पटना: बिहार में दंत चिकित्सकों से जुड़ा बड़ा मामला सामने आया है. बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा करने वाली सरकार ने बिना नोटिस के 72 दंत चिकित्सकों को बर्खास्त कर दिया. ये चिकित्सक विगत 8 से 14 सालों से संविदा पर काम कर रहे थे. इनकी मांग थी कि उन्हें नियमित सेवा दी जाए.
बिहार राज्य दंत चिकित्सक संघर्ष मोर्चा ने सरकार से सभी चिकित्सकों को फिर से बहाल करने की मांग की है. दंत चिकित्सकों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाएगी, तो वो आत्महत्या कर लेंगे.
पूरा मामला
बिहार राज्य दंत चिकित्सक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. श्रीप्रकाश कुमार ने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग में चयन से वंचित रह गए दंत चिकित्सकों को सरकार ने इस साल 25 फरवरी को बिना किसी पूर्व नोटिस के ही सेवा से बर्खास्त कर दिया. उन्होंने बताया कि सभी चिकित्सक राज्य के विभिन्न जिलों में पिछले 8 से 14 वर्षों से संविदा पर काम कर रहे थे.
इंटरव्यू में हुई धांधली
डॉ. श्रीप्रकाश की मानें, तो 2015 में दंत चिकित्सकों की नियमित नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आवेदन आमंत्रित किए गए थे. इसके लिए 2018 में इंटरव्यू लिया गया. उन्होंने बताया कि इंटरव्यू में धांधली हुई थी और इसका मामला हाई कोर्ट में चल रहा है. उन्होंने कहा कि उस इंटरव्यू में 72 दंत चिकित्सक नियमित सेवा में आने से वंचित रह गए थे.
आखिर क्यों ? इन चिकित्सकों को हटाया गया
पूरे मामले पर दंत चिकित्सक संघर्ष मोर्चा ने चिकित्सकों के नियमितीकरण के लिए कानूनी परामर्श भी लिया. तत्कालीन राज्य सरकार के महाधिवक्ता डॉ. एलबी सिंह ने लिखित आश्वासन दिया कि किसी भी परिस्थिति में संविदा पर कार्यरत चयन से वंचित किसी दंत चिकित्सकों को नहीं हटाया जाएगा. उन्होंने चिकित्सकों को कहा था कि उनकी सेवा के नियमितीकरण की प्रक्रिया की जाएगी.
'सीएम आवास के सामने करें लेंगे आत्मदाह'
इसके बाद भी दंत चिकित्सकों को बिना किसी पूर्व नोटिस के ही 25 फरवरी 2020 को अधिसूचना जारी कर 72 दंत चिकित्सकों की सेवा समाप्त कर दी. इस बाबत डॉ. श्रीप्रकाश ने कहा कि अगर सरकार दंत चिकित्सकों की पुनः बहाली और नियमित नियुक्तिकरण नहीं होता है. तो वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास के सामने आत्मदाह करेंगे.
कोरोना ने रोका आमरण अनशन
दंत चिकित्सक डॉ. नफीस अहमद ने कहा कि 15 जून से इन मांगों को लेकर वह आमरण अनशन पर जाने वाले थे और इस को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा था. लेकिन जिलाधिकारी ने संक्रमण काल को देखते हुए अनुमति नहीं दी. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है और जिलाधिकारी के तरफ से अगर अनुमति मिलती है. तो वह निश्चित रूप से आमरण अनशन पर चले जाएंगे. इसके अलावा और कोई विकल्प बचा नहीं है.
दंत चिकित्सक डॉ. प्रियरंजन कुमार ने कहा कि 11 फरवरी 2020 को और 17 फरवरी 2020 को दो पत्र जारी हुए हैं. इन पत्रों के माध्यम से संविदा पर काम करने वाले दंत चिकित्सकों के नियुक्ति के संबंध में सभी जिला के सिविल सर्जन से कार्यरत दंत चिकित्सकों का विस्तृत ब्यौरा मांगा गया. उसके बाद 25 फरवरी को अचानक स्वास्थ्य विभाग के आदेश संख्या-256 द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के उन सभी संविदा पर काम करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई.
'नहीं कर पा रहे जीवन यापन'
प्रियरंजन कुमार ने बताया कि उन लोगों के पक्ष में महाधिवक्ता बिहार सरकार, प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि द्वारा दिए गए लिखित सुझाव और पत्र को दरकिनार करते हुए उन सभी की सेवा समाप्त की गई है. उन्होंने कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है. इस मसले पर दंत चिकित्सक कई बार स्वास्थ्य मंत्री और प्रधान स्वास्थ्य सचिव से मिले. लेकिन हमेशा आश्वासन मिलता रहा है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से दंत चिकित्सक अपनी सेवा दे रहे थे. अचानक उन्हें सरकार ने सेवा से बर्खास्त कर दिया, जिसके बाद से उनके जीवन यापन पर संकट आ पड़ा है.
- बता दें कि राज्य में 750 दंत चिकित्सकों के पद सृजित है, जिसमें वर्तमान में लगभग 350 पद रिक्त हैं. ऐसे में सरकार जहां रोजगार देने के तमाम वादे कर रही है, तो वहीं इन डॉक्टरों के साथ जो हुआ. वो स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा करता है.