ETV Bharat / state

Opposition Unity : 5 मुख्यमंत्री.. 15 दल.. लेकिन नरेंद्र मोदी को घेरना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम पटरी पर आती दिख रही है. 23 जून की तारीख पर दलों और नेताओं के बीच सहमति बन चुकी है. कांग्रेस पार्टी की ओर से हरी झंडी दी जा चुकी है, बावजूद इसके नेताओं के समक्ष विपक्षी एकता को लेकर कई चुनौतियां हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jun 8, 2023, 7:57 PM IST

क्षत्रपों की अपनी-अपनी चुनौती, आसान नहीं विपक्षी एकता की राहें

पटना : नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से मुकाबले के लिए विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं. जेपी की धरती को बैटलग्राउंड बनाया गया है. 23 जून को तमाम विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगना है. लगभग 15 दलों ने बैठक में शिरकत करने को लेकर सहमति दे दी है. अब महागठबंधन नेता विपक्ष की बैठक को लेकर तैयारियों में जुट गए हैं. राहुल गांधी और मलिकार्जुन खरगे को लेकर पेंच फंसा था. आपसी बातचीत के बाद विवाद सुलझ गया है और मिल रही जानकारी के मुताबिक विपक्षी दलों की बैठक में दोनों में से एक नेता के शामिल होने की संभावना है.

ये भी पढ़ें- Opposition Unity : तेजस्वी यादव की भविष्यवाणी.. MP, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार तय

5 मुख्यमंत्री बैठक में होंगे शामिल : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे विपक्षी एकता के लिए होने वाली बैठक में शामिल होंगे. यह तय माना जा रहा है राहुल गांधी को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. 15 दलों की ओर से बैठक में शामिल होने को लेकर सहमति दी जा चुकी है. तमाम दलों के शीर्ष नेता बैठक में शामिल होंगे. अब तक जो जानकारी दी जा रही है. उसके मुताबिक बैठक में 5 मुख्यमंत्री शामिल होने वाले हैं. नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन बैठक में हिस्सा लेंगे.


राजनीतिक पार्टियों ने की सहमति: राजनीतिक दलों की अगर बात कर लें तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, डी राजा, सीताराम येचुरी और दीपांकर भट्टाचार्य ने भी सहमति दे दी है. नीतीश कुमार के लिए चिंता का सबब यह है कि बहुजन समाज पार्टी की ओर से कोई सकारात्मक संदेश नहीं मिला है. इसके अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने भी सहमति नहीं दी है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सहमति ही नहीं मिली है. इधर नवीन पटनायक ने भी विपक्ष की एकता बैठक से दूरी बनाए रखी है.


क्षेत्रीय क्षत्रपों के अपने-अपने समीकरण : विपक्षी एकता के नाम पर नेताओं का जमावड़ा तो लग रहा है. लेकिन विपक्षी एकता के रास्ते में कई चुनौतियां भी हैं. जिससे नेताओं को दो-चार होना पड़ेगा. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अध्यादेश के मसले पर तमाम दलों का समर्थन चाहते हैं. तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस से भी परहेज है. कांग्रेस पार्टी भी राज्यों की सियासत के चलते अरविंद केजरीवाल के साथ आने में सहज नहीं है. अध्यादेश के मामले ने कांग्रेस को उलझा दिया है.


कम नहीं है दलों के बीच की चुनौती: दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि विपक्षी एकता किसके छतरी के नीचे होगी? क्षेत्रीय दलों के छतरी के नीचे कांग्रेस आएगी या फिर कांग्रेस पार्टी के छतरी के नीचे तमाम दलों को आना होगा. जिन दलों को कांग्रेस पार्टी से परहेज है, उनके साथ किस तरीके का समीकरण बनेगा? सवाल यह भी महत्वपूर्ण है कि नीतीश कुमार ने जो फार्मूला सुझाया था, उसे कांग्रेस पार्टी स्वीकार करेगी या नहीं?

सीएम नीतीश का फॉर्मूला : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से कहा गया था कि कांग्रेस पार्टी जहां मजबूत है वहां वह लड़े और जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं वहां उनके प्रत्याशी लड़ें. बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार हो. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मुहिम से उत्साहित हैं. तेजस्वी ने कहा है कि 2024 के चुनाव को लेकर भाजपा के लोग डरे हुए हैं. 2 राज्यों में भाजपा की हार हुई है और कई और राज्यों में चुनाव होने है. वहां भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ेगा. तेजस्वी ने कहा कि 15 दलों की सहमति मिल गई है. लेकिन, अब तक केसीआर से बात नहीं हो पाई है.


जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दावा किया है कि ''राहुल गांधी और मलिकार्जुन खरगे बैठक में शामिल होंगे. स्वीकृति मिल चुकी है, इसके अलावा क्षेत्रीय दलों के क्षत्रप भी बैठक में शामिल होंगे.'' ललन सिंह ने कहा कि 2024 में हम भाजपा को शिकस्त देने में कामयाब होंगे. कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉक्टर शकील अहमद ने कहा है कि ''बीजेपी के साथ हम मुकाबले के लिए एकजुट हो रहे हैं. बैठक में राहुल गांधी और मलिकार्जुन खरगे शामिल होंगे इसकी पूरी संभावना है.''


राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि ''विपक्षी एकता की राह में कई चुनौतियां हैं, पहली चुनौती तो यह है कि विपक्षी एकता क्षेत्रीय दलों के पर होगी या फिर राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर होगी. क्या कांग्रेस 400 से कम सीटों पर लड़ने को तैयार होगी और नेतृत्व के सवाल पर कोई सहमति बन पाती है या नहीं''

क्षत्रपों की अपनी-अपनी चुनौती, आसान नहीं विपक्षी एकता की राहें

पटना : नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से मुकाबले के लिए विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं. जेपी की धरती को बैटलग्राउंड बनाया गया है. 23 जून को तमाम विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगना है. लगभग 15 दलों ने बैठक में शिरकत करने को लेकर सहमति दे दी है. अब महागठबंधन नेता विपक्ष की बैठक को लेकर तैयारियों में जुट गए हैं. राहुल गांधी और मलिकार्जुन खरगे को लेकर पेंच फंसा था. आपसी बातचीत के बाद विवाद सुलझ गया है और मिल रही जानकारी के मुताबिक विपक्षी दलों की बैठक में दोनों में से एक नेता के शामिल होने की संभावना है.

ये भी पढ़ें- Opposition Unity : तेजस्वी यादव की भविष्यवाणी.. MP, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार तय

5 मुख्यमंत्री बैठक में होंगे शामिल : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे विपक्षी एकता के लिए होने वाली बैठक में शामिल होंगे. यह तय माना जा रहा है राहुल गांधी को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. 15 दलों की ओर से बैठक में शामिल होने को लेकर सहमति दी जा चुकी है. तमाम दलों के शीर्ष नेता बैठक में शामिल होंगे. अब तक जो जानकारी दी जा रही है. उसके मुताबिक बैठक में 5 मुख्यमंत्री शामिल होने वाले हैं. नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन बैठक में हिस्सा लेंगे.


राजनीतिक पार्टियों ने की सहमति: राजनीतिक दलों की अगर बात कर लें तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, डी राजा, सीताराम येचुरी और दीपांकर भट्टाचार्य ने भी सहमति दे दी है. नीतीश कुमार के लिए चिंता का सबब यह है कि बहुजन समाज पार्टी की ओर से कोई सकारात्मक संदेश नहीं मिला है. इसके अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने भी सहमति नहीं दी है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सहमति ही नहीं मिली है. इधर नवीन पटनायक ने भी विपक्ष की एकता बैठक से दूरी बनाए रखी है.


क्षेत्रीय क्षत्रपों के अपने-अपने समीकरण : विपक्षी एकता के नाम पर नेताओं का जमावड़ा तो लग रहा है. लेकिन विपक्षी एकता के रास्ते में कई चुनौतियां भी हैं. जिससे नेताओं को दो-चार होना पड़ेगा. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अध्यादेश के मसले पर तमाम दलों का समर्थन चाहते हैं. तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस से भी परहेज है. कांग्रेस पार्टी भी राज्यों की सियासत के चलते अरविंद केजरीवाल के साथ आने में सहज नहीं है. अध्यादेश के मामले ने कांग्रेस को उलझा दिया है.


कम नहीं है दलों के बीच की चुनौती: दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि विपक्षी एकता किसके छतरी के नीचे होगी? क्षेत्रीय दलों के छतरी के नीचे कांग्रेस आएगी या फिर कांग्रेस पार्टी के छतरी के नीचे तमाम दलों को आना होगा. जिन दलों को कांग्रेस पार्टी से परहेज है, उनके साथ किस तरीके का समीकरण बनेगा? सवाल यह भी महत्वपूर्ण है कि नीतीश कुमार ने जो फार्मूला सुझाया था, उसे कांग्रेस पार्टी स्वीकार करेगी या नहीं?

सीएम नीतीश का फॉर्मूला : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से कहा गया था कि कांग्रेस पार्टी जहां मजबूत है वहां वह लड़े और जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं वहां उनके प्रत्याशी लड़ें. बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार हो. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मुहिम से उत्साहित हैं. तेजस्वी ने कहा है कि 2024 के चुनाव को लेकर भाजपा के लोग डरे हुए हैं. 2 राज्यों में भाजपा की हार हुई है और कई और राज्यों में चुनाव होने है. वहां भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ेगा. तेजस्वी ने कहा कि 15 दलों की सहमति मिल गई है. लेकिन, अब तक केसीआर से बात नहीं हो पाई है.


जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने दावा किया है कि ''राहुल गांधी और मलिकार्जुन खरगे बैठक में शामिल होंगे. स्वीकृति मिल चुकी है, इसके अलावा क्षेत्रीय दलों के क्षत्रप भी बैठक में शामिल होंगे.'' ललन सिंह ने कहा कि 2024 में हम भाजपा को शिकस्त देने में कामयाब होंगे. कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉक्टर शकील अहमद ने कहा है कि ''बीजेपी के साथ हम मुकाबले के लिए एकजुट हो रहे हैं. बैठक में राहुल गांधी और मलिकार्जुन खरगे शामिल होंगे इसकी पूरी संभावना है.''


राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि ''विपक्षी एकता की राह में कई चुनौतियां हैं, पहली चुनौती तो यह है कि विपक्षी एकता क्षेत्रीय दलों के पर होगी या फिर राष्ट्रीय मुद्दों के आधार पर होगी. क्या कांग्रेस 400 से कम सीटों पर लड़ने को तैयार होगी और नेतृत्व के सवाल पर कोई सहमति बन पाती है या नहीं''

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.