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सदर अस्पताल का केएमसी यूनिट बना कमजोर नवजात के लिए वरदान

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Published : Jul 30, 2020, 8:31 PM IST

नवादा जिले में कमजोर नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए अस्पताल परिसर में कंगारू मदर केयर यूनिट की व्यवस्था की गई है. परिजनों को कंगारू मदर केयर के तरीके बताकर शिशुओं का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित कराया जा रहा है.

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सदर अस्पताल का केएमसी यूनिट बना कमजोर नवजात के लिए वरदान.

नवादा: कोरोना आपदा के बीच जन्म लेने वाले कमजोर नवजात शिशुओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर स्तर पर प्रयास किए गए हैं. इस दिशा में कमजोर नवजात शिशुओं की ट्रैकिंग कर उनके नियमित स्तनपान और उनकी माताओं और परिजनों को कंगारू मदर केयर के तरीके बताकर शिशुओं का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित कराया जा रहा है.

कंगारू मदर केयर यूनिट साबित हो रहा है जीवनदायिनी
प्रीमैच्योर या कमजोर नवजात के लिए सदर अस्पताल परिसर में मौजूद कंगारू मदर केयर यूनिट भी जीवनदायिनी साबित हो रहा है. वर्ष के जुलाई माह तक लगभग चार सौ से भी अधिक प्रीमैच्योर शिशुओं को एसएनसीयू व कंगारू मदर केयर युनिट में रख कर स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया गया है.

हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए केएमसी कारगर
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने बताया सदर अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में ही कंगारू मदर केयर कॉर्नर है. नवजात शिशु में हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर दिया जाता है. सभी सरकारी अस्पतालों में एएनएम और आशा द्वारा कंगारू मदर केयर देने की जानकारी दी जाती है. सभी सरकारी अस्पतालों में कंगारू केयर कॉर्नर बनाया गया है.

1000 से 1200 ग्राम तक के शिशु रखा जाता है यहां
एसएनसीयू की प्रभारी ममता ने बताया अंडर वेट 1000 से 1200 ग्राम तक के शिशु को ही यहां रखा जाता है. सात दिनों में शिशु के वजन हासिल करने के बाद उसे मां को सौंप दिया जाता है. यदि शिशु का वजन इससे भी कम होता है तो उसे बड़े सरकारी अस्पताल में रेफर किया जाता है.

2 किलो से कम वजन वाले होते हैं कमजोर शिशु
यदि नवजात का वजन दो किलो से कम है तो वे कमजोर नवजात की श्रेणी में रखे जाते हैं. कई बच्चे प्रीमैच्योर होते हैं, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में सतमसुवा या अठमसुवा भी कहते हैं. ये शिशु कमजोर होते हैं और इसलिए माताओं को कंगारू मदर केयर की मदद से आवश्यक गर्मी देने की सलाह दी जाती है. इस तरह नवजात को प्राकृतिक तरीके से आवश्यक उर्जा और उष्मा मिल पाता है. मां का दूध जल्दी उतरने के साथ नवजात का शारीरिक विकास होता है.

जन्म का पहला 2 साल नवजात का महत्वपूर्ण
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 42.6 प्रतिशत बच्चों को उनके जन्म के पहले एक घंटे के अंदर स्तनपान कराया जाता है. नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम करने के लिए उनके जन्म के बाद का 2 साल महत्वपूर्ण माना गया है. राज्य में नवजात शिशुओं की कुल संख्या का एक तिहाई हिस्सा जन्म के समय ही काफी कमजोर होते हैं. ऐसे में आशा व स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से महिलाओं को आधुनिक विधि से स्तनपान कराने के बारे में भी बताया गया है.

नवादा: कोरोना आपदा के बीच जन्म लेने वाले कमजोर नवजात शिशुओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर स्तर पर प्रयास किए गए हैं. इस दिशा में कमजोर नवजात शिशुओं की ट्रैकिंग कर उनके नियमित स्तनपान और उनकी माताओं और परिजनों को कंगारू मदर केयर के तरीके बताकर शिशुओं का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित कराया जा रहा है.

कंगारू मदर केयर यूनिट साबित हो रहा है जीवनदायिनी
प्रीमैच्योर या कमजोर नवजात के लिए सदर अस्पताल परिसर में मौजूद कंगारू मदर केयर यूनिट भी जीवनदायिनी साबित हो रहा है. वर्ष के जुलाई माह तक लगभग चार सौ से भी अधिक प्रीमैच्योर शिशुओं को एसएनसीयू व कंगारू मदर केयर युनिट में रख कर स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया गया है.

हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए केएमसी कारगर
प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने बताया सदर अस्पताल के सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में ही कंगारू मदर केयर कॉर्नर है. नवजात शिशु में हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए कंगारू मदर केयर दिया जाता है. सभी सरकारी अस्पतालों में एएनएम और आशा द्वारा कंगारू मदर केयर देने की जानकारी दी जाती है. सभी सरकारी अस्पतालों में कंगारू केयर कॉर्नर बनाया गया है.

1000 से 1200 ग्राम तक के शिशु रखा जाता है यहां
एसएनसीयू की प्रभारी ममता ने बताया अंडर वेट 1000 से 1200 ग्राम तक के शिशु को ही यहां रखा जाता है. सात दिनों में शिशु के वजन हासिल करने के बाद उसे मां को सौंप दिया जाता है. यदि शिशु का वजन इससे भी कम होता है तो उसे बड़े सरकारी अस्पताल में रेफर किया जाता है.

2 किलो से कम वजन वाले होते हैं कमजोर शिशु
यदि नवजात का वजन दो किलो से कम है तो वे कमजोर नवजात की श्रेणी में रखे जाते हैं. कई बच्चे प्रीमैच्योर होते हैं, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में सतमसुवा या अठमसुवा भी कहते हैं. ये शिशु कमजोर होते हैं और इसलिए माताओं को कंगारू मदर केयर की मदद से आवश्यक गर्मी देने की सलाह दी जाती है. इस तरह नवजात को प्राकृतिक तरीके से आवश्यक उर्जा और उष्मा मिल पाता है. मां का दूध जल्दी उतरने के साथ नवजात का शारीरिक विकास होता है.

जन्म का पहला 2 साल नवजात का महत्वपूर्ण
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -4 की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 42.6 प्रतिशत बच्चों को उनके जन्म के पहले एक घंटे के अंदर स्तनपान कराया जाता है. नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम करने के लिए उनके जन्म के बाद का 2 साल महत्वपूर्ण माना गया है. राज्य में नवजात शिशुओं की कुल संख्या का एक तिहाई हिस्सा जन्म के समय ही काफी कमजोर होते हैं. ऐसे में आशा व स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से महिलाओं को आधुनिक विधि से स्तनपान कराने के बारे में भी बताया गया है.

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