नवादा: आज यानी 11 अक्टूबर को बिहार के महान सपूत और लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मतिथि है. इस मौके पर पूरा बिहार अपने जन नेता को याद कर रहा है. उनकी धरोहर और उनसे जुड़ी यादों को खंगाल रहा है. नवादा जिले से जेपी का खास ताल्लुक है. यहां उन्होंने खादी ग्रामोउद्योग की स्थापना की थी.
जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किमी दूर कौआकोल प्रखंड के देवनगढ़ पंचायत में भोरमबाग नाम का एक गांव है. जेपी ने यहां खादी ग्रामोउद्योग की स्थापना की थी. इसकी स्थापना का एकमात्र उद्देश्य ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाना और खादी को बढ़ावा देना था. जेपी का यह सपना पूरा होता नहीं दिख रहा है.
1955-1956 में हुई थी ग्रामोउद्योग भवन की स्थापना
तकरीबन 1955-1956 ई. में ग्राम निर्माण मंडल सर्वोदय आश्रम, सेखोदेवरा के द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था. स्थानीय लोगों के मुताबिक जेपी के आह्वान पर गांव के बच्चे-बुजुर्ग सभी ने श्रमदान देकर इस भवन के निर्माण में मदद की थी. इस भूमि का पूजन जेपी के हाथों ही हुआ था.
सरकारी उपेक्षा का शिकार है भोरमबाग
जेपी ने बड़े आस से भोरमबाग इलाके में ग्रामोउद्योग लगाया. लेकिन, सरकारी उपेक्षा के कारण आज यह गाय का तबेला बनकर रह गया है. एक समय था जब इस भवन में दर्जनों पुरुष व महिलाएं सूत कातने का काम किया करते थे. लेकिन, सरकारी उदासीनता के कारण आज यह खंडहर हो चला है.
कभी हुआ करता था कमाई का साधन
ग्रामोउद्योग भवन में सूत कातना कभी यहां के लोगों के रोजगार का जरिया हुआ करता था. लेकिन, आज इसकी कोई पूछ नहीं है. सरकारी आलाकमान और जन प्रतिनिधियों की बात तो दूर अब ग्रामीणों ने ही इस भवन का इस्तेमाल अपने निजी प्रयोजन के लिए शुरू कर दिया है.
टूट गए हैं खिड़की दरवाजे
मौजूदा समय में खपरैल के बने इस भवन की हालत इतनी जर्जर है कि खिड़कियां और दरवाजे टूट चुके हैं. जिस हॉल में कभी ग्रामीण सूत कातते थे वह गाय बांधने के लिए इस्तेमाल हो रहा है. जहां सूत का स्टॉक होता था वहां घास उग आए हैं.