नवादा: अगर बच्चों की शिक्षा की नींव आंगनबाड़ी को कहें तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. क्योंकि यहीं से छोटे बच्चे शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपना कदम बढ़ाते है. जरा सोचिए अगर शुरुआती शिक्षा की नींव ही कमजोर पड़ जाए तो इन बच्चों के आगे का भविष्य क्या होगा. दरअसल मामला नवादा जिले के नवादा सदर प्रखंड के अमरपुर मुसहरी टोला स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का है, जहां बच्चे डर के साये में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
विभागीय लापरवाही का नमूना है यह जर्जर भवन
आंगनबाड़ी का अपना भवन नहीं है, लेकिन जिस भवन में बच्चों को शिक्षा दी जा रही है वो भवन काफी जर्जर हो चुका है. ऐसी स्थिति है कि कभी भी यह मकान गिर सकती है. लेकिन इसकी परवाह किसी भी संबंधित पदाधिकारी को नहीं है. महिला बाल विकास विभाग की अनदेखी का यह जीता जागता नमूना बच्चों की जान के लिए ख़तरा हो सकता है. न विभाग को इसकी परवाह है और न ही यहां के जनप्रतिनिधियों को इसकी कोई सुध है.
न पेयजल और न ही शौचालय की व्यवस्था
छोटे-छोटे बच्चे यहां पढ़ने आते हैं लेकिन उनके लिए न पेयजल की व्यवस्था है और न ही शौचालय की. ऐसे में बच्चों को पढ़ाई छोड़कर घर भागना पड़ता है. इस चक्कर में बच्चे पढ़ाई करने से ज्यादा घर आने-जाने में गुजार देते हैं.
क्या कहती हैं बच्चों की मां
आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चे की मां मालती देवी कहती हैं कि घर टपक रहा है, ढह रहा है. अगर घर गिर जाएगा तो किसका नुकसान होगा? आंगनबाड़ी भवन यहां होना चाहिए, भवन नहीं होने से बच्चों को काफी दिक्कत होती है. वहीं छोटे बच्चों का कहना है कि छत टपकता है. अमूमन कैमरा के सामने छोटे-छोटे बच्चे अधिक बोलने से कतराते हैं, इसलिए बच्चे ने सिर्फ इतना कहा कि छत से पानी टपकता है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
वहीं, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी रश्मि रंजन ने कहा कि सरकार की ही चिट्ठियां हैं कि जहां शौचालय या पेयजल की व्यवस्था हो, वहीं आंगनबाड़ी केंद्र चलाया जाए. संभावना है कि इस माह तक सारे ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र जिसमें यह सुविधा नहीं है वो शिफ़्ट हो जाएंगे. चाहे वो शहरी क्षेत्र हो या फिर ग्रामीण.