पटना: बिहार में बाढ़ के हालात पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) लगातार नजर बनाए हुए हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों (Flood Affected Areas) का उन्होंने एरियल सर्वे (Aerial Survey) भी किया था. सीएम समीक्षा बैठक कर आम लोगों के साथ ही किसानों को सहायता पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Amrendra Pratap Singh) ने बताया कि किसानों को यथासंभव मदद दी जाएगी. बाढ़ ग्रस्त इलाकों के सर्वेक्षण के बाद फसल क्षतिपूर्ति राशि दी जाएगी.
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बाढ़ के कारण बिहार के कई जिलों में किसान की फसल बर्बाद हो गई है. इसको लेकर कृषि मंत्री ने दावा किया है कि पिछले साल की तरह ही इस बार भी किसानों को फसल की क्षतिपूर्ति राशि (Farmers Crop Assistance Amount) दी जाएगी. विभाग इसको लेकर आंकड़े जुटा रहा है. साथ ही विभाग ने इसे लेकर काम भी शुरू कर दिया है.
'बाढ़ प्रभावित जिलों का हवाई सर्वेक्षण खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी किया है और उन्हें भी अनुमान है कि किसानों को फसल का नुकसान हुआ है. संबंधित जिलों के अधिकारियों से इसे लेकर बात भी हुई है और स्थिति का जायजा भी लिया गया है. मुख्यमंत्री भी चाहते है कि किसानों को फसल की क्षतिपूर्ति दी जाय और इसको लेकर विभाग काम कर रहा है. जल्द ही किसानों को राशि दी जाएगी.'- अमरेन्द्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री, बिहार
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ ग्रस्त इलाकों का एरियल सर्वे कर चुके हैं. उन्होंने पूर्वी चंपारण जिले का सर्वेक्षण किया. उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ ने तांडव मचाया है. उत्तर बिहार की सभी नदियां उफान पर हैं.
इससे पहले जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया था कि एरियल सर्वे के बाद ही लोगों को राहत और बचाव के लिए सरकार विशेष कार्य करेगी. सरकार की तरफ से किन-किन योजनाओं के तहत बाढ़ पीड़ितों को सहायता की जाए इसका आंकलन होगा.
वहीं बाढ़ ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद सीएम ने अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश भी दिए थे. सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, झंझारपुर, मधुबनी, अररिया सहित कई जिलों में बाढ़ से लोगों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं.
बाढ़ ग्रस्त इलाकों का जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक की. लोगों को तुरंत मदद दिलाने के लिए रणनीति तय की गई. उत्तर बिहार के नदी जल ग्रहण क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है. उसके कारण ही कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.