पटना : पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आर्थिक अपराध इकाई (EOU) को आदेश दिया है कि वह अग्रणी होम्स के खिलाफ दर्ज हुए कुल 61 प्राथमिकी पर अनुसंधान कानूनी तरीके से और एक समय सीमा के अंदर पूरा करे. हाई कोर्ट ने अग्रणी होम्स के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने वाले शिकायतकर्ताओं को भी आज छूट दी है कि वह संबंधित स्पेशल कोर्ट में आवेदन देकर इन अनुसंधानों की मॉनिटरिंग करने की प्रार्थना कर सकते हैं.
अग्रणी होम्स का मामला निष्पादित : जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने शालिनी ठाकुर एवं 29 अन्य फ्लैट के खरीददारों की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका को निष्पादन करते हुए यह आदेश दिया है. गौरतलब है कि सभी रिट याचिकाओं में ये कहा गया है कि 100 करोड़ से भी अधिक की रकम अग्रणी होम्स ने बतौर अग्रिम किश्त के तौर पर ले रखा है, लेकिन किसी को भी फ्लैट नहीं मिल सका है.
EOU को मिली जिम्मेदारी : इन सभी रिट याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं ने अग्रणी होम्स पर हवाला मामले के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) से अनुसंधान करवाने और कानूनी कार्रवाई करवाने का अनुरोध किया था. राज्य के पुलिस महानिदेशक की ओर से दायर हलफनामा में कोर्ट को बताया गया था कि 17 नवंबर को ही पुलिस महानिदेशक के आदेश पर अग्रणी होम्स के खिलाफ दर्ज कुल 61 प्राथमीकियों का अनुसंधान करने की जिम्मेदारी आर्थिक अपराध इकाई को दे दी गई है.
अररिया SP से जवाब-तलब : वहीं दूसरी ओर, पटना हाई कोर्ट ने अररिया लॉ कॉलेज के प्रोफेसर विपिन किशोर मिश्रा के अपहरण मामले में अररिया के एसपी से दो हफ्ते में जवाब तलब किया है. जस्टिस पीबी बजनथ्री तथा जस्टिस आरसी मालवीय की खंडपीठ ने अपहृत प्रोफेसर की पुत्री अंजली प्रिया की ओर से दायर एक आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया.
एक साल पहले हुआ था अपहरण : कोर्ट ने अबतक इस मामले में की गई जांच की विस्तृत जानकारी जवाबी हलफनामा दायर कर देने का निर्देश अररिया एसपी को दिया है. उल्लेखनीय है कि 24 सितम्बर, 2022 को प्रोफेसर का अपहरण किया गया था. लेकिन पुलिस उन्हें बरामद नहीं कर सकी. पुलिस की ढुलमुल रवैया से परेशान होकर उनकी पुत्री ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस मामले पर दो हफ्ते बाद फिर सुनवाई होगी.
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