधी नीतियों के खिलाफ देश भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा. सरकार शिक्षा के लोन मॉडल को बढ़ावा दे रही है. उच्च शिक्षण संस्थान में फीस वृद्धि की जा रही है. उच्च शिक्षा में प्रवेश करने की इच्छा की आशा रखने वाले एससी, एसटी, महिलाओं और पिछड़े तबकों के छात्र-छात्राओं को बाहर किया जा रहा है. बिहार के विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया जा रहा है. चार साल का स्नातक कोर्स लागू किया गया है, जिससे फीस वृद्धि हुई है."- कुमार दिव्यम, राज्य सह सचिव, आइसा
'2014-21 के बीच 122 छात्रों ने की आत्महत्या' :दिव्यम ने बताया कि बिहार के विश्वविद्यालय और कॉलेज बुनियादी साधनों की कमी से जूझ रहे हैं. 2014-21 के बीच आईआईटी, एनआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य केंद्रीय संस्थानों के 122 छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई. इन 122 में से 68 अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के थे. भाजपा के केंद्र में सत्ता में आने के बाद से कॉलेज के कैंपसों का सांप्रदायिकीकरण किया जा रहा है.
दमनकारी फैसलों का होगा विरोध : कुमार दिव्यम ने बताया कि 23 और 24 दिसंबर को पटना में जो राज्य स्तरीय सम्मेलन होने जा रहा है. उसमें बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से जो दमनकारी फैसले लिए जा रहे हैं. बच्चों के नामांकन काटे जा रहे हैं और शिक्षकों की अभिव्यक्ति छिनी जा रही है. इसका भी विरोध किया जाएगा.
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