पटना: लॉकडाउन के कारण बिहार से बाहर काम करने वाले मजदूर जो वापस अपने घर लौट आये हैं उनकी तादाद फिलहाल 2 लाख के करीब आंकी जा रही है. आपदा प्रबंधन विभाग इनमें से 25% लोगों को ही अब तक लाभ पहुंचा पाया है.
वैसे तो बिहार के बाहर काम कर रहे मजदूरों का सटीक आंकड़ा बिहार सरकार के पास नहीं है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन होने के बाद से एक लाख 80 हजार से ज्यादा मजदूर राज्य के अंदर दाखिल हो चुके हैं.
156 आपदा राहत केंद्र संचालित
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार शहरी क्षेत्रों में कुल 156 आपदा राहत केंद्र संचालित किए जा रहे हैं जिसमें 16700 से अधिक लोगों को निशुल्क भोजन कराया जा रहा है. इसके अलावा राज्य के बाहर से लौटे बिहारी मजदूरों को उनके गांव के विद्यालय में क्वारंटाइन कैंप में रखा जा रहा है. सरकार उन्हें निशुल्क भोजन करा रही है.
स्कूलों में चल रहे क्वारंटाइन कैंप
विभिन्न जिलों में संचालित 3265 विद्यालयों में संचालित क्वारंटाइन कैंप में 31000 से अधिक लोगों को रखा गया है. राज्य के अंदर दो लाख के करीब मजदूर आ चुके हैं लेकिन सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 45700 मजदूरों को ही आपदा प्रबंधन विभाग लाभ पहुंचा सकी है. बिहार के अंदर कुल मिलाकर 19 लाख 29 हजार 265 मजदूर हैं जिसमें 12 लाख 96 हजार 765 का रजिस्ट्रेशन आधार कार्ड के साथ हुआ है. अब समस्या ये है कि जिन मजदूरों का रजिस्ट्रेशन ऑफलाइन हुआ है उन्हें कैसे मदद पहुंचाई जाएगी.
3 लाख आवेदन आये हैं बिहार के बाहर से
बिहार सरकार बिहार के बाहर रह रहे मजदूरों के अकाउंट में एक-एक हजार रुपये भेज कर अपनी पीठ थपथपा रही है. सरकारी दावों को अगर मानें तो 103579 लोगों के खाते में ₹10 करोड़ 35 लाख 79 हजार भेजे जा चुके हैं. सरकार को लगभग 3 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं और यह सिलसिला जारी है. विभिन्न राज्यों से जो आवेदन प्राप्त हुए हैं उसमें दिल्ली से 55224, हरियाणा से 41000, महाराष्ट्र से 30576, गुजरात से 25638, उत्तर प्रदेश से 23832, पंजाब से 5596, कर्नाटक से 15428, तमिलनाडु से 11914, राजस्थान से 11733, पश्चिम बंगाल से 9527, तेलंगाना से 7245, मध्य प्रदेश से 5690, झारखंड से 5359, आंध्र प्रदेश से 3991 आवेदन प्राप्त हुए हैं.
लोगों को दिया जा रहा राशन
बिहार सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आच्छादित सभी राशन कार्ड धारियों को पूर्व में सहायता के रूप में ₹1000 प्रति परिवार की दर से सीधे बैंक के खाते में डीबीटी के माध्यम से भुगतान कर रही है. प्रत्येक राशन कार्ड धारी परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से ₹1000 दिए जा चुके हैं. इसके अलावा अंत्योदय योजना के तहत गरीब परिवार 3 महीने का एडवांस अनाज ले सकते हैं. जिनके पास राशन कार्ड है उस परिवार के सदस्य को प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल और 1 किलो दाल 3 महीने का एडवांस दिया जाएगा. इसके अलावा सब्सिडी के तहत प्रति व्यक्ति 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल का आवंटन प्रति व्यक्ति जारी रहेगा. बिहार में 26 लाख लोग ऐसे हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. मुख्यमंत्री ने 3 से 4 दिनों में समस्या का समाधान ढूंढने के लिए अधिकारियों को कहा है. फिलहाल सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें ही मिल पाएगा जिनके पास राशन कार्ड है.
विपक्ष का आरोप
विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है. हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि दो लाख से ज्यादा मजदूर बिहार आए हैं लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक 50000 मजदूरों को ही लाभ मिल रहा है. बाकी के मजदूरों का क्या होगा. मजदूर कोरोना से तो नहीं पर भूखे जरूर मर जाएंगे. वहीं भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया है. नवल किशोर यादव ने कहा है कि राज्य सरकार मजदूरों के हितों का ख्याल रख रही है. आपदा की घड़ी है, धीरे-धीरे सरकार सब ठीक कर लेगी. श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा ने कहा है कि नीतीश कुमार मजदूरों को लेकर लगातार चिंतित हैं. सरकार योजना बना रही है. उन्हें लाभ भी पहुंचाया जा रहा है लेकिन कितने मजदूर बिहार से बाहर काम कर रहे हैं यह आंकड़ा फिलहाल बिहार सरकार के पास नहीं है.