नवादा: प्रदेश की सरकार शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन ग्रामीण इलाकों की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है. जिले के हैदरचक में एक महादलित बस्ती है. यहां विद्यालय स्थापना के लिए 2010 में मान्यता तो दे दी गई, लेकिन अभी तक वहां भवन नहीं बन सका है. विद्यालय भवन के अभाव में छोटे-छोटे बच्चे झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं. गांव का एकमात्र शिक्षा का साधन यह विद्यालय अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहा है.
कड़ी धूप और बरसात में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे
गर्मी के मौसम में बच्चे कड़ी धूप में और बरसात में झोपड़ी से टपकते पानी की बूंदों के बीच पढ़ने को मजबूर हैं. इस बारे में पांचवीं कक्षा कि छात्रा माला ने बताया कि हमारे विद्यालय के पास भवन नहीं है. बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है. ठंड के दिनों में सर्द जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं, तीसरी कक्षा की श्रीयंशु कुमारी का कहना है कि जमीन पर बैठने में दिक्कत होती है बरसात के दिनों में भी काफी दिक्कतें होती हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण महेंद्र प्रसाद ने बताया कि 2010 से इस स्कूल का यही हाल है. यहां से दो किमी दूर एक स्कूल है भी तो वहां बच्चे जा नहीं पाते हैं. शिक्षक प्रयास कर रहे हैं. लेकिन किसी भी अधिकारी, पदाधिकारी और शिक्षा विभाग का इस पर ध्यान नहीं गया है. वहीं, जगदीश प्रसाद का कहना है कि 2010 से आजकल-आजकल हो रहा है. लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है.
क्या कहती हैं प्रधानाचार्या
स्कूल की प्रधानाचार्या मालती देवी ने बताया कि वह इस विद्यालय में 2010 से कार्यरत हैं. तभी से वह प्रयास कर रही हैं कि विद्यालय को अपना भवन मिल जाए. इसके लिए उन्होंने सीओ सहित शिक्षा विभाग के कई पदाधिकारियों से बात की. लेकिन किसी ने भी अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया है. जबकि, विद्यालय के पास जमीन की कोई दिक्कत नहीं है. भवन नहीं होने से बच्चों को काफी दिक्कतें होती है. अगर विद्यालय भवन बन जाता तो बच्चों को हो रही परेशानी से निजात मिल जाती.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
डीपीओ स्थापना के प्रभारी अनंत कुमार का कहना है कि हैदरचक में न ही जमीन है और न ही भवन है. यही कारण है कि बच्चों को दिक्कतें हो रही हैं. 2014 से भवन निर्माण हेतु सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार की ओर से किसी प्रकार की राशि भी अभी तक आवंटित नहीं हुई है. इसलिए नवसृजित विद्यालय का जहां भी जमीन उपलब्ध है वहां फिलहाल भवन निर्माण नहीं किया जा सका है.