ETV Bharat / state

बिहार में हर रोज होती है एक बच्चे की तस्करी : एनसीआरबी - बाल तस्करी का कारोबार

बिहार में हर रोज एक बच्चे की तस्करी होती है. इसकी वजह से बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में बिहार तीसरा राज्य बन गया है. पहला स्थान राजस्थान और दूसरा पश्चिम बंगाल का है.

child traffiking
child traffiking
author img

By

Published : Dec 11, 2019, 8:23 AM IST

Updated : Dec 11, 2019, 8:51 AM IST

पटना: बिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी किए जाने के साथ यह देश में राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में तीसरा राज्य बन गया है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, बिहार से वर्ष 2017 में 18 वर्ष से कम उम्र के कुल 395 बच्चों की तस्करी की गई, जिनमें 362 लड़के और 33 लड़कियां शामिल थीं. इनमें से 366 से जबरन बाल श्रम कराया गया. इन बच्चों को बरामद कर लिया गया.

पहले स्थान पर राजस्थान
अक्टूबर में जारी एनसीआरबी के उक्त आंकड़ों के अनुसार बाल तस्करी के 886 मामलों के साथ राजस्थान पहले स्थान पर है जबकि पश्चिम बंगाल 450 ऐसे मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है. बिहार पुलिस ने 2017 में बच्चों की तस्करी करने वालों के खिलाफ 121 प्राथमिकी दर्ज कीं, लेकिन एक भी आरोप-पत्र दायर नहीं किए जाने के कारण कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी तथा मामलों का निष्पदान शून्य रहा.

bihar
बिहार में हर रोज होती है एक बच्चे की तस्करी

सरकारी योजनाओं के तहत कराया जाता है पुनर्वास
अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक विनय कुमार से बिहार में बाल तस्करी के कम मामले दर्ज होने के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा कि इस प्रदेश से तस्करी किए गए बच्चों के अन्य राज्यों में बरामद किए जाने पर प्राथमिकी संबंधित राज्य में दर्ज की जाती है. वहां से बरामद बच्चों को बिहार लाकर विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत उनका पुनर्वास किया जाता है.

bihar
वर्ष 2017 में बिहार में हुई 395 बच्चों की तस्करी

395 मामलों में 121 पर ही FIR
बिहार में बाल तस्करी के 395 मामलों में से केवल 121 को लेकर ही प्राथमिकी दर्ज किए जाने और समय पर आरोप पत्र दायर नहीं किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि आरोप पत्र जांच के बाद दायर किया जाता है. यह प्रत्येक मामले के दर्ज होने के तीन महीने के भीतर दायर किया जाता है, लेकिन एनसीआरबी द्वारा साल में केवल एक बार डेटा मांगा जाता है. राज्य में सीसीटीएमएस तंत्र के वर्तमान में विकसित नहीं होने के कारण समय पर डेटा फीड नहीं हो पाता है. सीसीटीएमएस को लागू करने के लिए काम जारी है.

bihar
बाल तस्करी में बिहार का तीसरा स्थान

बाल श्रम के खिलाफ काम कर रहे पटना स्थित एक गैर सरकारी संगठन, सेंटर डायरेक्ट के कार्यकारी निदेशक सुरेश कुमार ने कहा कि गरीबी, बाल तस्करी के कारोबार में काफी धन का लगा होना, अंतरराज्यीय समन्वय में कमी तथा कमजोर अभियोजन इसके पीछे मुख्य कारण हैं.

पटना: बिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी किए जाने के साथ यह देश में राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में तीसरा राज्य बन गया है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, बिहार से वर्ष 2017 में 18 वर्ष से कम उम्र के कुल 395 बच्चों की तस्करी की गई, जिनमें 362 लड़के और 33 लड़कियां शामिल थीं. इनमें से 366 से जबरन बाल श्रम कराया गया. इन बच्चों को बरामद कर लिया गया.

पहले स्थान पर राजस्थान
अक्टूबर में जारी एनसीआरबी के उक्त आंकड़ों के अनुसार बाल तस्करी के 886 मामलों के साथ राजस्थान पहले स्थान पर है जबकि पश्चिम बंगाल 450 ऐसे मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है. बिहार पुलिस ने 2017 में बच्चों की तस्करी करने वालों के खिलाफ 121 प्राथमिकी दर्ज कीं, लेकिन एक भी आरोप-पत्र दायर नहीं किए जाने के कारण कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी तथा मामलों का निष्पदान शून्य रहा.

bihar
बिहार में हर रोज होती है एक बच्चे की तस्करी

सरकारी योजनाओं के तहत कराया जाता है पुनर्वास
अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक विनय कुमार से बिहार में बाल तस्करी के कम मामले दर्ज होने के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा कि इस प्रदेश से तस्करी किए गए बच्चों के अन्य राज्यों में बरामद किए जाने पर प्राथमिकी संबंधित राज्य में दर्ज की जाती है. वहां से बरामद बच्चों को बिहार लाकर विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत उनका पुनर्वास किया जाता है.

bihar
वर्ष 2017 में बिहार में हुई 395 बच्चों की तस्करी

395 मामलों में 121 पर ही FIR
बिहार में बाल तस्करी के 395 मामलों में से केवल 121 को लेकर ही प्राथमिकी दर्ज किए जाने और समय पर आरोप पत्र दायर नहीं किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि आरोप पत्र जांच के बाद दायर किया जाता है. यह प्रत्येक मामले के दर्ज होने के तीन महीने के भीतर दायर किया जाता है, लेकिन एनसीआरबी द्वारा साल में केवल एक बार डेटा मांगा जाता है. राज्य में सीसीटीएमएस तंत्र के वर्तमान में विकसित नहीं होने के कारण समय पर डेटा फीड नहीं हो पाता है. सीसीटीएमएस को लागू करने के लिए काम जारी है.

bihar
बाल तस्करी में बिहार का तीसरा स्थान

बाल श्रम के खिलाफ काम कर रहे पटना स्थित एक गैर सरकारी संगठन, सेंटर डायरेक्ट के कार्यकारी निदेशक सुरेश कुमार ने कहा कि गरीबी, बाल तस्करी के कारोबार में काफी धन का लगा होना, अंतरराज्यीय समन्वय में कमी तथा कमजोर अभियोजन इसके पीछे मुख्य कारण हैं.

Intro:Body:

बिहार में हर रोज होती है एक बच्चे की तस्करी : एनसीआरबी



बिहार में हर रोज एक बच्चे की तस्करी होती है. इसकी वजह से बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में बिहार तीसरा राज्य बन गया है. पहला स्थान राजस्थान और दूसरा पश्चिम बंगाल का है.

पटना: बिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी किए जाने के साथ यह देश में राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद बाल तस्करी के दर्ज प्रकरणों के मामले में तीसरा राज्य बन गया है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, बिहार से वर्ष 2017 में 18 वर्ष से कम उम्र के कुल 395 बच्चों की तस्करी की गई, जिनमें 362 लड़के और 33 लड़कियां शामिल थीं. इनमें से 366 से जबरन बाल श्रम कराया गया. इन बच्चों को बरामद कर लिया गया.

पहले स्थान पर राजस्थान

अक्टूबर में जारी एनसीआरबी के उक्त आंकड़ों के अनुसार बाल तस्करी के 886 मामलों के साथ राजस्थान पहले स्थान पर है जबकि पश्चिम बंगाल 450 ऐसे मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है. बिहार पुलिस ने 2017 में बच्चों की तस्करी करने वालों के खिलाफ 121 प्राथमिकी दर्ज कीं, लेकिन एक भी आरोप-पत्र दायर नहीं किए जाने के कारण कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी तथा मामलों का निष्पदान शून्य रहा.

सरकारी योजनाओं के तहत कराया जाता है पुनर्वास 

अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक विनय कुमार से बिहार में बाल तस्करी के कम मामले दर्ज होने के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा कि इस प्रदेश से तस्करी किए गए बच्चों के अन्य राज्यों में बरामद किए जाने पर प्राथमिकी संबंधित राज्य में दर्ज की जाती है. वहां से बरामद बच्चों को बिहार लाकर विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत उनका पुनर्वास किया जाता है. 

395 मामलों में 121 पर ही FIR

बिहार में बाल तस्करी के 395 मामलों में से केवल 121 को लेकर ही प्राथमिकी दर्ज किए जाने और समय पर आरोप पत्र दायर नहीं किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि आरोप पत्र जांच के बाद दायर किया जाता है. यह प्रत्येक मामले के दर्ज होने के तीन महीने के भीतर दायर किया जाता है, लेकिन एनसीआरबी द्वारा साल में केवल एक बार डेटा मांगा जाता है. राज्य में सीसीटीएमएस तंत्र के वर्तमान में विकसित नहीं होने के कारण समय पर डेटा फीड नहीं हो पाता है. सीसीटीएमएस को लागू करने के लिए काम जारी है.

बाल श्रम के खिलाफ काम कर रहे पटना स्थित एक गैर सरकारी संगठन, सेंटर डायरेक्ट के कार्यकारी निदेशक सुरेश कुमार ने कहा कि गरीबी, बाल तस्करी के कारोबार में काफी धन का लगा होना, अंतरराज्यीय समन्वय में कमी तथा कमजोर अभियोजन इसके पीछे मुख्य कारण हैं.


Conclusion:
Last Updated : Dec 11, 2019, 8:51 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.