नवादा: पर्यावरण संवाद कार्यक्रम के तहत महुडर पंचायत के गायघाट गांव में श्रमदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. 'पानी रे पानी' अभियान के तहत ग्रामीणों ने परंपरागत जल निकायों के पुनर उद्धार के लिए संकल्प लिया.
इस अवसर पर 'पानी रे पानी' अभियान के संयोजक पंकज मालवीय ने कहा कि पानी, वन, पर्यावरण और जैव विविधता आदि प्रकृति के उपहार को समाज अच्छी तरह से जानता और समझता जरूर है, लेकिन वह सिर्फ कागजी ज्ञान तक सीमित रह गया है. क्योंकि, इनके साथ हमारा व्यवहार बिलकूल विपरीत हो रहा है और उसका परिणाम भी भुगत रहे हैं.
परंपरागत जल श्रोतों के प्रति लोगों को करना है जागरूक
पंकज मालवीय ने कहा कि इस अभियान का मुख्य मकसद नदियों के किनारे बसे गांव एवं शहरों में जाकर लोगों को नदियों, तालाब समेत परंपरागत जलस्रोतों के महत्व और वर्तमान की स्थितियों से वाकिफ करना है उनकी रक्षा के लिए जनप्रयास किया जाना चाहिए.
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जैव विविधता का अहम योगदान
वहीं, मौके पर मौजूद अरविंद कुमार ने बताया कि उपस्थित लोगों से वन और जैव विविधता के महत्व पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि जैव विविधता, जीवों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता है, जो प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्रों की विविधता को समाहित करती है. इसमें सभी प्रकार के जीव-जंतु और पेड़-पौधे व वनस्पतियां शामिल हैं. ऐसे में इसकी रक्षा कर हम अपने वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं.