पटना: छठ पूजा, लिट्टी-चोखा, भोजपुरी, IAS-PCS और मजदूरों की पहचान वाले बिहार का आज 108वां स्थापना दिवस है. ऐसे ही न जाने कितने नाम और पहचान के साथ एक आम बिहारी अपना राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में प्रवास करता है. बौद्ध मठों के विहार से लेकर आधुनिक बिहार तक इस क्षेत्र का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. वैशाली गणराज्य के रूप में विश्व को पहला गणतंत्र देने वाले राज्य बिहार के जन्मदिवस पर आइये डालते हैं एक नजर.
1912 में अलग राज्य बना था बिहार
आधुनिक भारत में बिहार 108 साल पहले तब अस्तित्व में आया जब 22 मार्च 1912 को इसे बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग कर राज्य बनाया गया. इसका राजनीतिक इतिहास भले ही 108 साल पुराना हो, लेकिन गौरवशाली बिहार का इतिहास हज़ारों साल की सुनहरी दास्तान है.
ज्ञान की भूमि पर सबसे ज्यादा निरक्षर लोग
महावीर, गौतम बुद्ध, चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक से लेकर आधुनिक भारत में राजेंद्र प्रसाद और जय प्रकाश नारायण जैसे महापुरुषों ने अपने कार्यों और उपलब्धियों से बिहार की धरती का मान बढ़ाया है. कभी प्राचीन काल में ज्ञान का केंद्र कहा जाना वाला ये क्षेत्र आज देश में सबसे कम शिक्षित है. नालंदा विवि की इस भूमि पर आज देश के सबसे कम साक्षर लोग बसते हैं.
राजनीतिक दुष्चक्र और जातिवाद के भंवर जाल में फंसा बिहार
ऐसा क्या हुआ जिसने आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक रूप से समृद्ध बिहार को पिछड़ेपन के मुंहाने पर लाकर खड़ा कर दिया? दरअसल, आजादी के बाद से बिहार के लिये बने नये आर्थिक-राजनीतिक परिदृश्य ने इस राज्य को साल-दर-साल और पीछे ढकेलने का काम किया. राजनीतिक दुष्चक्र और जातिवाद के भंवर जाल में फंसा बिहार अभी तक इससे उबर नहीं पाया था कि अशिक्षा, बेरोजगारी और बढ़ते अपराध ने एक आम बिहारी को राज्य छोड़ने पर मजबूर कर दिया.
2010 में पहली बार मनाया गया बिहार का स्थापना दिवस
इन सभी मजबूरियों के बावजूद बिहार अपनी रफ्तार से धीरे-धीरे अपने पुराने गौरव को पाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है. साल 2010 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों से बड़े स्तर पर पहली बार बिहार दिवस को समारोह के तौर पर मनाया गया. जिसके बाद से हर साल इस दिन सरकारी स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस साल पूरा बिहार 108वां स्थापना दिवस मना रहा है. हम कामना करते हैं कि हमारा ये राज्य विकास के पथ पर चलकर अपने पुराने गौरव को हासिल कर सके और देश और दुनिया के लिये मार्गदर्शक की भूमिका निभा सके.