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18 MLC ने उठाया विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार का मुद्दा, सरकार के सामने रखी ये मांग

बिहार के विश्वविद्यालयों की वित्तीय अनियमितता (Financial Irregularities of Bihar Universities) और कई वाइस चांसलर पर लगे गंभीर आरोप (Serious Allegations Against Vice Chancellor) को लेकर राजनीति गरमाती जा रही है. गुरुवार को 18 विधान पार्षदों ने ध्यानाकर्षण के जरिए विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार (Corruption in Universities) का मामला उठाया.

विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार पर ध्यानाकर्षण
विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार पर ध्यानाकर्षण
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Published : Dec 2, 2021, 8:23 PM IST

पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में 18 विधान पार्षदों ने विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार (Corruption in Universities) के मामले को ध्यानाकर्षण के जरिए उठाया. सदस्यों ने सरकार से विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन (Amendment in University Act) कर कुलसचिव के पद पर बिहार शिक्षा सेवा के पदाधिकारियों की पदस्थापना की मांग की. प्रभारी मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर कई सदस्यों ने सहमति से इस पर विस्तृत चर्चा की मांग की. जिसके बाद सभापति ने कहा कि इस पर सदन में कोई बहस नहीं होगी. इसके लिए अलग से सभापति की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्री की उपस्थिति के दौरान विस्तृत चर्चा होगी. विपक्ष ने इसे सरकार की लीपापोती मानते हुए कहा कि सरकार खुद इसमें संलिप्त है, इसलिए सदन में चर्चा नहीं होने देना चाहती है.

ये भी पढ़ें: आरोपी कुलपतियों को बर्खास्त करें सरकार.. तभी पूरी होगी सही तरीके से जांच: कांग्रेस

विश्वविद्यालयों में पब्लिक मनी की लूट को लेकर 18 सदस्यों ने ध्यानाकर्षण में सवाल उठाया था. जिसको लेकर प्रभारी मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार ने राजभवन से इसकी जांच का अनुरोध किया है और महालेखाकार से ऑडिट का अनुरोध किया गया है, लेकिन सवाल पूछने वाले सदस्य इस जवाब से संतुष्ट नहीं थे. जिसके बाद सभापति ने कहा कि यह मामला राजभवन से जुड़ा है और यह उचित नहीं कि इस पर सदन में चर्चा हो. इसलिए इसके लिए अलग से बैठक बुलाई जाएगी.

देखें रिपोर्ट

अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि बहुत जल्द शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में बैठक होगी और जो सवाल उठाए गए हैं, उन पर निश्चित रूप से चर्चा कर समाधान निकाला जाएगा. हालांकि आरजेडी एमएलसी प्रोफेसर रामबली चंद्रवंशी ने इसे लीपापोती करार दिया है. उन्होंने कहा कि सदन में चर्चा से बचना सरकार की तरफ से जानबूझकर किया गया कदम है, क्योंकि सरकार खुद इसमें संलिप्त है. आरजेडी नेता ने कहा कि जिस तरह का भ्रष्टाचार विश्वविद्यालयों में हुआ है, उस पर सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती.

ये भी पढ़ें: राजभवन पर भ्रष्टाचार की आंच! बिहार सरकार और राजभवन के रिश्तों में आई खटास, पशोपेश में BJP

इधर जेडीयू एमएलसी संजीव कुमार सिंह ने कहा कि यह राज भवन से जुड़े पदाधिकारियों के द्वारा लगातार भ्रष्टाचार की वजह से मामला यहां तक आ पहुंचा है, क्योंकि वह महामहिम राज्यपाल को सही बात नहीं बताते और उससे राजभवन और सरकार की छवि खराब होती है. उन्होंने कहा कि हमें यह आश्वासन दिया गया है कि जितने लोगों ने सवाल किया है, उन सभी के साथ शिक्षा मंत्री की बैठक होगी और इस मामले को लेकर हम समाधान ढूंढ लेंगे लेकिन यह जवाब तो बनता ही है कि तमाम नियम कानून और कोर्ट के निर्देश के बावजूद आखिर क्यों आदेशों की अनदेखी हो रही है.

उधर, बीजेपी विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा इस पूरे मामले में सभापति के आदेश पर एक बैठक में तमाम बातों पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि पब्लिक मनी की लूट और बिहार के विश्वविद्यालयों की छवि हम खराब नहीं होने देंगे.

वहीं, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि सभापति ने इस गंभीर मुद्दे को लेकर अलग से बैठक बुलाई है. हमें उम्मीद है कि इस मामले का समाधान निकलेगा. उन्होंने चिंता जताई कि जिस तरह से वीसी के घर से रुपए बरामद हुए हैं, वह अत्यंत गंभीर विषय है.

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पटना: बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) में 18 विधान पार्षदों ने विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार (Corruption in Universities) के मामले को ध्यानाकर्षण के जरिए उठाया. सदस्यों ने सरकार से विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन (Amendment in University Act) कर कुलसचिव के पद पर बिहार शिक्षा सेवा के पदाधिकारियों की पदस्थापना की मांग की. प्रभारी मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर कई सदस्यों ने सहमति से इस पर विस्तृत चर्चा की मांग की. जिसके बाद सभापति ने कहा कि इस पर सदन में कोई बहस नहीं होगी. इसके लिए अलग से सभापति की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्री की उपस्थिति के दौरान विस्तृत चर्चा होगी. विपक्ष ने इसे सरकार की लीपापोती मानते हुए कहा कि सरकार खुद इसमें संलिप्त है, इसलिए सदन में चर्चा नहीं होने देना चाहती है.

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विश्वविद्यालयों में पब्लिक मनी की लूट को लेकर 18 सदस्यों ने ध्यानाकर्षण में सवाल उठाया था. जिसको लेकर प्रभारी मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार ने राजभवन से इसकी जांच का अनुरोध किया है और महालेखाकार से ऑडिट का अनुरोध किया गया है, लेकिन सवाल पूछने वाले सदस्य इस जवाब से संतुष्ट नहीं थे. जिसके बाद सभापति ने कहा कि यह मामला राजभवन से जुड़ा है और यह उचित नहीं कि इस पर सदन में चर्चा हो. इसलिए इसके लिए अलग से बैठक बुलाई जाएगी.

देखें रिपोर्ट

अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि बहुत जल्द शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में बैठक होगी और जो सवाल उठाए गए हैं, उन पर निश्चित रूप से चर्चा कर समाधान निकाला जाएगा. हालांकि आरजेडी एमएलसी प्रोफेसर रामबली चंद्रवंशी ने इसे लीपापोती करार दिया है. उन्होंने कहा कि सदन में चर्चा से बचना सरकार की तरफ से जानबूझकर किया गया कदम है, क्योंकि सरकार खुद इसमें संलिप्त है. आरजेडी नेता ने कहा कि जिस तरह का भ्रष्टाचार विश्वविद्यालयों में हुआ है, उस पर सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती.

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इधर जेडीयू एमएलसी संजीव कुमार सिंह ने कहा कि यह राज भवन से जुड़े पदाधिकारियों के द्वारा लगातार भ्रष्टाचार की वजह से मामला यहां तक आ पहुंचा है, क्योंकि वह महामहिम राज्यपाल को सही बात नहीं बताते और उससे राजभवन और सरकार की छवि खराब होती है. उन्होंने कहा कि हमें यह आश्वासन दिया गया है कि जितने लोगों ने सवाल किया है, उन सभी के साथ शिक्षा मंत्री की बैठक होगी और इस मामले को लेकर हम समाधान ढूंढ लेंगे लेकिन यह जवाब तो बनता ही है कि तमाम नियम कानून और कोर्ट के निर्देश के बावजूद आखिर क्यों आदेशों की अनदेखी हो रही है.

उधर, बीजेपी विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने कहा इस पूरे मामले में सभापति के आदेश पर एक बैठक में तमाम बातों पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा कि पब्लिक मनी की लूट और बिहार के विश्वविद्यालयों की छवि हम खराब नहीं होने देंगे.

वहीं, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि सभापति ने इस गंभीर मुद्दे को लेकर अलग से बैठक बुलाई है. हमें उम्मीद है कि इस मामले का समाधान निकलेगा. उन्होंने चिंता जताई कि जिस तरह से वीसी के घर से रुपए बरामद हुए हैं, वह अत्यंत गंभीर विषय है.

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