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माली हालत बिगड़ने पर छूटने लगी पढ़ाई तो बेटियों ने उठाई जिम्मेदारी, हो रही है तारीफ - हिसुआ प्रखंड की खबर

अमृता बताती हैं कि अगर हमलोग काम नहीं करेंगे तो घर का खर्चा कैसे चलेगी. हमारा परिवार गरीब है. गरीबी के कारण माता-पिता हमें आगे पढ़ाना नहीं चाहते हैं, लेकिन हमलोग पढ़ना चाहते हैं. इसके लिए तो काम करना ही पड़ेगा.

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Published : Jan 9, 2020, 8:25 AM IST

नवादाः आज के दौर में बेटियां किसी से कम नहीं है. उसे भी अपने परिवार और भविष्य की चिंता है. इन्हीं चिंताओं को दूर करने में लगी है जिले की हिसुआ नगर स्थित वार्ड नंबर-6 के बढ़ही बिगहा निवासी नवीन पंडित और गायत्री देवी की पुत्री अमृता और काजल. ये बहनें अपनी अनुपम कला से सुर्खियां बटोर रही हैं.

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पढ़ाई के साथ-साथ करती है माता-पिता की मदद

बेटियां बनीं माता-पिता का सहारा
नवीन पंडित और गायत्री देवी घर चलाने के लिए मूर्ति बनाकर बेचते हैं. वैसे तो परिवार के इस पुश्तैनी काम के प्रति अमृता और काजल की रुचि बचपन से ही है, लेकिन जब घर की आर्थिक स्थिति इनकी पढ़ाई में आड़े आने लगी तो दोनों बहनों ने अपने हाथों में ब्रश थाम लिया और माता-पिता का सहारा बनकर काम में जुट गईं. अमृता दिलीप दशरथ मुखिया महिला कॉलेज में साइंस स्ट्रीम से 12वीं में पढ़ाई कर रही है. वहीं, काजल संत थॉमस इंग्लिश स्कूल के 5वीं कक्षा की छात्रा है.

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मूर्ति बनाती काजल

'काम नहीं करेंगे तो घर कैसे चलेगा'
अमृता बताती हैं कि अगर हमलोग काम नहीं करेंगे तो घर का खर्चा कैसे चलेगी. हमारा परिवार गरीब है. गरीबी के कारण माता-पिता हमें आगे पढ़ाना नहीं चाहते हैं, लेकिन हमलोग पढ़ना चाहते हैं. इसके लिए तो काम करना ही पड़ेगा. वहीं, जब काजल से यह पूछा गया कि पढ़ाई के साथ-साथ काम के लिए समय कैसे निकालती हैं, तो उन्होंने कहा कि एक घंटा में पूरी होने वाली पढ़ाई को आधे घंटे में निपटा कर माता-पिता की मदद में जुट जाती हूं.

पेश है खास रिपोर्ट

'बेटियों ने बदली हैं परिस्थितियां'
बता दें कि विपिन पंडित का ये काम पुश्तैनी है और इसी पर पूरा परिवार निर्भर है. अब जब बच्चे बड़े हो रहे हैं तो खर्चे भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में बेटियों में माता-पिता की मदद की ठानी है. इनकी मां ने कहा कि जब से बच्चे सहारा बनकर खड़े हुए हैं, स्थितियां बदलीं हैं.

नवादाः आज के दौर में बेटियां किसी से कम नहीं है. उसे भी अपने परिवार और भविष्य की चिंता है. इन्हीं चिंताओं को दूर करने में लगी है जिले की हिसुआ नगर स्थित वार्ड नंबर-6 के बढ़ही बिगहा निवासी नवीन पंडित और गायत्री देवी की पुत्री अमृता और काजल. ये बहनें अपनी अनुपम कला से सुर्खियां बटोर रही हैं.

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पढ़ाई के साथ-साथ करती है माता-पिता की मदद

बेटियां बनीं माता-पिता का सहारा
नवीन पंडित और गायत्री देवी घर चलाने के लिए मूर्ति बनाकर बेचते हैं. वैसे तो परिवार के इस पुश्तैनी काम के प्रति अमृता और काजल की रुचि बचपन से ही है, लेकिन जब घर की आर्थिक स्थिति इनकी पढ़ाई में आड़े आने लगी तो दोनों बहनों ने अपने हाथों में ब्रश थाम लिया और माता-पिता का सहारा बनकर काम में जुट गईं. अमृता दिलीप दशरथ मुखिया महिला कॉलेज में साइंस स्ट्रीम से 12वीं में पढ़ाई कर रही है. वहीं, काजल संत थॉमस इंग्लिश स्कूल के 5वीं कक्षा की छात्रा है.

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मूर्ति बनाती काजल

'काम नहीं करेंगे तो घर कैसे चलेगा'
अमृता बताती हैं कि अगर हमलोग काम नहीं करेंगे तो घर का खर्चा कैसे चलेगी. हमारा परिवार गरीब है. गरीबी के कारण माता-पिता हमें आगे पढ़ाना नहीं चाहते हैं, लेकिन हमलोग पढ़ना चाहते हैं. इसके लिए तो काम करना ही पड़ेगा. वहीं, जब काजल से यह पूछा गया कि पढ़ाई के साथ-साथ काम के लिए समय कैसे निकालती हैं, तो उन्होंने कहा कि एक घंटा में पूरी होने वाली पढ़ाई को आधे घंटे में निपटा कर माता-पिता की मदद में जुट जाती हूं.

पेश है खास रिपोर्ट

'बेटियों ने बदली हैं परिस्थितियां'
बता दें कि विपिन पंडित का ये काम पुश्तैनी है और इसी पर पूरा परिवार निर्भर है. अब जब बच्चे बड़े हो रहे हैं तो खर्चे भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में बेटियों में माता-पिता की मदद की ठानी है. इनकी मां ने कहा कि जब से बच्चे सहारा बनकर खड़े हुए हैं, स्थितियां बदलीं हैं.

Intro:समरी-जब घर की आर्थिक हालात आड़े आने लगी और इसका प्रभाव भी उसके पढ़ाई पर पड़ने लगा तो ख़ुद दोनों बहनें ने अपने हाथों में ब्रश थाम लिया और अपने मम्मी पापा का सहारा बनकर काम में जुट गई।


नवादा। आज के दौर में बेटियां किसी से कम नहीं है उसे भी अपनी परिवार और भविष्य की चिंता है इन्हीं चिंताओं को दूर करने में लगी है जिले की हिसुआ नगर स्थित वार्ड नंबर 6 के बढ़ही बिगहा निवासी नवीन पंडित और गायत्री देवी की पुत्री अमृता और काजल की ये दो बहनें आजकल अपनी अनुपम कला से सुर्खियां बटोर रही है।





Body:माता-पिता का बना सहारा

वैसे तो इन पुस्तैनी कला के प्रति दोनों बहनों की रुचि बचपन से ही थी लेकिन जब घर की आर्थिक हालात आड़े आने लगी और इसका प्रभाव भी उसके पढ़ाई पर पड़ने लगा तो ख़ुद दोनों बहनें ने अपने हाथों में ब्रश थाम लिया और अपने मम्मी पापा का सहारा बनकर काम में जुट गई। अमृता जहाँ दिलीप दशरथ मुखिया महिला कॉलेज में साइंस स्ट्रीम से 12वीं में पढ़ रही है वहीं काजल संत थॉमस इंग्लिश स्कूल के 5वीं कक्षा में पढ़ती है।


कहती है दोनों बहनें


अमृता बताती है अगर हमलोग काम नहीं करेंगे तो घर का खर्चा कैसे चलेगी। हमलोग गरीब हैं गरीबी के कारण मम्मी पापा आगे पढ़ना नहीं चाहते हैं लेकिन हमलोग पढ़ना चाहते हैं इसके लिए तो काम करना पड़ेगा। वहीं, जब काजल से यह पूछा गया कि पढ़ाई के साथ साथ काम के लिए समय कैसे निकलती हो तो इसपे वो कहती है कि पढ़ाई के लिए जो एक घंटे काम होता है उसे आधे घंटे में निपटा कर अपने मम्मी-पापा को मदद करने में जुट जाती हूँ।

बाइट- अमृता कुमारी
बाइट- काजल कुमारी

बता दें कि विपिन पंडित का यह काम पुश्तैनी है और इसी पर पूरा परिवार निर्भर है। अब जब बच्चे बड़े हो रहे हैं तो ख़र्चे भी बढ़ रहे हैं ऐसी परिस्थिति में अगर बेटियां मां-बाप का सहारा बनकर खड़ी हो जाती है तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती। अपने दोनों बेटियों के बारे में बताती है कि, जब से बाल- बच्चा सहारा बनकर खड़ी हुई है तो कुछ परिस्थिति बदली है।

बाइट- गायत्री देवी, माता (अमृता व काजल)


पढ़ाई के साथ-साथ करती है काम

अमृता जहाँ दिलीप दशरथ मुखिया महिला कॉलेज में साइंस स्ट्रीम से 12वीं में पढ़ रही है वहीं काजल संत थॉमस इंग्लिश स्कूल के 5वीं कक्षा में पढ़ती है। दोनों बहने काम के साथ-साथ पढ़ाई के भी करती है।






Conclusion:बेटे के चाह रखनेवालों के लिए बड़ा संदेश सुख-दुःख का साथी है बेटियां। बेटे से बढ़कर होती है बेटियां।
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