ETV Bharat / state

नवादाः शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी करती है सबकी मनोकामनाएं पूरी, दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु

author img

By

Published : Oct 5, 2019, 5:25 PM IST

नवादा में रूपौ स्थित मां चामुंडा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है कि यहीं शुंभ निशुंभ दोनों राक्षस भाई रहा करते थे.जिसका वध मां चामुंडा ने की थीं. यह स्थान मंदिर से 3 किमी दूर स्थित जंगल में पहाड़ी पर है.जिसे सिधेश्वर स्थान के नाम से जाना जाता है.

शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी करती है सबकी मनोकामनाएं पूरी

नवादाः जिले से 23 किमी दूर रोह प्रखंड के रूपौ गांव स्थित धर्म शास्त्रों के शक्तिपीठों में से एक मां चामुंडा शक्तिपीठ स्थित है. यहां आनेवाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं, किंगवदंतियों के माने तो मां शती का धड़ यहीं गिरा था. मां चामुंडा शक्तिपीठ के रूपों की सप्तमी को विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

सालोंभर माता के दरबार में पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भिड़ लगी रहती है. नवरात्र में यहां काफी संख्या में लोग पूजा करने आते हैं. वहीं सप्तमी को विशेष पूजा की जाती है. यहां सभी धर्मों के श्रद्धालु पूजा के लिए आते हैं.

शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी करती है सबकी मनोकामनाएं पूरी

मंदिर का काफी पुराना है इतिहास
रूपौ स्थित मां चामुंडा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है कि यहीं शुंभ-निशुंभ दोनों राक्षस भाई रहा करते थे. जिसका वध मां चामुंडा ने किया था. यह स्थान मंदिर से 3 किमी दूर स्थित जंगल में पहाड़ी पर है.जिसे सिधेश्वर स्थान के नाम से जाना जाता है. पंडित श्रीकांत पांडेय का कहना है कि मां चामुंडा का वर्णन दुर्गा सप्तशती में भी है. ऐसी मान्यता है कि 52 शक्तिपीठ अंगों में से एक अंग यहां भी गिरा था. यहां से 3 किलोमीटर दूर सिधेश्वर स्थान है जहां शुम्भ-निशुम्भ का वध हुआ था. इसे सुम्बा पहाड़ के नाम से भी जाना जाता है.

nawada
पुजारी

ऐसे पहुंचे मां चामुंडा दरबार

पंडित शम्भू शरण का कहना है माता की महिमा बड़ी विशाल है चण्डमुण्ड संघरणी माता का यह मंदिर बहुत पुराना है. भक्त जिस मनसा से यहां आते हैं उनकी सारी मनसा पूरी होती है. खासकर जिन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है वो यहां आकर और आशीर्वाद लेकर जाते हैं. उनकी निश्चित रूप से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. साथ ही यहां आकर मुंडन संस्कार भी किया जाता है. अगर आप मां चामुंडा का दर्शन करना चाहते हैं और रेल के रास्ते पहुंचते हैं तो, आपको नवादा रेलवे स्टेशन उतरना होगा. इसके बाद वहां से रिक्शा लेकर या फिर पैदल का रास्ता भी आसान है.

nawada
शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी मंदिर

नवादाः जिले से 23 किमी दूर रोह प्रखंड के रूपौ गांव स्थित धर्म शास्त्रों के शक्तिपीठों में से एक मां चामुंडा शक्तिपीठ स्थित है. यहां आनेवाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं, किंगवदंतियों के माने तो मां शती का धड़ यहीं गिरा था. मां चामुंडा शक्तिपीठ के रूपों की सप्तमी को विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

सालोंभर माता के दरबार में पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भिड़ लगी रहती है. नवरात्र में यहां काफी संख्या में लोग पूजा करने आते हैं. वहीं सप्तमी को विशेष पूजा की जाती है. यहां सभी धर्मों के श्रद्धालु पूजा के लिए आते हैं.

शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी करती है सबकी मनोकामनाएं पूरी

मंदिर का काफी पुराना है इतिहास
रूपौ स्थित मां चामुंडा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है कि यहीं शुंभ-निशुंभ दोनों राक्षस भाई रहा करते थे. जिसका वध मां चामुंडा ने किया था. यह स्थान मंदिर से 3 किमी दूर स्थित जंगल में पहाड़ी पर है.जिसे सिधेश्वर स्थान के नाम से जाना जाता है. पंडित श्रीकांत पांडेय का कहना है कि मां चामुंडा का वर्णन दुर्गा सप्तशती में भी है. ऐसी मान्यता है कि 52 शक्तिपीठ अंगों में से एक अंग यहां भी गिरा था. यहां से 3 किलोमीटर दूर सिधेश्वर स्थान है जहां शुम्भ-निशुम्भ का वध हुआ था. इसे सुम्बा पहाड़ के नाम से भी जाना जाता है.

nawada
पुजारी

ऐसे पहुंचे मां चामुंडा दरबार

पंडित शम्भू शरण का कहना है माता की महिमा बड़ी विशाल है चण्डमुण्ड संघरणी माता का यह मंदिर बहुत पुराना है. भक्त जिस मनसा से यहां आते हैं उनकी सारी मनसा पूरी होती है. खासकर जिन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है वो यहां आकर और आशीर्वाद लेकर जाते हैं. उनकी निश्चित रूप से मनोकामनाएं पूर्ण होती है. साथ ही यहां आकर मुंडन संस्कार भी किया जाता है. अगर आप मां चामुंडा का दर्शन करना चाहते हैं और रेल के रास्ते पहुंचते हैं तो, आपको नवादा रेलवे स्टेशन उतरना होगा. इसके बाद वहां से रिक्शा लेकर या फिर पैदल का रास्ता भी आसान है.

nawada
शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी मंदिर
Intro:नवादा। जिला से 23 किमी दूर रोह प्रखंड के रूपौ गांव स्थित धर्म शास्त्रों के शक्तिपीठों में से एक मां चामुंडा शक्तिपीठ है जिसकी एक अपनी अलग पहचान है। इनकी महिमा अपरंपार है। यहां आनेवाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। किंगवदंतियों के माने तो माँ शती का धड़ यहीं गिरा था।वैसे तो सालोंभर माता के दरबार में पूजा होती ही लेकिन नवरात्र में यहां काफी संख्या में लोग पूजा पाठ के पहुंचते हैं। आसपास के भक्तों के अलावा दूरदराज के भक्त भी नवरात्र में यहां पहुंचते हैं। मां चामुंडा शक्तिपीठ रूपों में सप्तमी को विशेष पूजा अर्चना की जाती है।




Body:क्या कहते हैं श्रद्धालु

माता का पूजा करने आई श्रद्धालु मीना देवी का कहना है, माता के दरबार में जो मनोकामना सोचकर आते हैं वो पूरा होता है। माता के कृपा से दुःख दूर हो जाता है।

मंदिर का काफी पुराना है इतिहास

रूपौ स्थित मां चामुंडा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है कहा जाता है कि यहीं शुंभ निशुंभ दोनों राक्षस भाई रहा करते करते थे जिसका वद्ध मां चामुंडा ने की थी जो मंदिर से करीब 3 किमी दूर स्थित जंगल में पहाड़ी पर है जिसे सिधेश्वर स्थान भी कहा जाता है और पहाड़ को सुम्बा पहाड़ के नाम से जाना जाता है।

क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी

पंडित श्रीकांत पांडेय का कहना है, मां चामुंडा का वर्णन दुर्गा सप्तशती में भी वर्णन है। ऐसी अवधारणा है कि 52 शक्तिपीठ अंगों में से एक अंग 'धर' यहां भी गिरा था। यहां से 3 किमी दूर सिधेश्वर स्थान है वहीं एक पहाड़ है जहां शुम्भ-निशुम्भ को माता वद्ध की थी इसे सुम्बा पहाड़ के नाम से जाना जाता है।

वहीं, पंडित शम्भू शरण का कहना है माता की महिमा बड़ा विशाल है चण्डमुण्ड संघरणी माता का यह मंदिर बहुत पुराना है। भक्त जिस मनसा से यहां आते हैं उनकी सारी मनसा पूरी होती है। खासकर जिन्हें पुत्र-पौत्र की प्राप्ति नहीं होती है वो यहां आकर और आशीर्वाद लेकर जाते हैं उनकी निश्चित रूप से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। और यहां आकर मुंडन संस्कार कराते हैं मंदिर परिसर में लगा एक वृक्ष को आज तक यहां किसी ने पहचान नहीं पाया है। नमन तो सभी करते हैं लेकिन पहचान नहीं पाते जो पर्यावरण विशेषज्ञ के लिए भी चुनौती बनी हुई है।


रुपू चामुंडा माता मंदिर की महिमा अपरंपार है यहां आज तक जो भक्त सच्चे मन से आए हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण हुई है यही कारण है कि यहां की महत्ता पौराणिक काल से इधर इसकी महत्ता और बढ़ गई है जिसके कारण यहां श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है।

मां चामुंडा की महिमा अपरंपार है सच्चे मन से शरण में आने वाले हर भक्त की मुरादपुरा करते हैं आज तक इनके दरबार से कोई खाली हाथ नहीं गया है यहां हर जाति के लोग करते हैं श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं।


ऐसे पहुंचे मां चामुंडा दरबार

अगर आप मां चामुंडा का दर्शन करना चाहते हैं और रेल के रास्ते पहुंचते हैं तो आपको नवादा रेलवे स्टेशन उतरना होगा। और वहां से टोटो रिक्शा लेकर या फिर पैदल 3 रेल का रास्ता भी आसान है श्रद्धालु जिला मुख्यालय से 3 नवंबर बस स्टैंड से कौवाकोल जाने वाली वाहनों में बैठ कर रो चामुंडा गेट के पास उतर जाएं





Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.