नवादाः बढ़ती गर्मी के साथ जिले में जल संकट की स्थिति भी उत्पन्न होने लगी है. पानी के बगैर लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. कई गांव पानी के लिए जद्दोजहद में लगे हुए हैं. बड़े लोगों की जिंदगी तो सबमर्सिबल से कट जाती है. लेकिन उन गरीबों को पानी नसीब नहीं हो रहा, जो दो जून की रोटी के लिए कमाये पैसों से सबमर्सिबल नहीं लगा सकते.
एक ही हैंडपंप से मिलता है पानी
ऐसी ही स्थिति है नारदीगंज प्रखंड के सीतारामपुर गांव की. जहां, लगभग 1 हजार की आबादी पर सिर्फ दो हैंडपंप है. जिनमें से एक ही हैंडपंप काम करता है. उसमें से भी पानी निकालने के लिए काफी कसरत करनी पड़ती है. यह गांव पानी की किल्लत के मामले में टॉप 30 क्रिटीकल गांवों में से एक है. जिला में कार्यरत पीएचईडी के अधिकारी ने बाकायदा इसकी सूची भी बनाई थी और इन गांवों में पेयजल की समुचित व्यवस्था की बात भी की थी. लेकिन जब ईटीवी के संवाददाता ने इस गांव का हाल जानना चाहा तो हकीकत कुछ और थी.
चंदा कर ठीक कराते हैं चापाकल
गांव में जाने पर पता चला कि पंद्रह सौ आबादी वाले सीतारामपुर गांव में वर्तमान में सिर्फ एक चापाकल चालू स्थिति में है. उसमें से भी पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं निकल पाता है. यह गांव दलितों की है. जो कि हंडिया पंचायत में आता है. ये लोग चंदा कर हैंडपंप को ठीक करवाते रहते हैं. सरकारी कर्मी आए चापाकल गाड़ दिया और उसके बाद चल दिए. लेकिन वही चापाकल खराब हो जाता है तो उसे कोई देखने वाला नहीं रहता.
पहाड़ियों की तराई में है गांव
सुबह से लेकर शाम तक पानी के लिए लोगों का चापाकल पर जमावड़ा लगा रहता है . खासकर महिलाओं को अधिक परेशानी होती है. चिलचिलाती धूप में गांव की महिलाएं और लड़कियां पानी भरने आती है. जब लंबी लाइन देखती हैं तो धूप से बचने के लिए पेड़ की छांव का सहारा लेकर खड़ी रहती है. नालंदा के बॉर्डर पर स्थिति यह गांव पहाड़ियों के तराई में बिल्कुल सटा हुआ है. जिसके वजह से भी यहां पानी की समस्या बनी रहती है. पहाड़ पर सिर्फ पहाड़ी चापाकल ही काम कर पाता है.
क्रिटीकल गांव की सूची
इस जिले के कई क्रिटीकल पंचायत हैं जहां पानी की समस्या है. उनमें सवैयाटांड, चितरकोली, हरदिया, सहबाजपुर सराय, मेसकौर, बिसिआइत, बारात, माधोपुर, सरकंडा, गोविमदपुर, सुघड़ी, बुधवारा, चौकिया,खटांगी, बांघी, भदोखरा, लोहरपुर, कादिरगंज, खखड़ी, चमदिनोवा, सोनसा, कैथिर, तुंगी, चितरगघट्टी, दोना, हंडिया, सरौनी, महुडर, और बुधुआ शामिल हैं. इन गांवों में पानी की भारी किलल्त है.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
चापाकल पर पानी भरने आई महिलाएं कहती है, यहां पानी की बहुत किल्लत है. धूप में बच्चे लोग बाल्टी लेकर तसला लेकर पानी भरने में लगे रहते हैं. पानी के लिए बहू लोग आपस में लड़ जाती है. वोट लेने के समय नेता कहते हैं कि पानी देंगें और वोट लेने के बाद कोई आता ही नहीं है. वहीं, गांव के युवक का कहना है कि 150 घर वाले इस गांव में पानी की काफी समस्या है. इतनी आबादी में सिर्फ एक चापाकल चालू स्थिति में है. जब ये भी खराब हो जाता है तो हम लोग चंदा करके ठीक करवाते हैं. कोई कर्मी यहां हमलोगों को देखने नहीं आते हैं.
जल्द होगी समस्या दूर
वहीं, पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता चंदेश्वर राम का कहना है कि, जल संकट से निपटने के लिए हमने वैकल्पिक व्यवस्था भी कर रखी है. जहां चापाकल खराब है और पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है वहां टैंकर से भी पानी पहुंचाने की व्यवस्था है. पानी के समस्या से निपटने के लिए चापाकल भी लगवाए जा रहे हैं.