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प्रसूता की मौत से आक्रोशित परिजनों ने किया हंगामा, डॉक्टर पर लापरवाही बरतने का आरोप

नवादा के नगर थाना क्षेत्र में प्रसूता की मौत से आक्रोशित परिजनों ने संजीवनी अस्पताल में हंगामा (Uproar in Sanjeevani Hospital in Nawada) किया. इस दौरान उन्होंने चिकित्सकों पर ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया.

Uproar in Sanjeevani Hospital in Nawada
नवादा में प्रसूता की मौत से अस्पताल में हंगामा
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Published : Mar 28, 2022, 11:07 PM IST

नवादा: बिहार के नवादा में प्रसूता की मौत (maternity death in nawada) पर नगर थाना क्षेत्र के संजीवनी अस्पताल में मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. उन्होंने प्रसव के दौरान चिकित्सकों पर लापरवाही (Woman dies due to doctor negligence in Nawada) बरतने का आरोप लगाया. मृतक के परिजनों के आक्रोश को देखते हुए डॉक्टर अस्पताल छोड़कर भाग गये. इस दौरान अस्पताल के कर्मियों ने पुलिस को मामले की जानकारी दी. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने उन्हें शान्त कराया और मामले की जांच की बात कही. मृतक खुशबू कुमारी नगर के लाइनपार मिर्जापुर निवासी सीआईएसएफ जवान राकेश कुमार की पत्नी थी.

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तबीयत बिगड़ने पर किया रेफर: परिजनों ने बताया कि 19 मार्च को डॉ. पिंकी वर्णवाल ने ऑपरेशन किया था. इसके बाद प्रसूता की तबीयत बिगड़ने लगी. इसके बाद उसे जबरन बिहारशरीफ के एक निजी क्लीनिक में भेज दिया. जबकि वे लोग बिहारशरीफ में दिखाने को तैयार नहीं थे, लेकिन संजीवनी अस्पताल के चिकित्सक और कर्मियों ने मरीज को बिहारशरीफ ले जाने का दबाव बना दिया. इलाज के दौरान स्थिति नहीं सुधारी तो वे मरीज को लेकर पटना के एक निजी क्लीनिक में पहुंच गए. वहां चिकित्सकों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान इंफेक्शन हो गया और वह काफी बढ़ गया. इसलिए मरीज को बचा पाना संभव नहीं है.जिससे 26 मार्च को उसकी जान चली गई.

प्रसव के लिए 80 हजार वसूले: मृतक के परिजनों ने बताया कि प्रसव और ऑपरेशन के नाम पर संजीवनी अस्पताल ने उनसे 80 हजार रुपये लिये गये थे. पूरी राशि का भुगतान कर दिया गया था फिर भी चिकित्सक के स्तर पर लापरवाही बरती गई. इसके चलते महिला की जान गई है. उनका कहना है कि बिहारशरीफ में जिस क्लीनिक में उन्हें जबरन भेजा गया था, वहां भी चिकित्सक की मिलीभगत है.

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ऑपरेशन में नहीं हुई लापरवाही: अस्पताल के संचालक डॉ. मनोज वर्णवाल ने बताया कि ऑपरेशन सही तरीके से हुआ था. तीन-चार दिनों बाद सांस लेने में परेशानी होने लगी थी. इसके बाद रेफर करना पड़ा. जिले में आईसीयू की व्यवस्था नहीं रहने के कारण तत्काल इलाज के लिए बिहारशरीफ भेजा गया था. मरीज वहां दो दिन ठहरी भी थी. उन्होंने कहा कि अस्पताल में इलाज के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गई है. महिला का पहला प्रसव भी इसी अस्पताल में हुआ था.

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नवादा: बिहार के नवादा में प्रसूता की मौत (maternity death in nawada) पर नगर थाना क्षेत्र के संजीवनी अस्पताल में मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. उन्होंने प्रसव के दौरान चिकित्सकों पर लापरवाही (Woman dies due to doctor negligence in Nawada) बरतने का आरोप लगाया. मृतक के परिजनों के आक्रोश को देखते हुए डॉक्टर अस्पताल छोड़कर भाग गये. इस दौरान अस्पताल के कर्मियों ने पुलिस को मामले की जानकारी दी. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने उन्हें शान्त कराया और मामले की जांच की बात कही. मृतक खुशबू कुमारी नगर के लाइनपार मिर्जापुर निवासी सीआईएसएफ जवान राकेश कुमार की पत्नी थी.

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तबीयत बिगड़ने पर किया रेफर: परिजनों ने बताया कि 19 मार्च को डॉ. पिंकी वर्णवाल ने ऑपरेशन किया था. इसके बाद प्रसूता की तबीयत बिगड़ने लगी. इसके बाद उसे जबरन बिहारशरीफ के एक निजी क्लीनिक में भेज दिया. जबकि वे लोग बिहारशरीफ में दिखाने को तैयार नहीं थे, लेकिन संजीवनी अस्पताल के चिकित्सक और कर्मियों ने मरीज को बिहारशरीफ ले जाने का दबाव बना दिया. इलाज के दौरान स्थिति नहीं सुधारी तो वे मरीज को लेकर पटना के एक निजी क्लीनिक में पहुंच गए. वहां चिकित्सकों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान इंफेक्शन हो गया और वह काफी बढ़ गया. इसलिए मरीज को बचा पाना संभव नहीं है.जिससे 26 मार्च को उसकी जान चली गई.

प्रसव के लिए 80 हजार वसूले: मृतक के परिजनों ने बताया कि प्रसव और ऑपरेशन के नाम पर संजीवनी अस्पताल ने उनसे 80 हजार रुपये लिये गये थे. पूरी राशि का भुगतान कर दिया गया था फिर भी चिकित्सक के स्तर पर लापरवाही बरती गई. इसके चलते महिला की जान गई है. उनका कहना है कि बिहारशरीफ में जिस क्लीनिक में उन्हें जबरन भेजा गया था, वहां भी चिकित्सक की मिलीभगत है.

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ऑपरेशन में नहीं हुई लापरवाही: अस्पताल के संचालक डॉ. मनोज वर्णवाल ने बताया कि ऑपरेशन सही तरीके से हुआ था. तीन-चार दिनों बाद सांस लेने में परेशानी होने लगी थी. इसके बाद रेफर करना पड़ा. जिले में आईसीयू की व्यवस्था नहीं रहने के कारण तत्काल इलाज के लिए बिहारशरीफ भेजा गया था. मरीज वहां दो दिन ठहरी भी थी. उन्होंने कहा कि अस्पताल में इलाज के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गई है. महिला का पहला प्रसव भी इसी अस्पताल में हुआ था.

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