पटना: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश (Order) के बाद बिहार (Bihar) के बेऊर जेल में बंद 702 कैदियों को जमानत (Bail) पर रिहा किया गया है. कोर्ट ने कोरोना (Corona) के मद्देनजर जेलों में कैदियों (Prisoners) को कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु 7 साल से कम सजा वाले कैदियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.
इसके साथ ही जिन कारागारों (Jail) में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. उन्हें तीन महीने के पैरोल पर छोड़ने का निर्देश दिया था. जिसके चलते पटना स्थित बेऊर जेल (Beur Jail) में बंद 702 कैदियों को जमानत पर रिहा किया गया है.
कैदियों को मिल रही जमानत और पैरोल
वहीं, अब बेऊर जेल समेत अन्य जिलों में बंद कैदियों को जमानत मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है, ताकि जेलों में कैदियों की क्षमता को कम किया जा सके. हालांकि जिन कैदियों को जमानत मिला है. उनमें से 50 प्रतिशत से अधिक कैदी शराब (Liquor) के मामले में कई महीने से बेऊर जेल में बंद थे. चोरी, छिनतई और मारपीट और कई कम गंभीर अपराध के मामले में बंद कैदियों को भी बेल मिल गई है. साथ ही जेल में बंद कैदियों को कोरोना से बचाव हेतु वैक्सीन (Vaccine) भी लगायी जा रही है.
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हाई पावर कमेटी बनाने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सजायाफ्ता कैदी जो ज्यादा से ज्यादा सजा काट चुके हैं. उन्हें उनके आचरण के आधार पर छोड़ दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक 90 दिन के भीतर हाई पावर कमेटी बनाये जो निर्णय करें कि इस तरह के कैदियों को तत्काल अंतरिम जमानत या पैरोल पर विचार करें.
क्षमता से ज्यादा कैदी
बिहार में कुल 59 जेलों में 55,000 कैदी इस वक्त मौजूद हैं. इस कोरोना महामारी के दौरान क्षमता से 12,000 अधिक कैदी जेलों में रह रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा करोना के समय जेलों में भीड़ को रोकने के लिए गिरफ्तारी को सीमित करने का आह्वान किया गया है.
अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या ज्यादा
बिहार के जिलों में बंद 55,000 कैदियों में से लगभग 45,000 कैदी अंडर ट्रायल हैं. बचे 10,000 कैदी सजायाफ्ता हैं. ऐसे में अधिक संख्या में कैदी जो बिहार के जेलों में बंद हैं वह अंडर ट्रायल हैं. जिस वजह से अंडर ट्रायल कैदियों को पैरोल पर छोड़ना कहीं ना कहीं राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है.