नवादा: बिहार के नवादा में 6 साल के मासूम बच्चे का अपहरण करने के बाद हत्या करने की वारदात से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. लापता बच्चे की बरामदगी के लिए मृतक के परिजनों ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया और सामाजिक लोगों की मदद ली. लापता 6 साल के मंखुश का शव गांव के ही नीतीश चौरसिया के घर से पुलिस ने बरामद किया.
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6 साल के मासूम की अपहरण के बाद हत्या
मामले में दबाव बढ़ता देख पुलिस ने रविवार को बच्चे के शव को आरोपी के घर से बरामद किया. आरोपी ने बच्चे की हत्या कर शव को घर के अंदर चावल रखने वाले ट्रंक में छुपा रखा था. परिजनों के अनुसार नीतीश के पड़ोसी उदय चौरसिया, जितेंद्र चौरसिया, संतोष चौरसिया और सुलो चौरसिया मंखुश के हत्यारे की मदद कर रहे थे.
चावल रखने के ट्रंक में मिली बच्चे की लाश
बता दें कि हिसुआ थाना क्षेत्र के ढेउरी ग्राम में पिछले गुरुवार को अजीत चौरसिया के 6 साल के बेटे मंखुश कुमार का नीतीश चौरसिया ने अपहरण कर लिया था. उसी दिन नीतीश चौरसिया ने बच्चे को जान से मारकर पत्नी की मदद से अपने ही घर में ही छुपा दिया था. मंखुश की लाश नीतीश चौरसिया के घर में चावल रखने के ट्रंक में छुपा रखी थी.
गांव के ही नीतीश चौरसिया पर हत्या का आरोप
मृतक के परिजनों ने बताया कि जिस दिन से मंखुश गायब हुआ था, उसी दिन से मंखुश के पिता अजीत चौरसिया, चाचा चंदन चौरसिया और मंखुश की मां ने खोजबीन करना शुरू कर दी थी. लेकिन, जब मंखुश नहीं मिला तो अजीत चौरसिया और चंदन चौरसिया ने हिसुआ थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई. परिजन पुलिस से कहते रहे कि मंखुश के अपहरण में नीतीश चौरसिया का हाथ है. लेकिन हिसुआ थाना प्रभारी आरके पटेल ने उन्हें गाली देकर भगा दिया.
''नीतीश चौरसिया, उसकी पत्नी, उदय चौरसिया, जितेंद्र चौरसिया और संतोष चौरसिया ने मिलकर मेरे बेटे की हत्या की है. अजीत चौरसिया ने जिला प्रशासन और सरकार से इन सभी दोषियों को फांसी देने की मांग की है. थाना प्रभारी को बर्खास्त करने के लिए कोर्ट जाएंगे.''- अजीत चौरसिया, मृतक के पिता
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पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल
अब पूरे मामले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. पुलिस को चंदन चौरसिया बोलता रहा कि उसके भतीजे को नीतीश ने छिपाया है. साथ ही चंदन ने ये भी कहा कि पुलिस धमकी देती थी कि तुमको ही उल्टा फंसा देंगे. चंदन को पुलिस रविवार सुबह 3 बजे थाने में ले आई. जब पीड़ित परिवार अपने मासूम बच्चे की जिंदगी की भीख मांग रहा था, तब पुलिस लापरवाही कर रही थी. अगल पुलिस मामले में अलर्ट रहती तो मंखुश की जान बच सकती थी. जब पूरा मामला मीडिया में आया तब जाकर पुलिस एक्शन में आई लेकिन तब तक मंखुश जिंदा नहीं था.