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नवादा: सरकार के सात निश्चय के दावों की पोल खोल रहा यह गांव - cleanliness and drinking water

सरकार की दावों की पोल खोलने के लिए नवादा प्रखंड के अमरपुर मुसहरी टोला ही काफी है. इस मुहल्ला तक जाने के लिए न ही सड़कें और न ही शिक्षा स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त सुविधा.

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Published : Apr 16, 2019, 9:52 PM IST

नवादा: सूबे की सरकार अपने सात निश्चय योजनाओं के ऊपर भले ही लाख दावे कर ले. लेकिन उनके दावों की पोल खोलने के लिए नवादा प्रखंड के अमरपुर मुसहरी टोला ही काफी है. इस मुहल्ला तक जाने के लिए न ही सड़कें और न ही शिक्षा स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त सुविधा.


जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर यह गांव एनएच 31 से महज पांच सौ मीटर अंदर है. लेकिन एनएच से इस मुहल्ला तक जाने के लिए सड़कें नहीं हैं. यहां पर न ही शिक्षा और न ही स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त सुविधा है. आये दिन सरकार सात निश्चय को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है. स्वच्छता और पेयजल पर बेहतर कार्य के लिए यहां के डीएम भी सीएम के हाथों अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं. लेकिन, जिन गरीब तक यह सुविधा पहुंचनी चाहिए वो अभी तक नहीं पहुंच पाई है.

ग्रामीणों का बयान

यहां नहीं है बुनियादी सुविधा
मुसहरी टोला की आबादी लगभग बारह सौ बताई जा रही है. लेकिन विकास के नाम पर यहां बारह आना भी खर्च होता नहीं दिख रहा है. यहां के लोगों को पानी की काफी समस्या है कुल आबादी में सिर्फ चार चापाकल हैं. लेकिन वो भी सही से काम नहीं कर रहा है, कहते हैं लेयर नीचा चले जाने के कारण पानी नहीं मिलता है. ख़राब होने की स्थिति में कोई ठीक तक करने नहीं आते. गरीबों का क्या उन्हें तो पानी चाहिए इसलिए वो किसी तरह जोड़-जार कर काम चलाते हैं. यानी यह साफ है कि यहां न पानी के लिए नल है और न ही पानी के निकासी के लिए नाले हैं. यहां के लोगों के लिए शौचालय तो दूर की बात है.

सरकार के प्रति है गुस्सा
यहां पर लोगों के रहने के लिए ढ़ंग का घर तक नहीं है. गांववालों में सरकार के प्रति गुस्सा देखी जा सकती है. लोगों का कहना है कि,वोट दिन बहला-फुसलाकर वोट ले लेते हैं और बाद में कोई काम नहीं करते हैं. लोगों को कहते फिरते हैं कि नल-जल का काम किए हैं तो यहां आके देख लीजिए कि क्या काम हुआ है.

नवादा: सूबे की सरकार अपने सात निश्चय योजनाओं के ऊपर भले ही लाख दावे कर ले. लेकिन उनके दावों की पोल खोलने के लिए नवादा प्रखंड के अमरपुर मुसहरी टोला ही काफी है. इस मुहल्ला तक जाने के लिए न ही सड़कें और न ही शिक्षा स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त सुविधा.


जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर यह गांव एनएच 31 से महज पांच सौ मीटर अंदर है. लेकिन एनएच से इस मुहल्ला तक जाने के लिए सड़कें नहीं हैं. यहां पर न ही शिक्षा और न ही स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त सुविधा है. आये दिन सरकार सात निश्चय को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है. स्वच्छता और पेयजल पर बेहतर कार्य के लिए यहां के डीएम भी सीएम के हाथों अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं. लेकिन, जिन गरीब तक यह सुविधा पहुंचनी चाहिए वो अभी तक नहीं पहुंच पाई है.

ग्रामीणों का बयान

यहां नहीं है बुनियादी सुविधा
मुसहरी टोला की आबादी लगभग बारह सौ बताई जा रही है. लेकिन विकास के नाम पर यहां बारह आना भी खर्च होता नहीं दिख रहा है. यहां के लोगों को पानी की काफी समस्या है कुल आबादी में सिर्फ चार चापाकल हैं. लेकिन वो भी सही से काम नहीं कर रहा है, कहते हैं लेयर नीचा चले जाने के कारण पानी नहीं मिलता है. ख़राब होने की स्थिति में कोई ठीक तक करने नहीं आते. गरीबों का क्या उन्हें तो पानी चाहिए इसलिए वो किसी तरह जोड़-जार कर काम चलाते हैं. यानी यह साफ है कि यहां न पानी के लिए नल है और न ही पानी के निकासी के लिए नाले हैं. यहां के लोगों के लिए शौचालय तो दूर की बात है.

सरकार के प्रति है गुस्सा
यहां पर लोगों के रहने के लिए ढ़ंग का घर तक नहीं है. गांववालों में सरकार के प्रति गुस्सा देखी जा सकती है. लोगों का कहना है कि,वोट दिन बहला-फुसलाकर वोट ले लेते हैं और बाद में कोई काम नहीं करते हैं. लोगों को कहते फिरते हैं कि नल-जल का काम किए हैं तो यहां आके देख लीजिए कि क्या काम हुआ है.

Intro:नवादा। सूबे की सरकार अपने सात निश्चय योजनाओं भले ही लाख दावें कर लें लेकिन उनके दावों के पोल खोलने के लिए नवादा प्रखंड के अमरपुर मुसहरी टोला ही काफी है।


Body:जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर यह गांव एनएच31 महज पांच मीटर अंदर है। लेकिन एनएच से इस मुहल्ला तक जाने के लिए सड़कें नहीं और न ही शिक्षा स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त सुविधा। आये दिन सरकार सात निश्चय को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। स्वच्छता और पेयजल पर बेहतर कार्य के लिए डीएम साहब भी सीएम साहब के हाथों अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं लेकिन, जिन गरीब तक यह सुविधा पहुंचनी चाहिए वो अभी तक नहीं पहुंच पाई है।

मुसहरी टोला में करीब बारह सौ की आबादी बताई जा रही है लेकिन विकास के नाम पर यहां बारह आना भी खर्च होता नहीं दिख रहा है। यहाँ के लोगों को पानी की काफी समस्या है कुल आबादी में दो-चार चापाकल है लेकिन वो भी सही से काम नहीं कर रहा है, कहते हैं लेयर नीचा चले जाने के कारण पानी नहीं मिलता। ख़राब होने की स्थिति में कोई ठीक तक करने नहीं आते। गरीबों का क्या उन्हें तो पानी चाहिए इसलिए वो किसी तरह जोड़-जार कर काम चलाते हैं। यानी यह साफ है कि यहां न पानी के लिए हर नल है और न ही पानी के निकासी के लिए नाले। शौचालय तो दूर की बात है। लोगों के रहने के लिए घर नहीं है। वहां पहुंचने के बाद सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा देखी जा सकती है। लोगों का कहना है कि,वोट दिन बहला-फुसलाकर वोट ले लेते हैं और बाद में कोई काम नहीं करते हैं। लोगों को कहते फिरते हैं कि नल-जल का काम किए है तो आके देख लीजिए कि क्या काम हुआ है यहां।

बाइट- गौड़ी देवी, ग्रामीण
बाइट- जगदीश मांझी, ग्रामीण
बाइट- मिथुन मांझी, ग्रामीण युवक




Conclusion:जब गरीबों के पास न सड़क की सुविधा, न नल-जल की सुविधा, और न शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा अभी तक नहीं पहुंचा पाई है तो फिर यह सात निश्चय का यह ढिंढोरा इतना क्यों पीटा जा रहा है?
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