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Bihar Teacher Protest: नियोजित शिक्षकों में निलंबन का डर, सोशल मीडिया से हटा रहे प्रदर्शन वाली तस्वीर

बिहार में शिक्षकों पर कार्रवाई (Action on teachers in Bihar) का डर दिखने लगा है. पटना में राज्यकर्मी का दर्जा की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू है. अब तक दर्जन भर से ज्यादा शिक्षकों को निलंबित किया जा चुका है. ऐसे में शिक्षक सोशल मीडिया से प्रदर्शन की तस्वीर हटाने लगे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 15, 2023, 11:11 PM IST

बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर प्रदर्शन वालों पर कार्रवाई की लटकी तलवार

पटनाः बिहार में शिक्षक बहाली (Teacher reinstatement in Bihar) को लेकर प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों में डर दिखने लगा है. 11 जुलाई को प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को चिह्नित कर उनके ऊपर निलंबन की कार्रवाई की जा रही है. अब तक दर्जन भर से अधिक शिक्षक निलंबित हो चुके हैं. पश्चिमी चंपारण में सर्वाधिक निलंबन की कार्रवाई देखने को मिली है.

यह भी पढ़ेंः Bihar Teacher Protest: पटना में शिक्षक संघ के धरना प्रदर्शन में शामिल हुए बेतिया के 3 शिक्षक निलंबित, कई शिक्षकों के निलंबन की तैयारी

फोटो डिलीट करने में जुटे शिक्षकः बिहार सरकार की इस कार्रवाई का डर इस कदर है कि नियोजित शिक्षक सोशल मीडिया से प्रदर्शन के दिन के फोटो को डिलीट कर रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं उनका फोटो देखकर उन्हें भी निलंबित न कर दिया जाए. ऐसे में इस कार्रवाई का शिक्षक संघ ने करा विरोध किया है. संघ ने इस कार्रवाई को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है. महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भाकपा माले भी सरकार से इस कार्रवाई का विरोध कर रही है.

लोकतांत्रिक अधिकारों का हननः विभाग की कार्रवाई को लेकर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार ने विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है. सभी को अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन का अधिकार है. पूर्व से सूचित कर शिक्षकों ने 11 और 12 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद भी उनके ऊपर कार्रवाई करना गलत है.

पश्चिम चंपारण निशाने परः मनोज ने बताया कि जिस भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शिक्षकों ने सबसे अधिक आवेदन किए हैं, उन्हीं शिक्षकों पर कार्रवाई हो रही है. उदाहरण के लिए पश्चिमी चंपारण है. भितिहारवा गांधी आश्रम से नई शिक्षा नियमावली के विरोध में शिक्षकों का प्रदर्शन शुरू हुआ था. डीईओ के खिलाफ शिक्षकों ने कई शिकायत की थी. इसलिए सबसे अधिक निलंबन पश्चिमी चंपारण में ही देखने को मिल रहा है.

"सरकार शिक्षकों के लोकतांत्रित अधिकारों का हनन कर रही है. शिक्षकों को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने का अधिकार है. पूर्व में सूचित कर धरना प्रदर्शन किया गया था, लेकिन सरकार शिक्षकों को निलंबन करने की कार्रवाई कर रही है, जो गलत है." -मनोज कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ

अधिकारी के पत्र में गलती बना मजाकः सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिहार सरकार उन अधिकारियों से जांच करवा रही है, जिन्हें चार लाइन लिखना तक नहीं आता हो. इससे बिहार की शिक्षा का मजाक बन रहा है. सरकार कह रही है कि गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ऐसे नियम लाए जा रहे हैं, लेकिन अधिकारी को हिंदी लिखने नहीं आती है.

अधिकारी के द्वारा जारी किया गया निर्देश में गलतियां
अधिकारी के द्वारा जारी किया गया निर्देश में गलतियां

भाकपा माले भी कर रही विरोधः इधर, महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है. भाकपा माले शुरू से शिक्षक नियमावली का विरोध करती आई है. इसको लेकर कई बार सरकार से आग्रह भी कर चुकी है कि नियमावली को लेकर समीक्षा की जाए, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया, जिससे नियोजित शिक्षक प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

सीएम से मिलेंगे भाकपा विधायकः भाकपा माले के विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि अपनी पार्टी के विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे और शिक्षा विभाग के इस आदेश को तुरंत रोकने की गुहार लगाएंगे. पूर्व से सूचना देकर नियोजित शिक्षक अपनी वाजिब मांगों को लेकर प्रदर्शन में सम्मिलित हुए थे. नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा मिलना ही चाहिए.

"शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई को रोकने के लिए सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की जाएगी. इसके लिए विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सीएम से मिलेंगे. सीएम से मांग करेंगे की शिक्षा विभाग के इस आदेश को रोका जाए. नियोजित शिक्षकों की मांग जायज है, इसलिए राज्यकर्मी का दर्जा मिलना ही चाहिए." -मनोज मंजिल, भाकपा विधायक

योग्यता वाले अधिकारी करे निरीक्षणः इधर, भाकपा माले विधायक ने विद्यालयों का निरीक्षण सक्षम प्राधिकार से कराने की मांग की. कहा कि अगर कोई विद्यालय का निरीक्षण करने जा रहा है तो उसकी शैक्षणिक योग्यता इस लायक हो कि शिक्षक भी हतोत्साहित महसूस न करें. विद्यालयों के निरीक्षण के लिए यह जो नया नियम लाया गया है, इसमें पारदर्शिता नहीं है.

क्यों प्रदर्शन कर रहे शिक्षकः बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर जारी नई नियमावली का विरोध किया जा रहा है. नई नियमावली के तहत बीपीएससी से बहाली की जाएगी. बीपीएससी से बहाल होने वाले शिक्षक राज्यकर्मी होंगे. बिहार में 3.50 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं है. नई नियमावली के तहत राज्यकर्मी की दर्जा पाने के लिए नियोजित शिक्षकों को बीपीएससी की परीक्षा में बैठना पड़ेगा. इसी नियमावली का नियोजित शिक्षक विरोध कर रहे हैं.

शिक्षकों की मांगः नियोजित शिक्षकों की मांग है कि बिना परीक्षा और शर्त के उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. क्योंकि चुनाव के दौरान सरकार ने 3.50 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के बाद ही नई नियमावली लाकर नियोजित शिक्षकों के साथ छलावा किया गया है. राज्यकर्मी का दर्जा की मांग को लेकर नियोजित शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं.

बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर प्रदर्शन वालों पर कार्रवाई की लटकी तलवार

पटनाः बिहार में शिक्षक बहाली (Teacher reinstatement in Bihar) को लेकर प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों में डर दिखने लगा है. 11 जुलाई को प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को चिह्नित कर उनके ऊपर निलंबन की कार्रवाई की जा रही है. अब तक दर्जन भर से अधिक शिक्षक निलंबित हो चुके हैं. पश्चिमी चंपारण में सर्वाधिक निलंबन की कार्रवाई देखने को मिली है.

यह भी पढ़ेंः Bihar Teacher Protest: पटना में शिक्षक संघ के धरना प्रदर्शन में शामिल हुए बेतिया के 3 शिक्षक निलंबित, कई शिक्षकों के निलंबन की तैयारी

फोटो डिलीट करने में जुटे शिक्षकः बिहार सरकार की इस कार्रवाई का डर इस कदर है कि नियोजित शिक्षक सोशल मीडिया से प्रदर्शन के दिन के फोटो को डिलीट कर रहे हैं. उन्हें डर है कि कहीं उनका फोटो देखकर उन्हें भी निलंबित न कर दिया जाए. ऐसे में इस कार्रवाई का शिक्षक संघ ने करा विरोध किया है. संघ ने इस कार्रवाई को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है. महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भाकपा माले भी सरकार से इस कार्रवाई का विरोध कर रही है.

लोकतांत्रिक अधिकारों का हननः विभाग की कार्रवाई को लेकर बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार ने विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार शिक्षकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है. सभी को अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन का अधिकार है. पूर्व से सूचित कर शिक्षकों ने 11 और 12 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद भी उनके ऊपर कार्रवाई करना गलत है.

पश्चिम चंपारण निशाने परः मनोज ने बताया कि जिस भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शिक्षकों ने सबसे अधिक आवेदन किए हैं, उन्हीं शिक्षकों पर कार्रवाई हो रही है. उदाहरण के लिए पश्चिमी चंपारण है. भितिहारवा गांधी आश्रम से नई शिक्षा नियमावली के विरोध में शिक्षकों का प्रदर्शन शुरू हुआ था. डीईओ के खिलाफ शिक्षकों ने कई शिकायत की थी. इसलिए सबसे अधिक निलंबन पश्चिमी चंपारण में ही देखने को मिल रहा है.

"सरकार शिक्षकों के लोकतांत्रित अधिकारों का हनन कर रही है. शिक्षकों को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने का अधिकार है. पूर्व में सूचित कर धरना प्रदर्शन किया गया था, लेकिन सरकार शिक्षकों को निलंबन करने की कार्रवाई कर रही है, जो गलत है." -मनोज कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ

अधिकारी के पत्र में गलती बना मजाकः सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिहार सरकार उन अधिकारियों से जांच करवा रही है, जिन्हें चार लाइन लिखना तक नहीं आता हो. इससे बिहार की शिक्षा का मजाक बन रहा है. सरकार कह रही है कि गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ऐसे नियम लाए जा रहे हैं, लेकिन अधिकारी को हिंदी लिखने नहीं आती है.

अधिकारी के द्वारा जारी किया गया निर्देश में गलतियां
अधिकारी के द्वारा जारी किया गया निर्देश में गलतियां

भाकपा माले भी कर रही विरोधः इधर, महागठबंधन की सहयोगी पार्टी भी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है. भाकपा माले शुरू से शिक्षक नियमावली का विरोध करती आई है. इसको लेकर कई बार सरकार से आग्रह भी कर चुकी है कि नियमावली को लेकर समीक्षा की जाए, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया, जिससे नियोजित शिक्षक प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

सीएम से मिलेंगे भाकपा विधायकः भाकपा माले के विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि अपनी पार्टी के विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे और शिक्षा विभाग के इस आदेश को तुरंत रोकने की गुहार लगाएंगे. पूर्व से सूचना देकर नियोजित शिक्षक अपनी वाजिब मांगों को लेकर प्रदर्शन में सम्मिलित हुए थे. नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा मिलना ही चाहिए.

"शिक्षकों पर हो रही कार्रवाई को रोकने के लिए सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की जाएगी. इसके लिए विधायकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सीएम से मिलेंगे. सीएम से मांग करेंगे की शिक्षा विभाग के इस आदेश को रोका जाए. नियोजित शिक्षकों की मांग जायज है, इसलिए राज्यकर्मी का दर्जा मिलना ही चाहिए." -मनोज मंजिल, भाकपा विधायक

योग्यता वाले अधिकारी करे निरीक्षणः इधर, भाकपा माले विधायक ने विद्यालयों का निरीक्षण सक्षम प्राधिकार से कराने की मांग की. कहा कि अगर कोई विद्यालय का निरीक्षण करने जा रहा है तो उसकी शैक्षणिक योग्यता इस लायक हो कि शिक्षक भी हतोत्साहित महसूस न करें. विद्यालयों के निरीक्षण के लिए यह जो नया नियम लाया गया है, इसमें पारदर्शिता नहीं है.

क्यों प्रदर्शन कर रहे शिक्षकः बिहार में शिक्षक बहाली को लेकर जारी नई नियमावली का विरोध किया जा रहा है. नई नियमावली के तहत बीपीएससी से बहाली की जाएगी. बीपीएससी से बहाल होने वाले शिक्षक राज्यकर्मी होंगे. बिहार में 3.50 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं है. नई नियमावली के तहत राज्यकर्मी की दर्जा पाने के लिए नियोजित शिक्षकों को बीपीएससी की परीक्षा में बैठना पड़ेगा. इसी नियमावली का नियोजित शिक्षक विरोध कर रहे हैं.

शिक्षकों की मांगः नियोजित शिक्षकों की मांग है कि बिना परीक्षा और शर्त के उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. क्योंकि चुनाव के दौरान सरकार ने 3.50 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के बाद ही नई नियमावली लाकर नियोजित शिक्षकों के साथ छलावा किया गया है. राज्यकर्मी का दर्जा की मांग को लेकर नियोजित शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं.

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