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मिलिए डॉक्टर रमन किशोर से, अभी तक 9 हजार लोगों का फ्री में कर चुके हैं इलाज

एम्स पटना में फिजीशियन के पद पर कार्यरत डॉक्टर रमन किशोर (AIIMS Doctor Raman Kishore) खुद के खर्च पर गांव-गांव जाकर मेडिकल कैम्प लगाते हैं. वे अब तक 9 हजार लोगों को मुफ्त इलाज कर चुके हैं. एम्स में अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान 75 कैम्प आयोजित कर चुके हैं. पढ़ें परी खबर...

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Published : Jul 13, 2022, 9:43 PM IST

डॉ रमन किशोर ने अब तक 9 हजार लोगों का फ्री इलाज लिया
डॉ रमन किशोर ने अब तक 9 हजार लोगों का फ्री इलाज लिया

पटना: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. हर छोटी-बड़ी बीमारी पर हमें एक डॉक्टर की याद आती है. हम उनके पास इसी उम्मीद से जाते है कि डॉक्टर हमारे दर्द और बीमारी का दवा करें, ताकि हम स्वस्थ हो सके. कुछ डॉक्टर अपने तय वक्त और फीस के हिसाब से मरीजों को देखते हैं तो कुछ अपनी सहूलियत के अनुसार मरीजों को देखते हैं. लेकिन राजधानी में एक ऐसा भी डॉक्टर है, जिन्होंने इंसानियत की मिसाल पेश की है. यह डॉक्टर गांव-गांव जाकर कैंप लगाकर लोगों का मुफ्त इलाज (Doctor Raman Kishore Provide Free Treatment To Patient) करता है. इनका नाम डॉ रमन किशोर है. वे एम्स पटना में फिजीशियन के पद पर कार्यरत है.

यह भी पढ़ें: पटनाः महिला के पेट से निकला 15 किलो का ट्यूमर, NMCH में हुआ सफल ऑपरेशन

सैलरी का 80 प्रतिशत मुफ्त इलाज पर खर्च: डॉ रमन किशोर का मकसद केवल लोगों को निरोग बनाना है. उन्होंने करीब 4 साल पहले एम्स पटना में फिजीशियन पद पर ज्वाइन किया था. तब से अब तक वह राजधानी पटना के इर्द-गिर्द के करीब 30 किलोमीटर के इलाके में 75 हेल्थ कैंप लगा चुके हैं. इस दौरान करीब 8000 से ऊपर मरीजों का फ्री में इलाज कर चुके हैं. वह कहते हैं एम्स में जॉब करने के एवज में उनको जो सैलरी मिलती है और उसका 70 से 80 प्रतिशत का हिस्सा वह लोगों के मुफ्त इलाज पर खर्च कर देते हैं.

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा पर उनका फोकस: डॉक्टर रमन सर्वे भवंतु सुखेन के कथन में विश्वास रखते हैं. वे कहते हैं मेरी कोशिश रहती है कि बीमारियों को शुरू में ही पहचान कर मरीजों को बता दिया जाए, ताकि वह बीमारी शुरू में ही खत्म हो जाए. उन्होंने कहा कि एक्चुअली मैं ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा पर काम कर रहा हूं. मेरा मकसद बीमारियों को शुरुआती दौर में ही पता लगा कर इलाज करने का होता है. जिससे कि वह बीमारी जानलेवा नहीं बन पाए. मैं पटना के आसपास के गांवों में जाकर कैंप लगाता हूं. मेरी कोशिश यह पता लगाने की होती है कि जो एसिंप्टोमेटिक लोग हैं उनमें बीमारी है या नहीं है. मेरा काम एकदम फ्री होता है.

मरीज से संपर्क में रहने के लिए बनाया एप: डॉक्टर रमन यह भी बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने एक ऐप भी डिवेलप किया है. जिसमें दिखाए गए मरीजों के सारे डिटेल और कांटेक्ट नंबर सेव है. वह कहते हैं कि मेरी कोशिश यह है कि हर 3 महीने के बाद रोगी के पास मैसेज चला जाए कि 3 माह गुजर चुके हैं. अब आप जाकर फिर से अपना ब्लड प्रेशर जांच करवा लें. डॉक्टर रमन ने अपना एमबीबीएस गया मेडिकल कॉलेज से किया है. वह कहते हैं कि ऐसे करने की प्रेरणा मुझे वहीं से मिली थी. इसके बाद इस पर काम करना शुरू कर दिया.

30 प्रतिशत मरीज हाइपरटेंशन के शिकार: डॉक्टर रमन बताते हैं कि करीब 25 से 30 पर्सेंट लोग हाइपरटेंशन के शिकार हैं और लगभग 10 से 12% लोग डायबिटिक है लेकिन ज्यादातर को यह पता ही नहीं है कि वह बीमार है. इन बीमारियों का शुरुआती चरण में कोई लक्षण ही नहीं होता है. ऐसे में मेरा मकसद यह होता है कि उनकी इस जांच करें और बीमारी का पता लगाएं. अभी तक मैंने करीब 8000 लोगों का इलाज किया है अब ऐसे में कोई ऐसी क्रॉनिक डिजीज जो एक बार किसी को हो जाए और उसके लिए ताउम्र दवा खानी होती है. ऐसे पेशेंट की फॉलोअप के लिए मैं तैयारी कर रहा हूं. यानी मरीज को देखने के 3 महीने के बाद भी उस मरीज के संपर्क में रहूं.

हाई ब्लड प्रेशर के कारण लकवा के मरीज:उन्होंने कहा कि जब मैं अपने एमबीबीएस को पूरा करने के बाद इंटर्नशिप में था तो मैंने देखा कि वहां पर बहुत सारे लकवा के मरीज आ रहे थे. जब मैंने उनकी हिस्ट्री ली तो पाया कि ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता था कि उनको जो लकवा है वह हाई ब्लड प्रेशर के कारण है. उन्होंने कभी अपना ब्लड प्रेशर जांच भी नहीं करवाया था. तभी मैंने सोचा कि यदि इनका ब्लड प्रेशर पहले पता चल जाता कोई गांव में जाकर ब्लड प्रेशर जांच लेता और उनका इलाज शुरू होता तो आज उनके साथ यह नौबत नहीं आती.

गरीबों का दर्द देखकर लिया ऐसा फैसला: वह कहते हैं कि वास्तव में गया मेडिकल कॉलेज में बहुत ज्यादा सुविधाएं नहीं है, वहां न्यूरो सर्जन नहीं है. मैं देखता था कि वहां के बहुत सारे मरीजों को पटना या दूसरी जगहों पर रेफर कर दिया जाता था. मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते थे. कई ऐसे भी पेशेंट आते थे, जो सही सूचना के अभाव में भटक रहे हैं फिर मैंने सोचा कि गांव में जाकर वहीं पर बीमारी का पता लगाऊं.

डॉक्टर रमन यह भी कहते हैं कि मैं ईटीवी के माध्यम से यह कहना चाहूंगा कि जो भी 30 वर्ष से ऊपर के हैं, वह अपने ब्लड प्रेशर और शुगर का नियमित जांच कराएं. शुरुआती दिनों में लक्षण नहीं भी हो लेकिन जांच करवाना जरूरी है.

"अब हमारे साथ कुछ और लोग जुड़ गए हैं. उनमें एक डॉक्टर भी शामिल हैं. वह बताते हैं कि सोमवार से लेकर शनिवार तक मैं ऑन ड्यूटी रहता हूं. रविवार छुट्टी के दिन ग्रामीण इलाकों में मेडिकल कैंप लगाता हूं. अब मैं 30 किलोमीटर से आगे कैंप लगाने को सोच रहा हूं. मेरी कोशिश 100 कैंप लगाने की है. इसके बाद मैं दूसरे इन रिमोट एरिया में जाकर कैंप लगाऊंगा" -डॉ रमन किशोर, फिजीशियन, पटना एम्स

पटना: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है. हर छोटी-बड़ी बीमारी पर हमें एक डॉक्टर की याद आती है. हम उनके पास इसी उम्मीद से जाते है कि डॉक्टर हमारे दर्द और बीमारी का दवा करें, ताकि हम स्वस्थ हो सके. कुछ डॉक्टर अपने तय वक्त और फीस के हिसाब से मरीजों को देखते हैं तो कुछ अपनी सहूलियत के अनुसार मरीजों को देखते हैं. लेकिन राजधानी में एक ऐसा भी डॉक्टर है, जिन्होंने इंसानियत की मिसाल पेश की है. यह डॉक्टर गांव-गांव जाकर कैंप लगाकर लोगों का मुफ्त इलाज (Doctor Raman Kishore Provide Free Treatment To Patient) करता है. इनका नाम डॉ रमन किशोर है. वे एम्स पटना में फिजीशियन के पद पर कार्यरत है.

यह भी पढ़ें: पटनाः महिला के पेट से निकला 15 किलो का ट्यूमर, NMCH में हुआ सफल ऑपरेशन

सैलरी का 80 प्रतिशत मुफ्त इलाज पर खर्च: डॉ रमन किशोर का मकसद केवल लोगों को निरोग बनाना है. उन्होंने करीब 4 साल पहले एम्स पटना में फिजीशियन पद पर ज्वाइन किया था. तब से अब तक वह राजधानी पटना के इर्द-गिर्द के करीब 30 किलोमीटर के इलाके में 75 हेल्थ कैंप लगा चुके हैं. इस दौरान करीब 8000 से ऊपर मरीजों का फ्री में इलाज कर चुके हैं. वह कहते हैं एम्स में जॉब करने के एवज में उनको जो सैलरी मिलती है और उसका 70 से 80 प्रतिशत का हिस्सा वह लोगों के मुफ्त इलाज पर खर्च कर देते हैं.

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा पर उनका फोकस: डॉक्टर रमन सर्वे भवंतु सुखेन के कथन में विश्वास रखते हैं. वे कहते हैं मेरी कोशिश रहती है कि बीमारियों को शुरू में ही पहचान कर मरीजों को बता दिया जाए, ताकि वह बीमारी शुरू में ही खत्म हो जाए. उन्होंने कहा कि एक्चुअली मैं ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा पर काम कर रहा हूं. मेरा मकसद बीमारियों को शुरुआती दौर में ही पता लगा कर इलाज करने का होता है. जिससे कि वह बीमारी जानलेवा नहीं बन पाए. मैं पटना के आसपास के गांवों में जाकर कैंप लगाता हूं. मेरी कोशिश यह पता लगाने की होती है कि जो एसिंप्टोमेटिक लोग हैं उनमें बीमारी है या नहीं है. मेरा काम एकदम फ्री होता है.

मरीज से संपर्क में रहने के लिए बनाया एप: डॉक्टर रमन यह भी बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने एक ऐप भी डिवेलप किया है. जिसमें दिखाए गए मरीजों के सारे डिटेल और कांटेक्ट नंबर सेव है. वह कहते हैं कि मेरी कोशिश यह है कि हर 3 महीने के बाद रोगी के पास मैसेज चला जाए कि 3 माह गुजर चुके हैं. अब आप जाकर फिर से अपना ब्लड प्रेशर जांच करवा लें. डॉक्टर रमन ने अपना एमबीबीएस गया मेडिकल कॉलेज से किया है. वह कहते हैं कि ऐसे करने की प्रेरणा मुझे वहीं से मिली थी. इसके बाद इस पर काम करना शुरू कर दिया.

30 प्रतिशत मरीज हाइपरटेंशन के शिकार: डॉक्टर रमन बताते हैं कि करीब 25 से 30 पर्सेंट लोग हाइपरटेंशन के शिकार हैं और लगभग 10 से 12% लोग डायबिटिक है लेकिन ज्यादातर को यह पता ही नहीं है कि वह बीमार है. इन बीमारियों का शुरुआती चरण में कोई लक्षण ही नहीं होता है. ऐसे में मेरा मकसद यह होता है कि उनकी इस जांच करें और बीमारी का पता लगाएं. अभी तक मैंने करीब 8000 लोगों का इलाज किया है अब ऐसे में कोई ऐसी क्रॉनिक डिजीज जो एक बार किसी को हो जाए और उसके लिए ताउम्र दवा खानी होती है. ऐसे पेशेंट की फॉलोअप के लिए मैं तैयारी कर रहा हूं. यानी मरीज को देखने के 3 महीने के बाद भी उस मरीज के संपर्क में रहूं.

हाई ब्लड प्रेशर के कारण लकवा के मरीज:उन्होंने कहा कि जब मैं अपने एमबीबीएस को पूरा करने के बाद इंटर्नशिप में था तो मैंने देखा कि वहां पर बहुत सारे लकवा के मरीज आ रहे थे. जब मैंने उनकी हिस्ट्री ली तो पाया कि ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता था कि उनको जो लकवा है वह हाई ब्लड प्रेशर के कारण है. उन्होंने कभी अपना ब्लड प्रेशर जांच भी नहीं करवाया था. तभी मैंने सोचा कि यदि इनका ब्लड प्रेशर पहले पता चल जाता कोई गांव में जाकर ब्लड प्रेशर जांच लेता और उनका इलाज शुरू होता तो आज उनके साथ यह नौबत नहीं आती.

गरीबों का दर्द देखकर लिया ऐसा फैसला: वह कहते हैं कि वास्तव में गया मेडिकल कॉलेज में बहुत ज्यादा सुविधाएं नहीं है, वहां न्यूरो सर्जन नहीं है. मैं देखता था कि वहां के बहुत सारे मरीजों को पटना या दूसरी जगहों पर रेफर कर दिया जाता था. मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते थे. कई ऐसे भी पेशेंट आते थे, जो सही सूचना के अभाव में भटक रहे हैं फिर मैंने सोचा कि गांव में जाकर वहीं पर बीमारी का पता लगाऊं.

डॉक्टर रमन यह भी कहते हैं कि मैं ईटीवी के माध्यम से यह कहना चाहूंगा कि जो भी 30 वर्ष से ऊपर के हैं, वह अपने ब्लड प्रेशर और शुगर का नियमित जांच कराएं. शुरुआती दिनों में लक्षण नहीं भी हो लेकिन जांच करवाना जरूरी है.

"अब हमारे साथ कुछ और लोग जुड़ गए हैं. उनमें एक डॉक्टर भी शामिल हैं. वह बताते हैं कि सोमवार से लेकर शनिवार तक मैं ऑन ड्यूटी रहता हूं. रविवार छुट्टी के दिन ग्रामीण इलाकों में मेडिकल कैंप लगाता हूं. अब मैं 30 किलोमीटर से आगे कैंप लगाने को सोच रहा हूं. मेरी कोशिश 100 कैंप लगाने की है. इसके बाद मैं दूसरे इन रिमोट एरिया में जाकर कैंप लगाऊंगा" -डॉ रमन किशोर, फिजीशियन, पटना एम्स

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