नवादा: तीन साल पहले रजौली अनुमंडल के हरदिया पंचायत में फुलवरिया जलाशय पर बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना बनायी गयी थी. इसके तहत फ्लोराइड प्रभावित गांवों में पीएचईडी और विश्व बैंक की सहायता से लोगों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति कराना था. लेकिन अभी तक इस योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है.
10 पंचायत के 91 गांवों को मिलेगा फ़ायदा
बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत रजौली के करीब 10 पंचायत के 91 गांवों में पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. इस लक्ष्य को पूरा करने की तय सीमा 2017 तक रखी गयी थी. अगर यह तय समय पर चालू हो गया होता तो 10 पंचायतों के लोगों को अभी तक शुद्ध पेयजल का लाभ मिल रहा होता.
3 साल में 3 बार बदल चुकी हैं तारीख
इस योजना की नींव 27 अगस्त 2014 में रखी गई थी. जिसमें 2 साल का वक्त तो सिर्फ जमीन अधिग्रहण में लग गया. 2016 के जुलाई महीने में भूमि अधिग्रहण का कार्य सम्पन्न हुआ. जिसके बाद से अभी तक निर्माण कार्य ही चल रहा है. इस बीच तीन बार तारीख भी बदल चुकी है. लेकिन कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है.
95 करोड़ की लागत, फिर भी नहीं मिला पानी
ग्रामीणों को शुद्ध जल मुहैया कराने को लेकर किए जा रहे इस कार्य में करीब 95 करोड़ की लागत आने की बात बताई जा रही है. जिसमें 83 करोड़ डिजाइन अपग्रेडेशन में और 12 करोड़ ऑपेरशन में खर्च आये हैं. समय-समय पर डिजाइन में बदलाव के कारण खर्चें में इजाफा हुआ है. जिसका अभी तक विभाग की ओर से भुगतान नहीं हो सका है. जिससे निर्माण कार्य की गति धीमी चल रही है.
बढ़ती जा रही है जल विषाक्त संबंधित बीमारी
पानी में फोलाराइड की मात्रा अधिक होने के कारण गांव में फ्लोरोसिस सहित अन्य जल विषाक्तता से संबंधित बीमारी फैलती जा रही थी. जिसको देखते हुए यह कदम उठाया गया था. बताया जाता है कि, फ्लोरोसिस बच्चों की हड्डियां और दांतों को कमजोर कर देती है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने सुना था कि एक से डेढ़ साल में काम खत्म हो जाएगा. लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कार्य सम्पन्न नहीं हुआ है. अगर यह अपने निर्धारित समय पर चालू हो जाता तो लोगों को काफी लाभ मिलता. क्योंकि यहां शुद्ध पानी की काफी समस्या है.
क्या कहते हैं अधिकारी
रजौली पीएचईडी के एसडीओ राहुल कुमार का कहना है कि पीएचईडी द्वारा फ्लोराइड रहित बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना बनायी गयी थी. इसका एग्रीमेंट 2014 में हुआ था और कार्य की शुरुआत जुलाई 2016 में प्रारंभ हुआ था. इसका संवेदक जिंदल वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है.
इसके लगभग 90 प्रतिशत कार्य हो चुके हैं. डिजाइन में समय-समय पर बदलाव के कारण इसके एविएशन और डेविएशन में कुछ बदलाव हुए हैं, लागत बढ़ी है. जिसके लिए विभाग को एप्रूवल के लिए भेजा गया है. जैसे ही वहां से एप्रूवल मिल जाएगा काम पूरा हो जाएगा.