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नक्सल प्रभावित क्षेत्र की बेटियों ने लिया प्रशिक्षण, लोगों को स्वास्थ्य के प्रति करेंगी जागरूक - प्रजनन

बेटियों ने घर से निकलकर सामाजिक बदलाव के लिए अपनी कमर कस ली हैं. ये लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कराने के लिए कदम बढ़ा रही हैं.

बेटियों ने लिया प्रशिक्षण
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Published : Apr 28, 2019, 12:25 PM IST

नवादाः जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्र कौआकोल प्रखंड और रजौली का नाम अक्सर नक्सली गतिविधियों के कारण सुर्खियों में रहता है. लेकिन अब यहां की बेटियों ने घर से निकलकर सामाजिक बदलाव के लिए अपनी कमर कस ली है. ये लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कराने के लिए कदम बढ़ा रही हैं.

दरअसल, भारत की जनसंख्या में एक तिहाई संख्या युवाओं की है. इन पर देश का भविष्य टिका हुआ है. भारत सरकार किशोरों के लिए कई कार्यक्रम चलाती हैं, लेकिन उसका संचालन सही ढंग से नहीं होने के कारण इसका लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है. यहां की किशोरियां तीन दिवसीय प्रशिक्षण लेने के बाद अपने-अपने समाज में अलग-अलग कुरीतियां, किशोरियों को होने वाली समस्याएं और उसके समाधान के लिए लोगों को जागरूक कराने में जुट गई हैं.

nawada
किशोरी प्रशिक्षण लेते हुए

युवाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाई
किशोरियों ने पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के तहत ग्राम निर्माण मंडल सेखोदेवरा में तीन दिनों का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद इन लोगों ने अपने गांव-समाज में जागरूकता फैलाने का काम शुरू कर दिया है. जिसमें कौआकोल और रजौली के किशोरी समूह के 20-20 लीडर ने हिस्सा लिया.

इन बिंदुओं पर कर रही हैं युवाओं को जागरूक

  • यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य
  • किशोर में क्या बदलाव आते हैं उसकी जानकारी
  • भावनात्मक एवं मानसिक स्वास्थ्य
  • किशोरियों में एनीमिया
  • मादक पदार्थ का सेवन नहीं करने की सलाह
  • इंटरनेट और सोशल मीडिया का सुरक्षित उपयोग
    बेटियों ने लिया प्रशिक्षण

क्या कहती हैं बेटियां

रजौली की स्वीटी कहती हैं कि इस प्रशिक्षण में उन्हें यौन और प्रजनन के बारे में बहुत सारी जानकारियां मिली हैं. यहां पर उसने जो भी सीखा है, उससे अपने गांव समाज में जाकर अपने गांव की लड़कियों को प्रोत्साहित करेंगी. इसके साथ ही यौन और प्रजनन समस्याओं की जानकारी उन्हें देगी.

क्या कहते हैं अधिकारी
अधिकारी ने बताया कि किशोर हमारे देश के भविष्य हैं. इसलिए अपने युवा और किशोरों को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देने की जरूरत है. इसके साथ ही उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी प्रशिक्षण देने की जरुरत है. उन्होंने बताया कि किशोरों के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जैसे किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अदि. इनके बारे में उन्हें बताना है और इसके प्रति लोगों को जागरूक करना है.

नवादाः जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्र कौआकोल प्रखंड और रजौली का नाम अक्सर नक्सली गतिविधियों के कारण सुर्खियों में रहता है. लेकिन अब यहां की बेटियों ने घर से निकलकर सामाजिक बदलाव के लिए अपनी कमर कस ली है. ये लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कराने के लिए कदम बढ़ा रही हैं.

दरअसल, भारत की जनसंख्या में एक तिहाई संख्या युवाओं की है. इन पर देश का भविष्य टिका हुआ है. भारत सरकार किशोरों के लिए कई कार्यक्रम चलाती हैं, लेकिन उसका संचालन सही ढंग से नहीं होने के कारण इसका लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है. यहां की किशोरियां तीन दिवसीय प्रशिक्षण लेने के बाद अपने-अपने समाज में अलग-अलग कुरीतियां, किशोरियों को होने वाली समस्याएं और उसके समाधान के लिए लोगों को जागरूक कराने में जुट गई हैं.

nawada
किशोरी प्रशिक्षण लेते हुए

युवाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाई
किशोरियों ने पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के तहत ग्राम निर्माण मंडल सेखोदेवरा में तीन दिनों का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद इन लोगों ने अपने गांव-समाज में जागरूकता फैलाने का काम शुरू कर दिया है. जिसमें कौआकोल और रजौली के किशोरी समूह के 20-20 लीडर ने हिस्सा लिया.

इन बिंदुओं पर कर रही हैं युवाओं को जागरूक

  • यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य
  • किशोर में क्या बदलाव आते हैं उसकी जानकारी
  • भावनात्मक एवं मानसिक स्वास्थ्य
  • किशोरियों में एनीमिया
  • मादक पदार्थ का सेवन नहीं करने की सलाह
  • इंटरनेट और सोशल मीडिया का सुरक्षित उपयोग
    बेटियों ने लिया प्रशिक्षण

क्या कहती हैं बेटियां

रजौली की स्वीटी कहती हैं कि इस प्रशिक्षण में उन्हें यौन और प्रजनन के बारे में बहुत सारी जानकारियां मिली हैं. यहां पर उसने जो भी सीखा है, उससे अपने गांव समाज में जाकर अपने गांव की लड़कियों को प्रोत्साहित करेंगी. इसके साथ ही यौन और प्रजनन समस्याओं की जानकारी उन्हें देगी.

क्या कहते हैं अधिकारी
अधिकारी ने बताया कि किशोर हमारे देश के भविष्य हैं. इसलिए अपने युवा और किशोरों को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देने की जरूरत है. इसके साथ ही उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी प्रशिक्षण देने की जरुरत है. उन्होंने बताया कि किशोरों के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जैसे किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अदि. इनके बारे में उन्हें बताना है और इसके प्रति लोगों को जागरूक करना है.

Intro:नवादा। जिले के नक्सल प्रभावित जिलों में कौआकोल प्रखंड और रजौली का नाम नक्सल गतिविधियों के कारण हमेशा सुर्ख़ियों में रहता है लेकिन जिस तरह यहां की बेटियां घर से निकलकर एक सामाजिक बदलाव के लिए अपनी कमर कस ली है उससे ऐसा लगने लगा है कि वो अपने और अपने समाज के भविष्य के लिए कितनी सजग है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं भारत के जनसंख्या की एक तिहाई किशोर-किशोरियों की जिनपर देश का भविष्य टिका है हालांकि, भारत सरकार किशोरों के लिए कई कार्यक्रम चला रखें हैं लेकिन उसका संचालन सही ढंग से नहीं होने के कारण इसका लाभ किशोरियों को नहीं मिल पा रहा है। लेकिन अब यहाँ की किशोरियां तीन दिवसीय प्रशिक्षण लेने के बाद अपने-अपने सामाज में भिन्न-भिन्न किस्मों के कुरीतियां, किशोरियों को होनेवाले समस्याएं और उसके समाधान के लिए लोगों को जागरूक करने हेतु कदम बढ़ा दी है।

प्रशिक्षण लेकर किशोर-किशोरियों में स्वास्थ्य के प्रति फैला रहे जागरूकता

पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के तहत ग्राम निर्माण मंडल सेखोदेवरा में तीन दिनों का लिया प्रशिक्षण लेकर अब अपने गांव-समाज में जागरूकता फैलाने का काम शुरू कर दी है। जिसमें कौआकोल और रजौली के किशोरी समूह के 20-20 लीडर ने लिया हिस्सा।

इन बिंदुओं पर कर रही हैं किशोर-किशोरियों को जागरूक

• यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य
• किशोर में क्या बदलाव आते हैं उसकी जानकारी
• भावनात्मक एवं मानसिक स्वास्थ्य
• किशोरी में एनीमिया
• मादक पदार्थ न करने की सलाह
• इंटरनेट और सोशल मीडिया का सुरक्षित उपयोग। आदि

क्या कहती हैं किशोरी बिटिया

रजौली की किशोरी स्वीटी कहती है, यौन और प्रजनन के बारे में बहुत सारी शिक्षा मिली है जिसकी हमें पहले कोई जानकारी नहीं थी। हम यहां से सीख कर जा रहे हैं और अपने गांव समाज में जाकर अपने गांव की लड़कियों को प्रोत्साहित करेंगे और यौन और प्रजनन की जानकारी उन्हें देंगे जिनको इसके बारे में कुछ पता नहीं है। वहीं, कौआकोल की काजल कुमारी का कहना है, हमने प्रशिक्षण में सीखा है कोई भी भाई अगर शराब पीकर समाज को बिगड़ रहा है और उसे देख देख कर कोई और भाई बिगड़ रहा है उसे दूर करना है और ज़िद के बीच मां और बेटे के बढ़ते तनाव को दूर करना है उसे मिटाना है। साथ ही 18 साल से अधिक की उम्र के बाद लड़कियों की शादी करनी चाहिए लेकिन उससे पहले कम उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती है जिससे उसकी जिंदगी बर्बाद हो रही है उसे कम करना है और उसे हक दिलाना है।

क्या कहते हैं संस्था के पदाधिकारी

देश की एक तिहाई जनसंख्या किशोरों का है और अगर बिहार के परिपेक्ष में बात करें तो 23% जनसंख्या किशोरों की है। एनएचएफएसओ के आंकड़े कह रहे हैं अभी भी 39.1प्रतिशत शादियां कम उम्र में हो रही है। जिसमें 21.2 प्रतिशत किशोरी है जो 19 साल से पहले माँ बन रही है। यही किशोर हमारे देश के भविष्य होनेवाले हैं तो आज से ही हमलोग अपने युवा और किशोरों को यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देने की जरूरत है मानसिक स्वास्थ्य के बारे में प्रशिक्षण देने की जरुरत है। साथ ही सरकार द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जैसे किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम हैं सबके बारे में उन्हें बताना है और इसके प्रति लोगों को जागरूक करना है। इसके साथ-साथ किशोरियों में जो समस्याएं निकलकर आते हैं ख़ासकर कुपोषण और एनिमिया, असुरक्षित गर्भधारण। इस प्रकार आप देखेंगे कि, किशोरियों में मातृ-शिशु मृत्यु दर किशोरियों में ज्यादा है। किशोरियों से होनेवाले नवजात बच्चे की मृत्यु की संख्या बढ़ रही है। तो इन सब चीजों को देखते हुए हमलोगों ने मुख्यरूप से 6 बिंदुओं पर प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं जिसमें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य, किशोरों में क्या बदलाव आते हैं उसके बारे में हम बता रहे हैं, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य क्या है उसके बारे में हम जानकारी दे रहे हैं, गैर-संचारी रोग, मादक पदार्थ न करना इसके साथ इंटरनेट और सोशल मीडिया का सुरक्षित उपयोग कैसे कर सकते हैं इसकी प्रशिक्षण दी गई है। उसकी जानकारी लेंगें जिसके बाद वो रिपोर्ट तैयार कर अपने वरीय पदाधिकारी के माध्यम से प्रखंड, जिले और राज्य सरकार को सौंपेगे। वहीं, ग्राम निर्माण मंडल के प्रधानमंत्री अरविन्द्र कुमार और नेहा ग्रामीण फाउंडेशन की संचालिका व किशोरी समूह के मंजू जी भी किशोरों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित रहती हैं उनका कहना हैं कि इन प्रशिक्षण के बाद से किशोरियों में यौन और प्रजनन की जानकारी होगी तो आनेवाले समय में अपने बच्चे और परिवार को उज्ज्वल करेगी।


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Conclusion:यह 21वीं सदी है और अब की बार किशोर-किशोरियां ने ठान लिया हैं कि हमारी आवाज़ हमारी प्राथमिकता होगी और इन्हीं इरादे के साथ नक्सल क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति अलख जगाने निकल पड़ी है। निश्चय ही किशोरियों का यह उत्साह एक सकारात्मक परिणाम देगी।
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