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नवादा: तबेला बन गया है जेपी का खादी ग्रामोद्योग भवन

जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किमी दूर कौआकोल प्रखंड के देवनगढ़ पंचायत में भोरमबाग नाम का एक गांव है. जेपी ने यहां खादी ग्रामोउद्योग की स्थापना की थी. लेकिन, मौजूदा समय में जेपी का यह सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है.

सरकारी अनदेखी का शिकार है भवन
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Published : Oct 11, 2019, 9:48 AM IST

Updated : Oct 11, 2019, 5:31 PM IST

नवादा: आज यानी 11 अक्टूबर को बिहार के महान सपूत और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मतिथि है. इस मौके पर पूरा बिहार अपने जन नेता को याद कर रहा है. उनकी धरोहर और उनसे जुड़ी यादों को खंगाल रहा है. नवादा जिले से जेपी का खास ताल्लुक है. यहां उन्होंने खादी ग्रामोउद्योग की स्थापना की थी.

जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किमी दूर कौआकोल प्रखंड के देवनगढ़ पंचायत में भोरमबाग नाम का एक गांव है. जेपी ने यहां खादी ग्रामोउद्योग की स्थापना की थी. इसकी स्थापना का एकमात्र उद्देश्य ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाना और खादी को बढ़ावा देना था. जेपी का यह सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है.

nawada
भवन में बांधे जा रहे गाय

1955-1956 में हुई थी ग्रामोउद्योग भवन की स्थापना
तकरीबन 1955-1956 ई. में ग्राम निर्माण मंडल सर्वोदय आश्रम, सेखोदेवरा के द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था. स्थानीय लोगों के मुताबिक जेपी के आह्वान पर गांव के बच्चे-बुजुर्ग सभी ने श्रमदान देकर इस भवन के निर्माण में मदद की थी. इस भूमि का पूजन जेपी के हाथों ही हुआ था.

nawada
ग्रामीणों ने सुनाई भवन की कहानी

सरकारी उपेक्षा का शिकार है भोरमबाग
जेपी ने बड़े आस से भोरमबाग इलाके में ग्रामोउद्योग लगाया. लेकिन, सरकारी उपेक्षा के कारण आज यह गाय का तबेला बनकर रह गया है. एक समय था जब इस भवन में दर्जनों पुरुष व महिलाएं सूत कातने का काम किया करते थे. लेकिन, सरकारी उदासीनता के कारण आज यह खंडहर हो चला है.

nawada
जर्जर हो चुका है भवन

कभी हुआ करता था कमाई का साधन
ग्रामोउद्योग भवन में सूत कातना कभी यहां के लोगों के रोजगार का जरिया हुआ करता था. लेकिन, आज इसकी कोई पूछ नहीं है. सरकारी आलाकमान और जन प्रतिनिधियों की बात तो दूर अब ग्रामीणों ने ही इस भवन का इस्तेमाल अपने निजी प्रयोजन के लिए शुरू कर दिया है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

टूट गए हैं खिड़की दरवाजे
मौजूदा समय में खपरैल के बने इस भवन की हालत इतनी जर्जर है कि खिड़कियां और दरवाजे टूट चुके हैं. जिस हॉल में कभी ग्रामीण सूत कातते थे वह गाय बांधने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. जहां सूत का स्टॉक होता था वहां घास उग आए हैं.

नवादा: आज यानी 11 अक्टूबर को बिहार के महान सपूत और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मतिथि है. इस मौके पर पूरा बिहार अपने जन नेता को याद कर रहा है. उनकी धरोहर और उनसे जुड़ी यादों को खंगाल रहा है. नवादा जिले से जेपी का खास ताल्लुक है. यहां उन्होंने खादी ग्रामोउद्योग की स्थापना की थी.

जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किमी दूर कौआकोल प्रखंड के देवनगढ़ पंचायत में भोरमबाग नाम का एक गांव है. जेपी ने यहां खादी ग्रामोउद्योग की स्थापना की थी. इसकी स्थापना का एकमात्र उद्देश्य ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाना और खादी को बढ़ावा देना था. जेपी का यह सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है.

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भवन में बांधे जा रहे गाय

1955-1956 में हुई थी ग्रामोउद्योग भवन की स्थापना
तकरीबन 1955-1956 ई. में ग्राम निर्माण मंडल सर्वोदय आश्रम, सेखोदेवरा के द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था. स्थानीय लोगों के मुताबिक जेपी के आह्वान पर गांव के बच्चे-बुजुर्ग सभी ने श्रमदान देकर इस भवन के निर्माण में मदद की थी. इस भूमि का पूजन जेपी के हाथों ही हुआ था.

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ग्रामीणों ने सुनाई भवन की कहानी

सरकारी उपेक्षा का शिकार है भोरमबाग
जेपी ने बड़े आस से भोरमबाग इलाके में ग्रामोउद्योग लगाया. लेकिन, सरकारी उपेक्षा के कारण आज यह गाय का तबेला बनकर रह गया है. एक समय था जब इस भवन में दर्जनों पुरुष व महिलाएं सूत कातने का काम किया करते थे. लेकिन, सरकारी उदासीनता के कारण आज यह खंडहर हो चला है.

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जर्जर हो चुका है भवन

कभी हुआ करता था कमाई का साधन
ग्रामोउद्योग भवन में सूत कातना कभी यहां के लोगों के रोजगार का जरिया हुआ करता था. लेकिन, आज इसकी कोई पूछ नहीं है. सरकारी आलाकमान और जन प्रतिनिधियों की बात तो दूर अब ग्रामीणों ने ही इस भवन का इस्तेमाल अपने निजी प्रयोजन के लिए शुरू कर दिया है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

टूट गए हैं खिड़की दरवाजे
मौजूदा समय में खपरैल के बने इस भवन की हालत इतनी जर्जर है कि खिड़कियां और दरवाजे टूट चुके हैं. जिस हॉल में कभी ग्रामीण सूत कातते थे वह गाय बांधने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. जहां सूत का स्टॉक होता था वहां घास उग आए हैं.

Intro:नवादा। जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर कौआकोल प्रखंड के देवनगढ़ पंचायत स्थित एक गांव है, नाम है भोरमबाग। जहां जेपी ने खादी ग्रामोउद्योग की स्थापना की थी। लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण आज गाय का तबेला बनकर रह गया है। एक समय था जब इस भवन में दर्जनों पुरुष व महिलाएं सूत कटाई का काम किया करते थे। एक तरह से ये ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों के लिए रोजगार का जरिया बन गया था और आज वहीं, खंडहर में तब्दील हो गया है। इसपे न सरकार के आलाधिकारी का ध्यान जा रहा है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों व उनके अनुयायियों का। मौजूदा हालात यह है कि खपरैल के बने इस खादी ग्रामोउद्योग भवन के हॉल में जहां बड़ी संख्या में महिलाएं सूत काटती थी वहां अब गाय बांधे जा रहे हैं। जिस रूम में सूत का स्टॉक होता था वहां घास उग आए हैं और जिस रूम में कर्मी रहते थे वह भी काफी जर्जर हो चुका है। यानी जयप्रकाश नारायण के स्वाबलंबन के सपने यहां धराशाही होते दिख रहा है।




Body:1955-56 हुआ था ग्रामोउद्योग भवन की स्थापना

1955-56 में ग्राम निर्माण मंडल सर्वोदय आश्रम, सेखोदेवरा के द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक जेपी के आह्वान पर गांव के बच्चे-बुजुर्ग सभी ने श्रमदान देकर इस भवन के निर्माण में मदद की थी। इसकी शुरुआत जेपी ने खुद अपने हाथों से भूमि पूजन कर किया था।

बाइट- बनवारी प्रसाद, ग्रामीण
बाइट- राजेंद्र साहु, ग्रामीण

कुछ वर्षों तक अच्छे खासे काम चलने के बाद से धीरे-धीरे यह पूरी तरह बंद हो गई। लोगों का रोजगार का साधन खत्म हो गया। पहले लोग सूत काटकर सेखोदेवरा आश्रम पहुंचाते थे। इस ग्रामोउद्योग भवन में बिक्री केंद्र भी था। देखते ही देखते सब खत्म हो गया।

बाइट- राजेंद्र साहु, ग्रामीण
बाइट- बनवारी प्रसाद, ग्रामीण








Conclusion:
Last Updated : Oct 11, 2019, 5:31 PM IST
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