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नवादाः हुनर सीखकर स्वावलंबी हो रही हैं महिलाएं, पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर चला रही हैं घर - स्वावलंबी हो रही है महिलाएं

महिलाओं को घर का काम-काज करने के बाद जो समय मिलता है उस में चूड़ी बनाती है और महीने का 2000-2500 रुपये तक कमा लेती है. कुछ महिलाएं तो 4-5 हजार रूपए भी कमा रही है.

हुनर सीखकर स्वावलंबी हो रही है महिलाएं
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Published : Sep 3, 2019, 4:31 AM IST

Updated : Sep 3, 2019, 8:01 AM IST

नवादाः घरों की चारदीवारी में सिमट रह रही महिलाएं अब किसी पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहती. वो अब पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है. जिले के वारसलीगंज प्रखंड अंतर्गत मसूदा गांव की महिलाएं बदलाव की कहानी लिख रही है. ये महिलाएं चूड़ी बनाकर उसे खुद ही बेचती है और परिवार को आर्थिक सहयोग दे रही है.

नवादा
मसुदा गांव

स्वावलंबन बनाने का प्रयास
दरअसल, गांव की मीना देवी ने महिलाओं को स्वावलंबन बनाने के लिए नया प्रयास नाम से एक संस्था की शुरुआत की. अप्रैल 2018 में इसकी शुरुआत कर इन्होंने 90 महिलाओं को संस्था से जोड़ा. फिर 30-30 महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें चूड़ी बनाने का प्रशिक्षण दिया. अब ये महिलाएं न सिर्फ चूड़ियां बना रही है बल्कि खुद ही उसकी मार्केटिंग भी करती है.

नवादा
नई प्रयास संस्था की संचालिका मीना देवी

लड़कियां भी हो रही है प्ररित

मीना देवी ने बताया कि शुरुआत में काम सीखने के लिए महिलाओं को बुलाना पड़ता था, लेकिन अब महिलाएं खुद आ रही है. इन्हें काम करते देख लड़कियां भी काम सीखने के लिए प्रेरित हो रही है. वो भी अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है. मीना देवी बताती हैं कि महिलाओं को घर का काम-काज करने के बाद जो समय मिलता है उस में चूड़ी बनाती है और महीने का 2000-2500 रुपये तक कमा लेती है. कुछ महीलाएं तो 4-5 हजार रूपए भी कमा रही है.

पूरी रिपोर्ट


नाबार्ड से मिलता है सहयोग
मीना देवी ने बताया कि काम करने वाली महिलाओं को नाबार्ड की ओर से सहयोग राशि दी जाती है. ताकि महिलाएं चूड़ी बनाने की सामाग्री खरीद सके. संस्था से जुड़ी हर महिला का बैंक खाता खुलवाया गया. जिसमें इन्हें10-25 हजार रूपये तक का सहयोग राशि भी मिला है. वो बताती हैं कि नाबार्ड से मिलने वाली राशि नाकाफी है. यदी इन्हें मिलने वाली सहयोग राशि को बढ़ाकर 50 हजार कर दी जाए तो इनकी आमदनी बढ़ जाएगी.

नवादा
आत्मनिर्भर महिलाएं

पूंजी है अभाव
चूड़ी बनाने का काम कर रही कमल देवी ने कहा की उन्हें10 हजार रुपये मिला थे. उस पूंजी से काम शुरू की और 2000 से 2500 रुपये कमा लेती है. वहीं, शांति देवी ने बताया कि हमलोग घर पर निकम्मा बैठे थे. इस संस्था से जुड़कर चूड़ी बनाना सीखे. चूड़ी बनाकर इसे घर-घर घूमकर बेचते हैं. कभी बाजार तो कभी मेले में जाकर भी बेच लेते हैं. उन्होंने कहा की चूड़ी बनाने की सामाग्री मंहगी है. सरकार को चाहिए की सहयोग राशी बढ़ाकर दे. तो हम ज्यादा चूड़ी तैयार कर सकेंगे, जिससे हमारी आमदनी बढ़ जाएगी.

नवादाः घरों की चारदीवारी में सिमट रह रही महिलाएं अब किसी पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहती. वो अब पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है. जिले के वारसलीगंज प्रखंड अंतर्गत मसूदा गांव की महिलाएं बदलाव की कहानी लिख रही है. ये महिलाएं चूड़ी बनाकर उसे खुद ही बेचती है और परिवार को आर्थिक सहयोग दे रही है.

नवादा
मसुदा गांव

स्वावलंबन बनाने का प्रयास
दरअसल, गांव की मीना देवी ने महिलाओं को स्वावलंबन बनाने के लिए नया प्रयास नाम से एक संस्था की शुरुआत की. अप्रैल 2018 में इसकी शुरुआत कर इन्होंने 90 महिलाओं को संस्था से जोड़ा. फिर 30-30 महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें चूड़ी बनाने का प्रशिक्षण दिया. अब ये महिलाएं न सिर्फ चूड़ियां बना रही है बल्कि खुद ही उसकी मार्केटिंग भी करती है.

नवादा
नई प्रयास संस्था की संचालिका मीना देवी

लड़कियां भी हो रही है प्ररित

मीना देवी ने बताया कि शुरुआत में काम सीखने के लिए महिलाओं को बुलाना पड़ता था, लेकिन अब महिलाएं खुद आ रही है. इन्हें काम करते देख लड़कियां भी काम सीखने के लिए प्रेरित हो रही है. वो भी अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है. मीना देवी बताती हैं कि महिलाओं को घर का काम-काज करने के बाद जो समय मिलता है उस में चूड़ी बनाती है और महीने का 2000-2500 रुपये तक कमा लेती है. कुछ महीलाएं तो 4-5 हजार रूपए भी कमा रही है.

पूरी रिपोर्ट


नाबार्ड से मिलता है सहयोग
मीना देवी ने बताया कि काम करने वाली महिलाओं को नाबार्ड की ओर से सहयोग राशि दी जाती है. ताकि महिलाएं चूड़ी बनाने की सामाग्री खरीद सके. संस्था से जुड़ी हर महिला का बैंक खाता खुलवाया गया. जिसमें इन्हें10-25 हजार रूपये तक का सहयोग राशि भी मिला है. वो बताती हैं कि नाबार्ड से मिलने वाली राशि नाकाफी है. यदी इन्हें मिलने वाली सहयोग राशि को बढ़ाकर 50 हजार कर दी जाए तो इनकी आमदनी बढ़ जाएगी.

नवादा
आत्मनिर्भर महिलाएं

पूंजी है अभाव
चूड़ी बनाने का काम कर रही कमल देवी ने कहा की उन्हें10 हजार रुपये मिला थे. उस पूंजी से काम शुरू की और 2000 से 2500 रुपये कमा लेती है. वहीं, शांति देवी ने बताया कि हमलोग घर पर निकम्मा बैठे थे. इस संस्था से जुड़कर चूड़ी बनाना सीखे. चूड़ी बनाकर इसे घर-घर घूमकर बेचते हैं. कभी बाजार तो कभी मेले में जाकर भी बेच लेते हैं. उन्होंने कहा की चूड़ी बनाने की सामाग्री मंहगी है. सरकार को चाहिए की सहयोग राशी बढ़ाकर दे. तो हम ज्यादा चूड़ी तैयार कर सकेंगे, जिससे हमारी आमदनी बढ़ जाएगी.

Intro:नवादा। घरों की चारदीवारी में सिमट कर रहनेवाली महिलाएं अब पुरुषों पर बोझ बनकर नहीं रहना चाहती। वो अपने परिवार के लिए पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहती है क्योंकि हुनरमंद लोग किसी के भरोसे नहीं बल्कि अपने हुनर पर फक्र करता है। कुछ ऐसी ही संस्था नयी प्रयास जिससे जुड़कर महिलाएं बदलाव की एक नई गाथा लिख रही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं जिले के वारसलीगंज प्रखंड अंतर्गत आनेवाली मसूदा गांव की जहां की महिलाएं सामूहिक रूप से चूड़ी बनाकर हजारों रुपए कमा रही है।

बाइट- मीना देवी, अध्यक्ष, नयी प्रयास
बाइट- ग्रामीण महिला, कमला देवी
बाइट- ग्रामीण महिला, शांति देवी



Body:2018 से चल रही है यह संस्था

समाजसेवा से लगाव रखनेवली मीना देवी ने महिलाओं को स्वावलंबन बनाने के लिए एक 'नयी प्रयास' नाम की संस्था की शुरुआत अप्रैल 2018 में की। इसमें 90 महिलाओं का एक टीम तैयार किया। फिर उसे 30-30 की संख्या में समूह बनाकर उसे प्रशिक्षण दिया। अब महिलाएं न केवल चूड़ियां बना रही है बल्कि ख़ुद उसका मार्केटिंग भी कर रही है।

पहले काम सीखने के लिए बुलाना पड़ता

मीना कहती है पहले काम सीखने के लिए महिलाओं को बुलाना पड़ता था अब खुद चली आती है। साथी ही छोटे-छोटे बच्चे भी सीखने आती है और चूड़ी बनाती भी है।


घर बैठे कमा लेती है 2000-2500 रुपये महीने

जो पहले घर मे खाली बैठी रहा करती थी वो महिलाएं अब अपने घर में काम काज निपटाने के बाद चूड़ी बनाकर करीब 2000-2500 तक पैसे कमा लेती है। इनमें से कुछ महिलाएं तो 4-5 हजार रूपए महीने भी कमा लेती है।

पूंजी के अभाव में नहीं कर पाती अधिक उपार्जन

चूड़ी बनाने के लिए सामग्री गया से लाना होता है जो काफी कीमती होता है। हालांकि नाबार्ड की ओर से सहयोग मिलता है लेकिन वो उनके लिए काफी नहीं है। फिलहाल, 10-25 हजार तक कि मदद मिल पाती है अगर यही रकम पचास हजार से एक लाख तक मिल जाए तो उसे और अधिक उपार्जन कर सकती है।

क्या कहती है काम करनेवाली महिलाएं

कमल देवी कहती है इसी से परिवार चला रहे हैं। 10 हजार मिला तो सब पूंजी इसी में लगा दिए हैं। इससे 2 से ढाई हजार रुपये तक कमा लेते हैं और पैसा लगाते तो और बढ़िया से परिवार चलता। वहीं, शांति देवी कहती है हमलोग को नयी प्रयास संस्था यहां आया है । इससे पहले हमलोग निकम्मा होकर घर बैठे थे। ये कम से कम रोजगार के लिए तो अच्छा किए। हमलोग कुछ अपने पूंजी से तो कुछ संस्था के पूंजी से सीखे है। अब हमलोगों को पूंजी की जरूरत ज्यादा है। इसके लिए इधर से तो 10 हजार मिल रहा है लेकिन से परिवार चलाने में लटपटा जाते हैं। सरकार से चाहते हैं कि मदद करे।


Conclusion:
Last Updated : Sep 3, 2019, 8:01 AM IST
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