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शुद्ध पेयजल को तरस रहे हैं ग्रामीण, 3 साल में 3 बार बदली योजना के चालू होने की तारीख - बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत रजौली के करीब 10 पंचायत के 91 गांवों में पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. इस लक्ष्य को पूरा करने की तय सीमा 2017 तक रखी गई थी. लेकिन अभी तक चालू नहीं हो सका है.

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना
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Published : Jun 7, 2019, 1:46 PM IST

नवादा: तीन साल पहले रजौली अनुमंडल के हरदिया पंचायत में फुलवरिया जलाशय पर बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना बनायी गयी थी. इसके तहत फ्लोराइड प्रभावित गांवों में पीएचईडी और विश्व बैंक की सहायता से लोगों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति कराना था. लेकिन अभी तक इस योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है.

10 पंचायत के 91 गांवों को मिलेगा फ़ायदा
बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत रजौली के करीब 10 पंचायत के 91 गांवों में पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. इस लक्ष्य को पूरा करने की तय सीमा 2017 तक रखी गयी थी. अगर यह तय समय पर चालू हो गया होता तो 10 पंचायतों के लोगों को अभी तक शुद्ध पेयजल का लाभ मिल रहा होता.

nawada
बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना

3 साल में 3 बार बदल चुकी हैं तारीख
इस योजना की नींव 27 अगस्त 2014 में रखी गई थी. जिसमें 2 साल का वक्त तो सिर्फ जमीन अधिग्रहण में लग गया. 2016 के जुलाई महीने में भूमि अधिग्रहण का कार्य सम्पन्न हुआ. जिसके बाद से अभी तक निर्माण कार्य ही चल रहा है. इस बीच तीन बार तारीख भी बदल चुकी है. लेकिन कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है.

95 करोड़ की लागत, फिर भी नहीं मिला पानी
ग्रामीणों को शुद्ध जल मुहैया कराने को लेकर किए जा रहे इस कार्य में करीब 95 करोड़ की लागत आने की बात बताई जा रही है. जिसमें 83 करोड़ डिजाइन अपग्रेडेशन में और 12 करोड़ ऑपेरशन में खर्च आये हैं. समय-समय पर डिजाइन में बदलाव के कारण खर्चें में इजाफा हुआ है. जिसका अभी तक विभाग की ओर से भुगतान नहीं हो सका है. जिससे निर्माण कार्य की गति धीमी चल रही है.

nawada
बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना

बढ़ती जा रही है जल विषाक्त संबंधित बीमारी
पानी में फोलाराइड की मात्रा अधिक होने के कारण गांव में फ्लोरोसिस सहित अन्य जल विषाक्तता से संबंधित बीमारी फैलती जा रही थी. जिसको देखते हुए यह कदम उठाया गया था. बताया जाता है कि, फ्लोरोसिस बच्चों की हड्डियां और दांतों को कमजोर कर देती है.

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने सुना था कि एक से डेढ़ साल में काम खत्म हो जाएगा. लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कार्य सम्पन्न नहीं हुआ है. अगर यह अपने निर्धारित समय पर चालू हो जाता तो लोगों को काफी लाभ मिलता. क्योंकि यहां शुद्ध पानी की काफी समस्या है.

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना फेल

क्या कहते हैं अधिकारी
रजौली पीएचईडी के एसडीओ राहुल कुमार का कहना है कि पीएचईडी द्वारा फ्लोराइड रहित बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना बनायी गयी थी. इसका एग्रीमेंट 2014 में हुआ था और कार्य की शुरुआत जुलाई 2016 में प्रारंभ हुआ था. इसका संवेदक जिंदल वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है.

इसके लगभग 90 प्रतिशत कार्य हो चुके हैं. डिजाइन में समय-समय पर बदलाव के कारण इसके एविएशन और डेविएशन में कुछ बदलाव हुए हैं, लागत बढ़ी है. जिसके लिए विभाग को एप्रूवल के लिए भेजा गया है. जैसे ही वहां से एप्रूवल मिल जाएगा काम पूरा हो जाएगा.

नवादा: तीन साल पहले रजौली अनुमंडल के हरदिया पंचायत में फुलवरिया जलाशय पर बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना बनायी गयी थी. इसके तहत फ्लोराइड प्रभावित गांवों में पीएचईडी और विश्व बैंक की सहायता से लोगों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति कराना था. लेकिन अभी तक इस योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है.

10 पंचायत के 91 गांवों को मिलेगा फ़ायदा
बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत रजौली के करीब 10 पंचायत के 91 गांवों में पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. इस लक्ष्य को पूरा करने की तय सीमा 2017 तक रखी गयी थी. अगर यह तय समय पर चालू हो गया होता तो 10 पंचायतों के लोगों को अभी तक शुद्ध पेयजल का लाभ मिल रहा होता.

nawada
बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना

3 साल में 3 बार बदल चुकी हैं तारीख
इस योजना की नींव 27 अगस्त 2014 में रखी गई थी. जिसमें 2 साल का वक्त तो सिर्फ जमीन अधिग्रहण में लग गया. 2016 के जुलाई महीने में भूमि अधिग्रहण का कार्य सम्पन्न हुआ. जिसके बाद से अभी तक निर्माण कार्य ही चल रहा है. इस बीच तीन बार तारीख भी बदल चुकी है. लेकिन कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है.

95 करोड़ की लागत, फिर भी नहीं मिला पानी
ग्रामीणों को शुद्ध जल मुहैया कराने को लेकर किए जा रहे इस कार्य में करीब 95 करोड़ की लागत आने की बात बताई जा रही है. जिसमें 83 करोड़ डिजाइन अपग्रेडेशन में और 12 करोड़ ऑपेरशन में खर्च आये हैं. समय-समय पर डिजाइन में बदलाव के कारण खर्चें में इजाफा हुआ है. जिसका अभी तक विभाग की ओर से भुगतान नहीं हो सका है. जिससे निर्माण कार्य की गति धीमी चल रही है.

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बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना

बढ़ती जा रही है जल विषाक्त संबंधित बीमारी
पानी में फोलाराइड की मात्रा अधिक होने के कारण गांव में फ्लोरोसिस सहित अन्य जल विषाक्तता से संबंधित बीमारी फैलती जा रही थी. जिसको देखते हुए यह कदम उठाया गया था. बताया जाता है कि, फ्लोरोसिस बच्चों की हड्डियां और दांतों को कमजोर कर देती है.

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने सुना था कि एक से डेढ़ साल में काम खत्म हो जाएगा. लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कार्य सम्पन्न नहीं हुआ है. अगर यह अपने निर्धारित समय पर चालू हो जाता तो लोगों को काफी लाभ मिलता. क्योंकि यहां शुद्ध पानी की काफी समस्या है.

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना फेल

क्या कहते हैं अधिकारी
रजौली पीएचईडी के एसडीओ राहुल कुमार का कहना है कि पीएचईडी द्वारा फ्लोराइड रहित बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना बनायी गयी थी. इसका एग्रीमेंट 2014 में हुआ था और कार्य की शुरुआत जुलाई 2016 में प्रारंभ हुआ था. इसका संवेदक जिंदल वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है.

इसके लगभग 90 प्रतिशत कार्य हो चुके हैं. डिजाइन में समय-समय पर बदलाव के कारण इसके एविएशन और डेविएशन में कुछ बदलाव हुए हैं, लागत बढ़ी है. जिसके लिए विभाग को एप्रूवल के लिए भेजा गया है. जैसे ही वहां से एप्रूवल मिल जाएगा काम पूरा हो जाएगा.

Intro:नवादा। फ्लोराइड प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजलापूर्ति को लेकर पीएचईडी की ओर से और विश्व बैंक की सहायता से रजौली अनुमंडल के हरदिया पंचायत के फुलवरिया जलाशय पर बनाए जा रहे बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना तीन साल गुजर जाने के बाद भी चालू नहीं हो सका है। जबकि 2017 में ही ग्रामीणों के घर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अब वहीं जलापूर्ति योजना शोभा की वस्तु बनकर रह गई है।





Body:10 पंचायत के 91 गांवों को मिलेगा फ़ायदा

बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत रजौली के करीब 10 पंचायत के 91वें गांवों में पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखी गई थी अगर यह ससमय चालू हो गया होता तो 10 पंचायतों के 91वें गांवों के लोगों को अभी तक शुद्ध पेयजल का लाभ मिल रहा होता।

3 साल में 3 बार बदल चुके हैं तारीख़

इस योजना की नींव 27 अगस्त 2014 में ही रखी गई थी। जिसमें 2 साल तो सिर्फ और सिर्फ ज़मीन अधिग्रहण में लग गई। आखिरकार 2016 के जुलाई महीने में भूमि अधिग्रहण का कार्य सम्पन्न हुआ। जिसके बाद से अभी तक निर्माण कार्य चल ही रहा है। इस बीच तीन बार तारीख़ भी बदल चुकी है लेकिन कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हो सका है। पहले 30 जून, 2017, 18 मई 2018 फिर 31 मार्च 2019 तक तिथि निर्धारित की गई थी जो अब फेल हो चुका है अब जून 2019 तक समय निर्धारित किया गया है लेकिन, जिस तरह से कार्य चल रहे हैं उससे अभी भी ग्रामीणों को लाभ मिलने की उम्मिन्दें कम लग रही है।

95 करोड़ की लागत,फिर भी नहीं मिला पानी

ग्रामीणों को शुद्ध जल मुहैया कराने को लेकर किए जा रहे इस कार्य में करीब 95 करोड़ की लागत आने की बात बताई जा रही है। जिसमें 83 करोड़ डिजाइन अपग्रेडेशन में और 12 करोड़ ऑपेरशन में खर्च आये हैं। समय-समय पर डिजाइन में बदलाव।के कारण खर्चें में इज़ाफ़ा हुआ है जिसकी अभी तक विभाग की ओर से भुगतान नहीं हो सका है। जिससे निर्माण कार्य की गति धीमी चल रही है।

गांवों में बढ़ती जा रही थी जल विषाक्त संबंधित बीमारी

पानी में फोलाराइड की मात्रा अधिक होने के कारण गांव में फ्लोरोसिस सहित अन्य जल विषाक्तता से संबंधित बीमारी फैलती जा रही थी। जिसको देखते हुए यह कदम उठाया गया था। बताया जाता है कि, फ्लोरोसिस के कारण बच्चों के हड्डियां और दांतों को कमजोर कर देती है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

सुने थे कि एक से डेढ़ साल में काम खत्म हो जाएगा लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कार्य सम्पन्न नहीं हुआ हैं अगर यह अपने निर्धारित समय पर चालू हो जाता तो हमलोगों को काफ़ी लाभ मिलता। क्योंकि यहां शुद्ध पानी की काफी समस्या है।


क्या कहते हैं अधिकारी
रजौली पीएचईडी के एसडीओ राहुल कुमार का कहना है कि, पीएचईडी के द्वारा फोलाराइड रहित बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना है इसका एग्रीमेंट 2014 में हुई थी और कार्य की शुरुआत जुलाई 2016 में प्रारंभ हुई थी। इसका संवेदक जिंदल वाटर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है। इसके लगभग 90 प्रतिशत कार्य हो चुके हैं। डिजाइन में समय-समय पर बदलाव के कारण इसके एविएशन और डेविएशन में चेंजेज हुए हैं लागत बढ़ी है जिसके लिए विभाग को एप्रूवल के लिए भेजा गया है जैसे ही वहां से एप्रूवल मिल जाएगा काम पूर्ण हो जाएंगे।




Conclusion:आख़िर में सवाल यह उठता है कि सरकारी कार्यों में इतने समय क्यों लगते हैं इनकी लेटलतीफी के कारण न जाने कितने लोग शुद्ध पानी के लिए तरस रहा होगा। आखिर कब तक आम जनता इनके लेटलतीफी के शिकार होते रहेंगे?
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