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बोले मंत्री सुधाकर सिंह- केंद्र की गलत नीतियों की वजह से किसानों को यूरिया मिलने में परेशानी - Black Marketing Of Fertilizers In Bihar

पटना में कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा है कि केंद्र के नीति के कारण बिहार में खाद का कालाबाजारी हुआ है. उन्होंने कहा कि जब यूरिया का कालाबाजारी हुआ तो खाद कंपनी को केन्द्र ने सब्सिडी क्यों दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

कृषि मंत्री सुधाकर सिंह
कृषि मंत्री सुधाकर सिंह
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Published : Sep 19, 2022, 12:07 PM IST

पटना: राजधानी पटना में कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Bihar Agriculture Minister Sudhakar Singh) ने केंद्र की खाद वितरण नीति को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि बिहार में खाद की कालाबाजारी (Black Marketing Of Fertilizers In Bihar) के लिए जो बातें केंद्रीय मंत्री कर रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. मंत्री ने आगे कहा कि किसानों को जुलाई और अगस्त महीने में ज्यादा खाद की जरूरत होती है. जबकि केंद्र ने इन महीनो में यूरिया का मात्र 78 प्रतिशत आपूर्ति किया है. वैसे ही डीएपी का मात्र 71 प्रतिशत किसानों के लिए मुहैया कराई गयी है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार को यूरिया और जरुरत के हिसाब से आपूर्ति नहीं कराया.

पढ़ें- केंद्रीय मंत्री भगवंत खुबा ने कहा - पर्याप्त खाद मुहैया कराने के बाद भी बिहार में कालाबाजारी जारी

केंद्र की गलत नीति से दिक्कत: इन सारी बातों के बाद मंत्री ने कहा कि अगर बिहार में खाद की कालाबाजारी हुई तो इस हालत में खाद वाले कंपनियों को सब्सिडी क्यों दी गई..? आखिर केंद्र सरकार नियम के विरुद्ध जाकर उनलोगों को सब्सिडी क्यों दे रही है, जबकि भारत सरकार का उर्वरक नीति यह है "अगर उर्वरक को सरकारी रेट से ज्यादा दाम पर बाजार में बेचा जा रहा है तो खाद वाले कंपनी को सब्सिडी नही मिलेगी, फिर इस नियम का उल्लंघन कर केंद्र सरकार ने कैसे खाद कंपनी को सब्सिडी दिया..? इस बार 2 लाख 25 हजार करोड़ सब्सिडी खाद कंपनी को केंद्र सरकार ने दिया. जिसमें राज्य भी 40 हजार करोड़ रुपए दी है.

केंद्र सरकार पर कृषि मंत्री ने किया हमला: कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार में खाद के कालाबाजारी की नौबत नहीं आए इसलिए हमलोग बिहार में नियम ही बदल चुके हैं. जिससे कोई भी खाद कंपनी यहां खाद नहीं बेच सकेगी,इसकी जल्द व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि खाद कंपनी हमेशा बिहार को एक अच्छे बाजार के रूप में देखती है और किसानों को हमेशा नजरअंदाज करती है. यहीं कारण है कि यहां के किसानों को कभी समय से सही कीमत पर खाद उपलब्ध नहीं होती है.

' जब बीजेपी बिहार सरकार में थी, तब पिछले 17 साल से कृषि विभाग बीजेपी के पास थी. उस समय कोई बात नहीं करते थे. अब चूंकि वो सरकार से बाहर है तो कई तरह के आरोप लगा रहे हैं, जो बिल्कुल निराधार है. बिहार में खाद की आपूर्ति भी नहीं हो पाती है. ये भी किसानों के लिए एक समस्या है, दूसरा कालाबाजारी भी होती है. इसके लिए खाद कंपनी सबसे ज्यादा दोषी है. बिहार में खाद वितरण नीति में हम बदलाव करेंगे और किसानों को सही समय में उचित मूल्य पर खाद पहुंचाएंगे. जिसकी नीति हमने तैयार कर लिया है. - सुधाकर सिंह, कृषि मंत्री, बिहार सरकार

ये भी पढ़ें: सदन में गूंजा खाद की कालाबाजारी और गव्य विकास के ट्रेनिंग सेंटर का मामला, आरजेडी MLC ने उठाए सवाल

निर्धारित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति: कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि खरीफ मौसम अप्रैल से सितम्बर तक माना जाता है. इसलिए अप्रैल से सितम्बर के बीच आपूर्ति किये गये उर्वरकों के आंकड़ों को देखने से स्पष्ट है कि बिहार को आवश्यकता से कम उर्वरकों की आपूर्ति की गई है. कृषि मंत्री ने कहा कि निर्धारित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाया गया है और नियमित रुप से खाद प्रतिष्ठानों का निरीक्षण और सघन छापेमारी की जा रही है. इस तरह से कर्तव्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है.

पटना: राजधानी पटना में कृषि मंत्री सुधाकर सिंह (Bihar Agriculture Minister Sudhakar Singh) ने केंद्र की खाद वितरण नीति को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि बिहार में खाद की कालाबाजारी (Black Marketing Of Fertilizers In Bihar) के लिए जो बातें केंद्रीय मंत्री कर रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. मंत्री ने आगे कहा कि किसानों को जुलाई और अगस्त महीने में ज्यादा खाद की जरूरत होती है. जबकि केंद्र ने इन महीनो में यूरिया का मात्र 78 प्रतिशत आपूर्ति किया है. वैसे ही डीएपी का मात्र 71 प्रतिशत किसानों के लिए मुहैया कराई गयी है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार को यूरिया और जरुरत के हिसाब से आपूर्ति नहीं कराया.

पढ़ें- केंद्रीय मंत्री भगवंत खुबा ने कहा - पर्याप्त खाद मुहैया कराने के बाद भी बिहार में कालाबाजारी जारी

केंद्र की गलत नीति से दिक्कत: इन सारी बातों के बाद मंत्री ने कहा कि अगर बिहार में खाद की कालाबाजारी हुई तो इस हालत में खाद वाले कंपनियों को सब्सिडी क्यों दी गई..? आखिर केंद्र सरकार नियम के विरुद्ध जाकर उनलोगों को सब्सिडी क्यों दे रही है, जबकि भारत सरकार का उर्वरक नीति यह है "अगर उर्वरक को सरकारी रेट से ज्यादा दाम पर बाजार में बेचा जा रहा है तो खाद वाले कंपनी को सब्सिडी नही मिलेगी, फिर इस नियम का उल्लंघन कर केंद्र सरकार ने कैसे खाद कंपनी को सब्सिडी दिया..? इस बार 2 लाख 25 हजार करोड़ सब्सिडी खाद कंपनी को केंद्र सरकार ने दिया. जिसमें राज्य भी 40 हजार करोड़ रुपए दी है.

केंद्र सरकार पर कृषि मंत्री ने किया हमला: कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार में खाद के कालाबाजारी की नौबत नहीं आए इसलिए हमलोग बिहार में नियम ही बदल चुके हैं. जिससे कोई भी खाद कंपनी यहां खाद नहीं बेच सकेगी,इसकी जल्द व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि खाद कंपनी हमेशा बिहार को एक अच्छे बाजार के रूप में देखती है और किसानों को हमेशा नजरअंदाज करती है. यहीं कारण है कि यहां के किसानों को कभी समय से सही कीमत पर खाद उपलब्ध नहीं होती है.

' जब बीजेपी बिहार सरकार में थी, तब पिछले 17 साल से कृषि विभाग बीजेपी के पास थी. उस समय कोई बात नहीं करते थे. अब चूंकि वो सरकार से बाहर है तो कई तरह के आरोप लगा रहे हैं, जो बिल्कुल निराधार है. बिहार में खाद की आपूर्ति भी नहीं हो पाती है. ये भी किसानों के लिए एक समस्या है, दूसरा कालाबाजारी भी होती है. इसके लिए खाद कंपनी सबसे ज्यादा दोषी है. बिहार में खाद वितरण नीति में हम बदलाव करेंगे और किसानों को सही समय में उचित मूल्य पर खाद पहुंचाएंगे. जिसकी नीति हमने तैयार कर लिया है. - सुधाकर सिंह, कृषि मंत्री, बिहार सरकार

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निर्धारित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति: कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि खरीफ मौसम अप्रैल से सितम्बर तक माना जाता है. इसलिए अप्रैल से सितम्बर के बीच आपूर्ति किये गये उर्वरकों के आंकड़ों को देखने से स्पष्ट है कि बिहार को आवश्यकता से कम उर्वरकों की आपूर्ति की गई है. कृषि मंत्री ने कहा कि निर्धारित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाया गया है और नियमित रुप से खाद प्रतिष्ठानों का निरीक्षण और सघन छापेमारी की जा रही है. इस तरह से कर्तव्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है.

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