पटनाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस से निपटने के लिए पूरे देश में लॉक डाउन लागू कर दिया है. वहीं, बड़ी संख्या में बिहार से मजदूर दूसरे राज्यों में काम करते हैं और अचानक लॉक डाउन लागू होने से कई राज्यों में बिहार के मजदूर फंस गए हैं. ना तो उनके पास रोजगार का साधन रह गया है और ना ही भोजन की व्यवस्था है. वहीं, बिहार सरकार मजदूरों को पलायन ना करने की नसीहत दे रही है.
बिहार के रहने वाले मजदूर जहां है वहीं रहे
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार के बाहर राहत केंद्रों में अप्रवासी बिहारियों के लिए बिहार सरकार ने पहल किया है. मजदूरों की सुविधा के लिए 100 करोड़ की राशि आवंटित की गई है. योगदान के कारण देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हुए बिहार के लोगों के लिए फूड पैकेट्स, सैनिटाइजर मास्क और अन्य राहत सामग्रियां उपलब्ध कराई जा रही हैं.
पलायन करने से समस्या और विकराल होगी
वहीं, कृषि मंत्री ने कहा कि अब तक कुल 5015 लोगों को राहत पहुंचाई जा चुकी है. जिसमें से महाराष्ट्र के धारावी राहत केंद्र में 1200 लोगों को, मुंबई के गोवंडी राहत केंद्र में 600 लोगों को, मुंबई के गोवंडी राहत केंद्र नवी मुंबई राहत केंद्र में 500 लोगों को, कल्याण राहत केंद्र में 500 लोगों को, नवी मुंबई राहत केंद्र में 200 लोगों को, बेलापुर नवी मुंबई राहत केंद्र में 140 लोगों को, पुणे के अंबेगांव राहत केंद्र में 280 लोगों को, पुणे के सिंगार राहत केंद्र में 135 लोगों को, हैदराबाद राहत केंद्र में 100 लोगों को, चेन्नई राहत केंद्र में 100 लोगों को, कोलकाता राहत केंद्र में 125 लोगों को, बेंगलुरु राहत केंद्र में 500 और बिहारी कल्याण मंच सिक्किम में 300 लोगों को भोजन और राशन देकर मदद पहुंचाई जा रही है.
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा है कि बिहार और प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार चिंतित है. अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री से भी बातचीत चल रही है और सरकार ने भी उनके रहने खाने के लिए व्यवस्था की हैं. कृषि मंत्री ने मजदूरों से अनुरोध किया है कि वह लॉक डाउन का उल्लंघन ना करें और जहां है. वहीं रहे, उनके लिए सारी व्यवस्थाएं की जाएंगी.