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World Hepatitis Day: बिहार में 55 लाख लोग 'हेपेटाइटिस' से ग्रसित, जानें कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

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Published : Jul 28, 2022, 4:27 PM IST

आज पूरी दुनिया में वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जा रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार के लगभग 55 लाख लोग इस बीमारी (People Suffer From Hepatitis In Bihar) से ग्रसित हैं. ऐसे तो हेपेटाइटिस के कई प्रकार हैं लेकिन लोग हेपेटाइटिस बी का शिकार ज्यादा होते हैं. जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

fifty five lakhs people suffer from hepatitis in bihar
fifty five lakhs people suffer from hepatitis in bihar

पटना: हेपेटाइटिस बीमारी के प्रति जागरूकता को लेकर हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day 2022) मनाया जाता है. इस बार हेपेटाइटिस दिवस का थीम है ब्रिंगिंग हेपेटाइटिस केयर क्लोजर टू यू. बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में लगभग 5% यानी कि करीब 50 लाख से 55 लाख की आबादी हेपेटाइटिस की बीमारी से ग्रसित है.

पढ़ें- ओडिशा : पुरी में सैंड आर्ट के जरिये मानस साहू ने दिया World Hepatitis Day का संदेश

'लिवर की बीमारी से लोग होते हैं ज्यादा परेशान': पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि हेपेटाइटिस मुख्य रूप से लिवर में सूजन की बीमारी होती है और कुछ हेपेटाइटिस वायरल हेपेटाइटिस होते हैं. वहीं कुछ हेपेटाइटिस खानपान के वजह से होते हैं जैसे कि यदि कोई अधिक शराब पीता है या मिलावटी शराब पीता है तो उसके लिवर में परेशानी आती है या कोई अधिक फैटी भोजन करता है और लिवर में फैट अधिक जमा हो जाता है.

कैसे होता है हेपेटाइटिस A और E?: डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि वायरल हेपेटाइटिस मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं. हेपेटाइटिस A, हेपेटाइटिस B, हेपेटाइटिस C और हेपेटाइटिस E. हेपेटाइटिस D यानी कि डेल्टा को हेपेटाइटिस बी के ही श्रेणी में रखा जाता है. उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई मुख्यतः गंदे पानी और खानपान की गंदगी से होता है. वहीं हेपेटाइटिस बी असुरक्षित यौन संबंध, अनुवांशिक वजह और हेपेटाइटिस के मरीज का खून किसी मरीज में चढ़ा देने पर होता है.

हेपेटाइटिस C से बचने के उपाय: उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस सी अधिकतर इंजेक्टबल ड्रग्स लेने वालों को होता है. यदि एक नीडल से कई लोग ड्रग्स लेते हैं या अगर कोई एक नीडल से कई लोगों का टैटू बनाता है तो इससे इस बीमारी के संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. हेपेटाइटिस सी अगर समय पर पहचान में आ जाए तो दवाइयों से इसका कंट्रोल संभव है.

हेपेटाइटिस बी लिवर को करता है प्रभावित: हेपेटाइटिस बी से बचाव के खिलाफ टीकाकरण तो उपलब्ध है लेकिन यदि किसी को हेपेटाइटिस बी हो जाता है तो इसका बेहतर ट्रीटमेंट अभी उपलब्ध नहीं है. हेपेटाइटिस बी 2 तरीके का होता है एक क्रॉनिक इंफेक्शन दूसरा एक्यूट इनफेक्शन. एक्यूट इन्फेक्शन के दौरान बीमारी दवाइयों से लगभग 6 महीना में ठीक हो जाता है. लेकिन यदि 6 महीने के बाद भी हेपेटाइटिस बी वायरस का रिपोर्ट पॉजिटिव मिलता है तो यह क्रॉनिक में बदल जाता है और इस वजह से लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.

"हेपेटाइटिस मुख्य रूप से लीवर में सूजन की बीमारी है. ऐसे में कई बार ऐसी दवाइयों का सेवन जिसका असर सीधे लिवर पर पड़ता है उसके अत्यधिक सेवन से भी हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है. जैसे टीबी की बीमारी में दवाइयां मरीज के सीधे लिवर पर इफेक्ट करती है. ऐसे में चिकित्सकों की निगरानी में टीबी की दवा चलती है. समय-समय पर मरीज का हेपेटाइटिस जांच कराया जाता है."- डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक

लिवर सूजन से हेपेटाइटिस का खतरा: चिकित्सक बताते हैं कि जो लोग एल्कोहलिक होते हैं उनके अत्यधिक अल्कोहल का सेवन करने और मिलावटी अल्कोहल का सेवन करने से ऐसे लोगों में लिवर सिरोसिस जिसे हेपेटाइटिस कहीं एक प्रकार कहा जाता है उसका खतरा बढ़ जाता है. अत्यधिक फैटी भोजन करने वालों के लिवर में फैट अत्यधिक जमा हो जाता है जिस वजह से लिवर सूजन करने लगता है और उन्हें भी हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है.

हेपेटाइटिस B के लक्षण: डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि इस बीमारी में मुख्य रूप से भूख कम लगती है. थोड़ा खाने पर भी पेट भारी हो जाता है और जल्दी पचता नहीं है. बार बार उल्टी आने जैसा लगता है. त्वचा का रंग पीला होने लगता है और आंखों में पीलापन छाने लगता है.
डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीकाकरण जो उपलब्ध है उसे अवश्य लें.

हेपेटाइटिस B से बचाव के उपाय: खानपान और पेयजल की स्वच्छता पर ध्यान दें. गंदा पानी ना पिए और कभी भी किसी दूसरे का यूज किया हुआ नीडल अपने शरीर पर यूज ना करें. उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग वायरल हेपिटाइटिस से संक्रमित होते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में इनके लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं जो बाद में उनके लिए जानलेवा बन जाता है. मेडिकल साइंस में डेवलपमेंट के बाद बिहार में भी अब इन निर्देश को अस्पतालों द्वारा सख्ती से पालन किया जाता है कि किसी भी मरीज के ऑपरेशन के पहले उसका हेपेटाइटिस जांच और एचआईवी जांच कराया जाता है. जिसके बाद कई लोगों में वायरल हेपेटाइटिस डिटेक्ट हो जाता है. उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में हेपेटाइटिस के वजह से हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत होती है, ऐसे में जरूरी है कि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक और सचेत हो.

इन बातों का रखें खास ख्याल: अगर आप हेपेटाइटिस बी के संपर्क में आ गए हैं तो दवाओं के साथ खान-पान पर भी विशेष ध्यान दें. खूब सारे तरल पदार्थ और हेल्दी डाइट लें ताकि शरीर को अंदर से संक्रमण से लड़ने की ताकत मिल सके. लिवर को नुकसान से बचाने के लिए अल्कोहल का सेवन बिल्कुल भी ना करें. अगर आप कोई हर्बल इलाज कर रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को जरूर दें क्योंकि कई देसी चीजें लिवर के सूजन को बढ़ाने का काम करती हैं.


पटना: हेपेटाइटिस बीमारी के प्रति जागरूकता को लेकर हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस (World Hepatitis Day 2022) मनाया जाता है. इस बार हेपेटाइटिस दिवस का थीम है ब्रिंगिंग हेपेटाइटिस केयर क्लोजर टू यू. बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में लगभग 5% यानी कि करीब 50 लाख से 55 लाख की आबादी हेपेटाइटिस की बीमारी से ग्रसित है.

पढ़ें- ओडिशा : पुरी में सैंड आर्ट के जरिये मानस साहू ने दिया World Hepatitis Day का संदेश

'लिवर की बीमारी से लोग होते हैं ज्यादा परेशान': पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि हेपेटाइटिस मुख्य रूप से लिवर में सूजन की बीमारी होती है और कुछ हेपेटाइटिस वायरल हेपेटाइटिस होते हैं. वहीं कुछ हेपेटाइटिस खानपान के वजह से होते हैं जैसे कि यदि कोई अधिक शराब पीता है या मिलावटी शराब पीता है तो उसके लिवर में परेशानी आती है या कोई अधिक फैटी भोजन करता है और लिवर में फैट अधिक जमा हो जाता है.

कैसे होता है हेपेटाइटिस A और E?: डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि वायरल हेपेटाइटिस मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं. हेपेटाइटिस A, हेपेटाइटिस B, हेपेटाइटिस C और हेपेटाइटिस E. हेपेटाइटिस D यानी कि डेल्टा को हेपेटाइटिस बी के ही श्रेणी में रखा जाता है. उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई मुख्यतः गंदे पानी और खानपान की गंदगी से होता है. वहीं हेपेटाइटिस बी असुरक्षित यौन संबंध, अनुवांशिक वजह और हेपेटाइटिस के मरीज का खून किसी मरीज में चढ़ा देने पर होता है.

हेपेटाइटिस C से बचने के उपाय: उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस सी अधिकतर इंजेक्टबल ड्रग्स लेने वालों को होता है. यदि एक नीडल से कई लोग ड्रग्स लेते हैं या अगर कोई एक नीडल से कई लोगों का टैटू बनाता है तो इससे इस बीमारी के संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. हेपेटाइटिस सी अगर समय पर पहचान में आ जाए तो दवाइयों से इसका कंट्रोल संभव है.

हेपेटाइटिस बी लिवर को करता है प्रभावित: हेपेटाइटिस बी से बचाव के खिलाफ टीकाकरण तो उपलब्ध है लेकिन यदि किसी को हेपेटाइटिस बी हो जाता है तो इसका बेहतर ट्रीटमेंट अभी उपलब्ध नहीं है. हेपेटाइटिस बी 2 तरीके का होता है एक क्रॉनिक इंफेक्शन दूसरा एक्यूट इनफेक्शन. एक्यूट इन्फेक्शन के दौरान बीमारी दवाइयों से लगभग 6 महीना में ठीक हो जाता है. लेकिन यदि 6 महीने के बाद भी हेपेटाइटिस बी वायरस का रिपोर्ट पॉजिटिव मिलता है तो यह क्रॉनिक में बदल जाता है और इस वजह से लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.

"हेपेटाइटिस मुख्य रूप से लीवर में सूजन की बीमारी है. ऐसे में कई बार ऐसी दवाइयों का सेवन जिसका असर सीधे लिवर पर पड़ता है उसके अत्यधिक सेवन से भी हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है. जैसे टीबी की बीमारी में दवाइयां मरीज के सीधे लिवर पर इफेक्ट करती है. ऐसे में चिकित्सकों की निगरानी में टीबी की दवा चलती है. समय-समय पर मरीज का हेपेटाइटिस जांच कराया जाता है."- डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक

लिवर सूजन से हेपेटाइटिस का खतरा: चिकित्सक बताते हैं कि जो लोग एल्कोहलिक होते हैं उनके अत्यधिक अल्कोहल का सेवन करने और मिलावटी अल्कोहल का सेवन करने से ऐसे लोगों में लिवर सिरोसिस जिसे हेपेटाइटिस कहीं एक प्रकार कहा जाता है उसका खतरा बढ़ जाता है. अत्यधिक फैटी भोजन करने वालों के लिवर में फैट अत्यधिक जमा हो जाता है जिस वजह से लिवर सूजन करने लगता है और उन्हें भी हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है.

हेपेटाइटिस B के लक्षण: डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि इस बीमारी में मुख्य रूप से भूख कम लगती है. थोड़ा खाने पर भी पेट भारी हो जाता है और जल्दी पचता नहीं है. बार बार उल्टी आने जैसा लगता है. त्वचा का रंग पीला होने लगता है और आंखों में पीलापन छाने लगता है.
डॉ दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीकाकरण जो उपलब्ध है उसे अवश्य लें.

हेपेटाइटिस B से बचाव के उपाय: खानपान और पेयजल की स्वच्छता पर ध्यान दें. गंदा पानी ना पिए और कभी भी किसी दूसरे का यूज किया हुआ नीडल अपने शरीर पर यूज ना करें. उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग वायरल हेपिटाइटिस से संक्रमित होते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में इनके लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं जो बाद में उनके लिए जानलेवा बन जाता है. मेडिकल साइंस में डेवलपमेंट के बाद बिहार में भी अब इन निर्देश को अस्पतालों द्वारा सख्ती से पालन किया जाता है कि किसी भी मरीज के ऑपरेशन के पहले उसका हेपेटाइटिस जांच और एचआईवी जांच कराया जाता है. जिसके बाद कई लोगों में वायरल हेपेटाइटिस डिटेक्ट हो जाता है. उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में हेपेटाइटिस के वजह से हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत होती है, ऐसे में जरूरी है कि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक और सचेत हो.

इन बातों का रखें खास ख्याल: अगर आप हेपेटाइटिस बी के संपर्क में आ गए हैं तो दवाओं के साथ खान-पान पर भी विशेष ध्यान दें. खूब सारे तरल पदार्थ और हेल्दी डाइट लें ताकि शरीर को अंदर से संक्रमण से लड़ने की ताकत मिल सके. लिवर को नुकसान से बचाने के लिए अल्कोहल का सेवन बिल्कुल भी ना करें. अगर आप कोई हर्बल इलाज कर रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को जरूर दें क्योंकि कई देसी चीजें लिवर के सूजन को बढ़ाने का काम करती हैं.


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