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किसान आंदोलन से 5000 करोड़ के व्यापार का नुकसान, बिहार के लिए सामानों की सप्लाई में भी कमी

एक अनुमान के अनुसार दिल्ली आने वाले माल का लगभग 30 से 40 प्रतिशत माल की आवाजाही किसान आंदोलन से प्रभावित हुई है. जिसका विपरीत असर दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के व्यापार पर पड़ रहा है. पिछले बीस दिनों में दिल्ली और आसपास के राज्यों में लगभग 5000 करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित हुआ है. इन राज्यों में बिहार भी शामिल है.

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)
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Published : Dec 16, 2020, 11:27 AM IST

Updated : Dec 16, 2020, 1:21 PM IST

पटनाः दिल्ली और दिल्ली के आसपास चल रहे किसान आंदोलन और उसके कारण अर्थव्यवस्था के विभिन्न वर्गों को होने वाली असुविधाओं के मद्देनजर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) नई दिल्ली में एक वर्चुअल सम्मेलन आयोजित किया गया. जहां किसान कानूनों से सम्बन्ध रखने वाले विभिन्न वर्गों के प्रमुख संगठनों ने हिस्सा लिया.

इस सम्मेलन में कैट बिहार के अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा भी शामिल हुए और उन्होंने कहा कि जो किसान पंजाब और हरियाणा से सामान बिहार भेजते थे, उस सामानों की सप्लाई काफी कमी आई है.

सरकार और किसानों से किया आग्रह
इस सम्मेलन में शामिल सभी लोगों ने सर्वसम्मति से आंदोलन कर रहे नेताओं से आग्रह किया कि वो सरकार से चल रही वार्ता के जरिये अपने मुद्दों को सलुझायें. वहीं, सरकार से भी यह आग्रह किया कि खुले विचारों से किसान वर्ग की बातों को सुना जाए और बातचीत के जरिए उनकी वाजिब मांगों को स्वीकार करते हुए शीघ्र ही इसका हल निकाला जाए.

वर्चुअल सम्मेलन में बोलते हुए कैट राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खन्डेलवाल

किसानों की वाजिब मांगों से सहानुभूति
सम्मेलन में मौजूद नेताओं ने कहा कि वो किसानों की वाजिब मांगों से सहानुभूति रखते हैं और क्योंकि आजादी के बाद अब तक देश में किसान घाटे की खेती करता आया है. निश्चित रूप से किसान की घाटे की खेती को लाभ की खेती में परिवर्तित करना बेहद आवश्यक हो गया है. जिससे देश के आम किसान को खेती करने के लिए ही प्रोत्साहित किया जा सके.

ये भी पढ़ेंः अधर में लटकी है पथ निर्माण विभाग की योजनाएं, 9 साल में भी तैयार नहीं हो पाया ताजपुर-बख्तियारपुर पुल

खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े व्यापारी परेशान
नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों को केवल किसानों से ही सम्बंधित कहना बिलकुल गलत है. इन कानूनों से केवल किसान ही नहीं बल्कि उपभोक्ता सहित कृषि खाद्यान्नों का व्यापार करने वाले व्यापारी खाद्य प्रसंस्करण में लगे उद्योग एवं व्यापार, बीज एवं कीटनाशक बनाने वाली उद्योग, खाद और अन्य उपजाऊ उत्पाद बनाने वाले लोग, थोक एवं खुदरा विक्रेता,आढ़ती एवं कृषि से सम्बंधित बड़े उद्योग सहित अनेक वर्गों के लोग प्रभावित होंगे. इसलिए इन कानूनों से सारे स्टोकहोल्डर्स के हितों को संरक्षित करने की आवश्यकता है.

किसान आंदोलन का पड़ रहा बुरा असर
सम्मेलन में कहा गया कि देश के सभी लोग किसानों के आंदोलन करने के लोकतांत्रिक अधिकार का सम्मान करते हैं और किसानों को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है. किन्तु किसान आंदोलन का असर यदि अन्य लोगों के अधिकार पर असर डालता है तो वो कतई उचित नहीं है. दिल्ली न तो कृषि राज्य है और न ही औद्योगिक राज्य. बल्कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा व्यापारिक वितरण केंद्र है. जहां देश के विभिन्न राज्यों से दिल्ली में माल आता है और दिल्ली से देश के समस्त राज्यों में माल जाता है.

पटनाः दिल्ली और दिल्ली के आसपास चल रहे किसान आंदोलन और उसके कारण अर्थव्यवस्था के विभिन्न वर्गों को होने वाली असुविधाओं के मद्देनजर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) नई दिल्ली में एक वर्चुअल सम्मेलन आयोजित किया गया. जहां किसान कानूनों से सम्बन्ध रखने वाले विभिन्न वर्गों के प्रमुख संगठनों ने हिस्सा लिया.

इस सम्मेलन में कैट बिहार के अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा भी शामिल हुए और उन्होंने कहा कि जो किसान पंजाब और हरियाणा से सामान बिहार भेजते थे, उस सामानों की सप्लाई काफी कमी आई है.

सरकार और किसानों से किया आग्रह
इस सम्मेलन में शामिल सभी लोगों ने सर्वसम्मति से आंदोलन कर रहे नेताओं से आग्रह किया कि वो सरकार से चल रही वार्ता के जरिये अपने मुद्दों को सलुझायें. वहीं, सरकार से भी यह आग्रह किया कि खुले विचारों से किसान वर्ग की बातों को सुना जाए और बातचीत के जरिए उनकी वाजिब मांगों को स्वीकार करते हुए शीघ्र ही इसका हल निकाला जाए.

वर्चुअल सम्मेलन में बोलते हुए कैट राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खन्डेलवाल

किसानों की वाजिब मांगों से सहानुभूति
सम्मेलन में मौजूद नेताओं ने कहा कि वो किसानों की वाजिब मांगों से सहानुभूति रखते हैं और क्योंकि आजादी के बाद अब तक देश में किसान घाटे की खेती करता आया है. निश्चित रूप से किसान की घाटे की खेती को लाभ की खेती में परिवर्तित करना बेहद आवश्यक हो गया है. जिससे देश के आम किसान को खेती करने के लिए ही प्रोत्साहित किया जा सके.

ये भी पढ़ेंः अधर में लटकी है पथ निर्माण विभाग की योजनाएं, 9 साल में भी तैयार नहीं हो पाया ताजपुर-बख्तियारपुर पुल

खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े व्यापारी परेशान
नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों को केवल किसानों से ही सम्बंधित कहना बिलकुल गलत है. इन कानूनों से केवल किसान ही नहीं बल्कि उपभोक्ता सहित कृषि खाद्यान्नों का व्यापार करने वाले व्यापारी खाद्य प्रसंस्करण में लगे उद्योग एवं व्यापार, बीज एवं कीटनाशक बनाने वाली उद्योग, खाद और अन्य उपजाऊ उत्पाद बनाने वाले लोग, थोक एवं खुदरा विक्रेता,आढ़ती एवं कृषि से सम्बंधित बड़े उद्योग सहित अनेक वर्गों के लोग प्रभावित होंगे. इसलिए इन कानूनों से सारे स्टोकहोल्डर्स के हितों को संरक्षित करने की आवश्यकता है.

किसान आंदोलन का पड़ रहा बुरा असर
सम्मेलन में कहा गया कि देश के सभी लोग किसानों के आंदोलन करने के लोकतांत्रिक अधिकार का सम्मान करते हैं और किसानों को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है. किन्तु किसान आंदोलन का असर यदि अन्य लोगों के अधिकार पर असर डालता है तो वो कतई उचित नहीं है. दिल्ली न तो कृषि राज्य है और न ही औद्योगिक राज्य. बल्कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा व्यापारिक वितरण केंद्र है. जहां देश के विभिन्न राज्यों से दिल्ली में माल आता है और दिल्ली से देश के समस्त राज्यों में माल जाता है.

Last Updated : Dec 16, 2020, 1:21 PM IST
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